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भूखे और प्यासे रहकर कर रहे खुदा की इबादत, भीषण गर्मी भी हौसलों को नहीं कर पाई पस्त

एक तरफ कहर बरपा रही गर्मी लोगों को बीमार कर रही है तो दूसरी तरफ रमजान माह में रोजा रखने वाले दिन भर भूखे प्यासे रहकर लू के थपेड़ों को चुनौती दे रहे हैं।

By Edited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 07:49 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 10:10 AM (IST)
भूखे और प्यासे रहकर कर रहे खुदा की इबादत, भीषण गर्मी भी हौसलों को नहीं कर पाई पस्त
भूखे और प्यासे रहकर कर रहे खुदा की इबादत, भीषण गर्मी भी हौसलों को नहीं कर पाई पस्त

जेएनएन, जालंधर। एक तरफ कहर बरपा रही गर्मी लोगों को बीमार कर रही है, तो दूसरी तरफ रमजान माह में रोजा रखने वाले दिन भर भूखे प्यासे रहकर लू के थपेड़ों को चुनौती दे रहे हैं। यही नहीं, रोजेदार रोजा रखकर धर्म की परंपरा को निभाते हुए कारोबार को भी अंजाम दे रहे हैं। खास बात ये है कि इस बार बड़ों के साथ कई बच्चों ने भी रोजा रखा है। दरअसल, इन दिनों रमजान का महीना चल रहा है। जिसमें खुदा की इबादत करते हुए रोजा रखने वाले रोजेदार दिन भर निर्जल व निराहार रहकर पवित्र रोजा पूरा करते हैं।

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वहीं इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के बावजूद रोजेदारों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं। गर्मी में अदा कर रहे पांच वक्त की नमाज रमजान के दौरान रोजा रखने वाले मुस्लिम भाई दिन भर भूखे-प्यासे रहने के साथ-साथ पांच वक्त की नमाज भी अदा कर रहे हैं। यही नहीं दोपहर के समय आग बरपा रही गर्मी के बीच मस्जिद में जाकर नमाज अदा करने वाले धर्म की पालना करते हुए अग्निपरीक्षा दे रहे हैं।

नन्हें रोजेदार भी कायम कर रहे मिसाल

यह पहला अवसर है जब नन्हें रोजेदार भी रोजा रखकर धर्म व आध्यात्मिकता की मिसाल कायम बन रहे हैं। पुलिस डीएवी स्कूल के चौथी कक्षा के स्टूडेंट आफिक ने मात्र 10 वर्ष की उम्र में रोजा रखा है। आकिफ के मुताबिक अपने दादा हाजी आबिद सलमानी से प्रेरित होकर वह भी अल्लाह की इबादत करना चाहता है। बताते हैं कि अगर भूलकर भी कोई गुनाह हुआ होगा तो इस नेक माह में खुदा से क्षमा हासिल की जा सकती है। उम्रदराज में भी उत्साह भीषण गर्मी के बावजूद उम्रदराज भी रोजे रखकर आस्था का प्रमाण दे रहे हैं। 65 वर्षीय हाजी आबिद सलमानी बताते हैं कि वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ हैं। लेकिन रमजान के माह में रोजा रखना जुनून है। जिसके चलते अल्लाह ने उन्हें ताकत बख्शी है। वह न सिर्फ खुद रोजा रखते है बल्कि पूरे परिवार को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।

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65 वर्ष में भी दिन भर रहते हैं निर्जल व निराहार

आम तौर पर 60 वर्ष के बाद डॉक्टर खुराक से लेकर रहन सहन को लेकर कई तरह की हिदायतें दे देते हैं। जबकि, अशोक नगर निवासी 65 वर्षिय अली हसन सलमानी बताते हैं कि रोजा रखने की नीयत इंसान की होती है तो ताकत स्वयं खुदा बख्शते हैं। वैसे भी धर्म व आस्था में उम्र आड़े नहीं आती है। इसके लिए केवल मन में लग्न होनी चाहिए।

15 घंटे तक भूखे प्यासे रह दे रहे परीक्षा

रमजान माह में मुस्लिम भाई 14 से 15 घंटे लगातार भूखे व प्यासे रहकर रोजा रखते हुए आस्था की परीक्षा दे रहे हैं। इस बार 15 घंटे से भी अधिक चलने वाला सबसे लंबा रोजा चार जून को है। जिसे लेकर मुस्लिम समाज में भाई नहीं बल्कि साथ उत्साह है।

सहरी में तला-भुना खाने से करें परहेज

डॉ. नगेंद्र खेड़ा बताते हैं कि भीषण गर्मी में भूखे प्यासे रहकर रोजा रखने वाले वालों को तड़के खाई जाती सहरी में तले-भुने खाने से परहेज करना चाहिए। भूखा-प्यासा रहने से डी-हाइड्रेशन का खतरा बना रहता है। जिससे बचने के लिए सहरी में पोष्टिक तत्व व कैल्शियम युक्त खुराक लें।

नींबू-पानी, खजूर व फ्रूट जूस है बेहतर विकल्प

रोजा रखने वाले तड़के सहरी के दौरान नींबू-पानी, फ्रूट जूस व बादाम का सेवन करके शरीर में ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। इसके अलावा तरबूज, खीरा, ककड़ी का सेवन भी शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता। जरूरत से अधिक खाने से करें परहेज रोजा रखने वाले अक्सर इफ्तार के समय भूख अधिक होने के कारण ज्यादा खा लेते हैं। जिसका असर सीधे रूप पर उनकी आंत पर पड़ सकता है। ऐसे में इफ्तार के समय धीरे वह सीमित ही भोजन करना चाहिए।

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