नगर निगम के पास नहीं है पालतू पशुओं का रिकॉर्ड, टैक्स वसूलना होगा मुश्किल
निगम के पास अब तक ऐसा कोई भी आंकड़ा नहीं है जो यह दर्शाता हो कि शहर में कितने पालतू पशु हैं। ऐसे में राजस्व बढ़ाने की कवायद मुश्किल भरी होगी।
जेएनएन, जालंधर। पालतू पशुओं पर रजिस्ट्रेशन से राजस्व बढ़ाने की कवायद प्रदेश सरकार ने शुरू कर दी है मगर जालंधर नगर निगम के लिए यह काम काफी मुश्किलों भरा होगा। निगम हाउस में अब तक ऐसा कोई भी प्रस्ताव पास नहीं किया गया जिसमें पालतू पशुओं पर टैक्स वसूलने का प्रावधान किया गया हो। निगम की ओर से कभी इस दिशा में कोई मुहिम भी नहीं चलाई गई। यही वजह है कि निगम के पास अब तक ऐसा कोई भी आंकड़ा नहीं है जो यह दर्शाता हो कि शहर में कितने पालतू पशु हैं।
पिछले दिनों नगर निगम जालंधर की ओर से तैयार किए गए नंगलशामां स्थित डॉग कंपाउंड का दौरा करने आईं पीपुल्स फॉर एनीमल की सदस्य ने निगम को यह सुझाव दिया था कि पेट डॉग का रजिस्ट्रेशन कराया जाए ताकि डॉग स्टरलाइजेशन प्रोजेक्ट को अमल में लाने में कोई दिक्कत न हो।
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नगर निगम के सहायक हेल्थ अफसर डॉ. श्रीकृष्ण ने बताया कि अभी तक नगर निगम में ऐसा कोई नियम नहीं आया है। जिसके तहत पालतू पशुओं का रजिस्ट्रेशन किया जाए। सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी किए जाने की जानकारी मिली है लेकिन जब तक नोटिफिकेशन की कॉपी नहीं मिलती तब तक कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता। नोटिफिकेशन की कॉपी मिलने के बाद ही उसके अनुसार सरकार के आदेशों पर अमल कराया जाएगा। उसी के मुताबिक प्लान तैयार किया जाएगा।
नगर निगम के पशुधन विभाग के प्रभारी डॉ. राजकमल ने बताया कि निगम के दायरे में आने वाली अवैध डेयरियों में करीब एक हजार के आसपास पशु पाले जा रहे हैं लेकिन इनके रजिस्ट्रेशन का कोई नियम नहीं है क्योंकि नियमानुसार शहर में इन पशुओं को नहीं रखा जा सकता। इन्हें निगम के दायरे से बाहर ही रखा जाना है। आवारा पशुओं का आंकड़ा करीब पांच से छह हजार के बीच है।
इस संबंध में निगम कमिश्नर बसंत गर्ग ने कहा कि पालतू पशुओं के रजिस्ट्रेशन का कोई नियम है या नहीं यह चेक करना पड़ेगा। रिकॉर्ड चेक करने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा।
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