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जालंधर में दबंग विधायक पर भारी पड़े अधिकारी, आरटीए दफ्तर में नहीं हो सका गाड़ी का रजिस्ट्रेशन

जालंधर के एक दबंग विधायक ने कोरोना काल में फाच्र्यूनर खरीदी थी। उसे उम्मीद थी कि उनकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन आरटीए दफ्तर से होने से कोई रोक नहीं सकता। लेकिन जालंधर के आरटीए दफ्तर में तैनात महोदय विधायक जी पर भारी पड़ रहे हैं।

By Rohit KumarEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:40 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:40 AM (IST)
बिक्री प्रभावित होने के चलते वाहन निर्माता कंपनियों ने उपभोक्ताओं को लाभ वाली घोषणाएं देकर वाहनों की बिक्री की थी।

जालंधर, मनोज त्रिपाठी। कोरोना काल में वाहनों की बिक्री प्रभावित होने के चलते वाहन निर्माता कंपनियों ने उपभोक्ताओं को लाभ वाली घोषणाएं देकर वाहनों की बिक्री की थी। साथ ही बीएस-4 टाइप वाहनों का स्टाक निकालने की कवायद भी कंपनियों ने की थी। बीएस-4 टाइप के वाहनों को निर्धारित दरों से कम में भी बेचा गया। मौके का लाभ जालंधर के एक विधायक ने भी उठाया और फाच्र्यूनर खरीद डाली।

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महोदय विधायक थे, दबंगई में उनका नाम भी है। कैबिनेट मंत्री से भी पंगा ले चुके हैं। इसके चलते शहर के चारों विधायकों की तुलना में महोदय का नंबर लोगों की नजरों में काफी आगे है। इसीलिए उम्मीद थी कि उनकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन आरटीए दफ्तर से होने से कोई रोक नहीं सकता। इसमें कुछ गैरकानूनी भी नहीं था, लेकिन जालंधर के आरटीए दफ्तर में तैनात महोदय विधायक जी पर भारी पड़ रहे हैं और उनकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहे हैं।

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दिखने लगी उम्मीद की नई किरण
पिछले एक साल से जालंधर से बड़े जिले में पोस्टिंग की कवायद को लेकर परेशान चल रहे पुलिस के आला अधिकारी को अब उम्मीद की नई किरण दिखाई देने लगी है। जो काम बीते साल नहीं हो पाया, वह नए साल में होने की उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं। पुलिस हेडक्वार्टर से लेकर आम लोगों तक को जीपीएस के कनेक्शन की मजबूती के बारे खासी जानकारी है।

इसके बाद भी महोदय की पोस्टिंग मनचाहे स्टेशन पर न हो पाने को लेकर तमाम प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थीं। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। महोदय के विरोधी खेमे के लोग तो यहां तक कहने लगे थे कि अब उनमें वह बात नहीं रही जो कभी हुआ करती थी। हालांकि जल्द ही उनके विरोधियों की जुबां पर ताला लगने वाला है, जब महोदय की पोस्टिंग उनके मनचाहे जिले में उनकी पसंद के अधिकारी के साथ ही हो जाएगी।

पहले तुस्सी लगवाओ, फिर अस्सी देखांगे
मामला कोरोना के योद्धाओं से जुड़ा हुआ है। दस महीने से कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में फ्रंट लाइन में तैनात सेहत विभाग के मुलाजिम पिछले सात दिनों से खासे परेशान चल रहे हैं। जबसे कोरोना की वैक्सीन आई है, ज्यादातर मुलाजिम उसे लगवाने से कतरा रहे हैं। जो कोरोना वायरस से नहीं डरे वो वैक्सीन से डर रहे हैं। इसे लेकर सेहत विभाग के अधिकारी भी खासे परेशान चल रहे हैं और हैरान भी।

वैक्सीनेशन की शुरुआत के पहले दो दिनों में जब ज्यादातर मुलाजिमों ने वैक्सीन लगवाने को लेकर न कर दी तो बड़े अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कवायद शुरू की, लेकिन ज्यादातर मुलाजिमों का एक ही जवाब था जनाब पहले तुस्सी लगवा लेयो, फिर अस्सी देखांगे कि वैक्सीन लगवानी अ या नई लगवानी। मुलाजिमों के इस जवाब से बड़े अधिकारी भी परेशानी में पड़ गए हैं कि आखिर कैसे उन्हें भरोसा दिलाएं कि वैक्सीन सुरक्षित है।

राजनीति में जीते, कूटनीति में फंसे
शहर में बीते डेढ़ महीने से सबसे चर्चित मामले में दो कांग्रेसियों के बीच शीतयुद्ध चल रहा है और तीसरा मजे ले रहा है। डेढ़ माह पहले आरटीआइ एक्टिविस्ट व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मेजर सिंह के बीच ब्लैकमेलिंग को लेकर विवाद हो गया था। इसके बाद आरटीआइ एक्टिविस्ट के खिलाफ पर्चा दर्ज करने के बाद भी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी न होने के विरोध में मेजर सिंह के समर्थकों की तरफ से थाने का भी घेराव किया गया था, लेकिन पुलिस टस से मस नहीं हुई।

बीते दिनों आरटीआइ एक्टिविस्ट की शिकायत पर मेजर सिंह को भी पुलिस ने नामजद कर लिया था। इसके बाद से चर्चा है कि पुलिस आखिर किसके दबाव में काम कर रही है। पूरे मामले की राजनीति में एक अन्य कांग्रेस नेता की कूटनीति से मेजर सिंह फंस गए हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में जीत राजनीति की होती है या कूटनीति की।

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