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सोमवती अमावस्या और शनि जयंती एक दिन,149 साल बाद बना संयोग, ये करने से न चूकें

ज्‍योतिषविदों के मुताबिक 149 साल बाद विशेष संयोग बना है। इससे पहले 30 मई 1870 को यह संयोग बना था। सिंह धनु मकर राशियों पर शनि की कृपा होगी। जानें बाकियों पर क्‍या रहेगा प्रभाव।

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 11:56 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 03:40 PM (IST)
सोमवती अमावस्या और शनि जयंती एक दिन,149 साल बाद बना संयोग, ये करने से न चूकें
सोमवती अमावस्या और शनि जयंती एक दिन,149 साल बाद बना संयोग, ये करने से न चूकें

रोहतक, जेएनएन। इस बार 3 जून को शनि जयंती और ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या एक साथ मनाई जाएगी। इसके साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। ज्‍योतिषविदों के मुताबिक इस बार की शनि जयंती लोगों के लिए खास रहेगी। इसके साथ ही एक में दिन तीन शुभ आयोजन होने के चलते इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है।

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ऐसा संयोग 149 वर्ष बाद बनने जा रहा है। इससे पहले यह संयोग 30 मई 1870 को बना था। दुर्गा भवन के प्रमुख पंडित मनोज मिश्रा ने बताया कि जिन राशियों में शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है। उनके लिए यह दिन विशेष रहेगा। साथ ही वह लोग इस विशेष संयोग के बीच भगवान शनि की पूजा कर लाभ उठा सकते है। शनि जयंती के दिन सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। जिसका प्रभाव 24 घंटे तक रहेगा। इस दिन पूजा पाठ करने से विशेष प्रकार का फल मिलेगा।

शनि जयंती का महत्व
माना जाता है कि इस दिन सूर्य व छाया पुत्र शनि का जन्म हुआ था। सूर्य और चंद्रमा जब वृषभ राशि में होते हैं तो उस समय शनि जयंती मनाई जाती है। इस साल शनि धनु राशि में वक्री होकर गोचर हो रहे हैं। शनि के साथ केतू के गोचर का भी योग है।

ऐसे करें शनि देव की पूजा
पंडित रामगोपाल ने बताया कि लोग शनिदेव जयंती पर उपवास भी रखते हैं। खासकर उपवास करने वालों को विधिवपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के लिए साफ लकड़ी की चौकी पर काले रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर शनिदेव की प्रतिमा को स्थापित करें। शनि देव को पंचामृत व इत्र से स्नान करवाने के बाद कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल अर्पित करें।

इसके बाद पूजा करने के दौरान भगवान शनि मंत्र की माला का जाप करना चाहिए। उन्होंने बताया कि शनि देव कर्मदाता व न्याय प्रिय देव हैं। जिस राशि में भगवान शनि का प्रवेश होता है। उसे धर्म व अध्यात्म की पालना करते हुए समाज में न्याय करना चाहिए। भगवान शनि देव अच्छे कर्म करने वालों को बेहतर और बुरे कर्म वालों की बुरे परिणाम देते हैं।

दो जून को शुरू होगी अमावस्या
दो जून को शाम 4 बजकर 39 मिनट से सोमवती अमावस्या शुरू हो जाएगी। जोकि तीन जून को दोपहर 3 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान व दान करना शुभ माना जाता है। पिंडदान करने से घर और मन में शांति का वास होता है। कार्यक्षेत्र में भी फायदा मिलता है।

किस राशि कैसे बरतें सावधानी

मेष : पैसे निवेश करने से बचें व ड्राइविंग ध्यान से करें। जरूरतमंद को सरसों का तेल व नमक का दान करें।

वृषभ: शनि के ढैय्या का प्रभाव रहेगा। बेहतर आय के साधन बन सकते है। गुड़ व चने का दान करें।

मिथुन: समय समान्य रहेगा। भगवान शिव की आराधना करें व जरूरतमंदों को वस्त्र दान करें।

कर्क: कारोबार में वृद्धि की स्थिति है। विवाद निपटाने में सफलता। गोसेवा करें।

सिंह: विवाद से दूर रहे। पक्षियों को जल व पानी उपलब्ध करवाएं।

कन्या: नया काम शुरू करने से परहेज करें। चावल का दान करें।

तुला: कारोबार संभालकर करें। जरूरतमंद को भोजन व फल भेंट करें।

वृश्चिक: कारोबार व समाज मे ध्यानपूर्वक रहें। जरूरतमंद लोगों व पक्षियों की सेवा करें।

धनु: कारोबार में उन्नति व नौकरी में तरक्की की संभावना। असहाय लोगों की मदद करें।

मकर: शनि की साढ़ेसाती होने के चलते समझदारी से मुश्किलों का समाधान करे। पशु व पक्षियों की सेवा करें।

कुंभ: प्रतिभा बनी रहेगी। व्यापार में लाभ की संभावना। फल व मिठाइयों का दान करें।

मीन: कारोबार में सफलता व कार्यक्षेत्र में विस्तार की संभावना। फलों का दान करें।

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