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अमृतसर का ईस्ट विधानसभा हलका कौन संभाल रहा? सिद्धू की गुमशुदगी के पोस्टर लगे तो डा. नवजोत कौर दिया ये जवाब

नवजोत सिंह सिद्धू को अपना विधानसभा हलका संभालने की दी गई ताकीद पर पूर्व सीपीएस व सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू ने जवाब दिया। दोनों की बीमारी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा हलका पूर्वी की अच्छी तरह देखभाल हो रही है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 08:56 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 08:56 AM (IST)
अमृतसर में पिछले दिनों लगाए गए नवजोत सिंह सिद्धू की गुमशुदगी के पोस्टर।

अमृतसर, [विपिन कुमार राणा]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी महारानी परनीत कौर की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू को अपना विधानसभा हलका संभालने की दी गई ताकीद पर पूर्व सीपीएस व सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू ने जवाब दिया। दोनों की बीमारी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा हलका पूर्वी की अच्छी तरह देखभाल हो रही है, पर उनके हलके में ही पिछले दिनों नवजोत सिंह सिद्धू की गुमशुदगी के लगाए गए पोस्टरों ने ही साफ कर दिया कि हलके की ओर कितना ध्यान दिया जा रहा है। पौने दो साल से हलके के लोग अपने विधायक से दूर हैं। मैडम सिद्धू के बयान पर तो कांग्रेसी ही शहर में कटाक्ष कर रहे हैं कि मैडम कह रही हैं कि सिद्धू बीमार हैं और वह दिल्ली में कमेटी के सामने पेश हुए हैं। वैसे तो मैडम लोगों को भी यह बताएं कि विधानसभा हलका ईस्ट संभाल कौन रहा है?

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जोशी बनाम भाजपा

कृषि कानूनों का दंश झेल रही भाजपा एक तरफ तो तैयारी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की कर रही है। दूसरी तरफ पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। पिछले दिनों एक्सीडेंट की वजह से बेड रेस्ट पर रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी के समर्थकों ने उनके ठीक होते ही इंटरनेट मीडिया पर अभियान छेड़ दिया है कि मैं अनिल जोशी दे नाल हां। इसके बाद जोशी विरोधियों ने भी इंटरनेट मीडिया पर मैसेज करना शुरू कर दिया कि मैं भाजपा के साथ हूं। जोशी समर्थकों ने भाजपा के जिन ग्रुपों में इन्हें पोस्ट किया, ग्रुप एडमिन ने उन्हें ही रिमूव कर दिया, लेकिन जोशी बनाम भाजपा की छिड़ी जंग में पार्टी का वर्कर जरूर लीडरशिप से पूछ रहा है कि मैं केहदे नाल हां। पहले खुद ही नेताओं ने कोठियों से पार्टी चला दी, अब नसीहत दी जा रही है कि मैं भाजपा के साथ हूं।

सिद्धू के होमटाउन में कैप्टन कौन?

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही कप्तानी की लड़ाई को लेकर कांग्रेस का सियासी गलियारा खूब गरमाया हुआ है। चर्चा सिर्फ यही हो रही है कि सिद्धू के होमटाउन में कैप्टन कौन? कृषि सुधार कानूनों को लेकर सिद्धू द्वारा 25 मई को मनाए गए काले दिवस में न तो कांग्रेसियों ने शिरकत की और न ही सिद्धू के अपने कुनबे ने। उल्टा इस समय आलम यह चल रहा है कि एनएसयूआइ के प्रदेश प्रधान, मेयर, जिला कांग्रेस कमेटी के प्रधान ने तो शहर में होर्डिंग तक लगवा दिए हैं, जिसमें कैप्टन की फोटो के साथ बताया गया है कि पंजाब का एक ही कैप्टन है और वह सीएम अमरिंदर सिंह हैं। फिलहाल नवजोत सिद्धू का अपना कुनबा पूरी तरह से शांत है, क्योंकि वह पहले भी सिद्धू को सियासी पावर मिलने की घोषणाओं को लेकर अपनी खासी फजीहत करवा चुका है।

मदद कर सोच में पड़े

कोरोना महामारी ने लोगों को कई सबक दिए। कोरोना जब शुरू हुआ तो उसका प्रभाव कम था, पर उससे लडऩे वालों ने जरूरतमंद लोगों की खूब सेवा की। कई-कई दिनों तक लंगर सेवा, जरूरतमंदों को राशन देने की सेवा चली। लंबे लाकडाउन के बावजूद तब लोगों के पास महामारी से लडऩे को लेकर थोड़े बहुत साधन थे। दूसरी लहर के कहर ने इस बार लोगों को तोड़ दिया। जो उनके पास था, वह पहली लहर ले गई और अब जब उनको असल में मदद की जरूरत थी तो इस बार पहली लहर की तरह न तो लंगर लगे और न ही जरूरतमंदों तक एनजीओ व सरकार ने राशन पहुंचाया। शहर की एक एनजीओ के पास जब कुछ लोग अपना दुखड़ा लेकर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि इस बार लंगर की जरूरत थी। इस पर एनजीओ वालों ने उनकी मदद तो कर दी, पर सोचने लगे कि सही में जरूरत थी।


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