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सावन माह में यहां चलशिवलिग का होता रुद्राभिषेक

प्राचीन श्री राम लल्ला नौहरियां मंदिर गुड़मंडी में करीब 400 साल पुराना शिवलिग आज भी अपने इतिहास को संजोए हुए है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 10:27 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 10:27 PM (IST)
सावन माह में यहां चलशिवलिग का होता रुद्राभिषेक

जागरण संवाददाता, जालंधर

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प्राचीन श्री राम लल्ला नौहरियां मंदिर गुड़मंडी में करीब 400 साल पुराना शिवलिग आज भी अपने इतिहास को संजोए हुए है। मंदिर में स्थापित अष्टधातु की पौराणिक मूर्तियां भी इतिहास को खुद ब खुद बयां करती हैं। यही कारण है कि भक्तों की आस्था के प्रतीक इस मंदिर प्रति भक्तों की आस्था आज भी फल-फूल रही है। सावन के महीने में भक्तों का सुबह सात बजे रुद्राभिषेक के समय से ही तांता लगा रहता है। मंदिर का इतिहास

मंदिर के पौराणिक इतिहास को जानकार ही यहां महाराजा चरणजीत सिंह, महाराजा विक्रमजीत सिंह यहां आए थे। जिनके नाम पर इलाके के साथ लगते चरणजीतपुरा और विक्रमपुरा मोहल्ले विकसित हुए हैं। वे महाराजा रणजीत को इस पावन स्थान पर लाए थे। मंदिर की प्रसिद्धी सुनकर जम्मू के राजा भी यहां पहुंचे थे। जो भगवान शिव के परम भक्त थे और अपने साथ चलशिवलिग लेकर चलते थे। मगर मंदिर ख्याति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मंदिर प्रबंधकों को चलशिवलिग (यानी कि जिसे कहीं भी उठाकर लाया जा सकता है) सौंप दिया था। तभी से उस चलशिवलिग का पूर्णिमानुसार सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने की प्रथा चली आ रही है और आज भी बरकरार है। रोजाना सुबह सात से सुबह नौ बजे तक भक्तों की तरफ से रुद्राभिषेक किया जाता है। यह महाभिषेक रक्षाबंधन के दिन यानि पूर्णिमा तक चलेगा।

सावन को लेकर तैयारियां:

सावन के मद्देनजर मंदिर पूरी तरह से सज चुका है और भक्तों के आगमन की भी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। मंदिर में गुरु पूर्णिमा के साथ ही सावन उत्सव की धूम मचनी शुरू हो गई है। रोजाना सुबह सात से नौ बजे तक चलशिवलिग का रुद्धाभिषेक होगा। यह क्रम रक्षाबंधन के दिन तक जारी रहेगा। अंतिम दिन विश्राम, पूजन और भंडारा लगाया जाएगा। गद्दीनशीन महंत संपत्ति देवी का कहना है कि उनके पूर्वज आठ पीढि़यों से मंदिर के सेवा करते आ रहे हैं। वे 1999 से सेवाकार्य देख रहे हैं। मंदिर में वटवक्ष में श्री हनुमान की मूर्ति प्रकट हुई थी, जो 100 साल बाद अपने आप केसरिया रंग छोड़ देते हैं। मंदिर में अष्टधातु की मूर्तियां स्थापित हैं और माता के दरबार के नीचे गुफा भी है। कहा जाता है, जहां सिद्ध योगी-मुनि तपस्या किया करते थे। मंदिर कमेटी के चीफ आर्गेनाइजर डा. राज कुमार का कहना है कि सावन माह को लेकर भक्तों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसके लिए सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। रक्षाबंधन के दिन तक रोजाना सुबह सात से नौ बजे तक चलशिवलिग का रुद्राभिषेक किया जाएगा। भक्त इस शुभ घड़ी के मौके पर आकर पुण्य कमा सकते हैं।


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