Jalandhar News: सूर्या एनक्लेव के आगे फुटओवर ब्रिज नहीं बना पाया NHAI, लोग हो रहे हादसों का शिकार
Jalandhar News सूर्या एनक्लेव के आगे फुटओवर ब्रिज नहीं होने से लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं। बीते कई वर्षों से इलाके के लोग फुटओवर ब्रिज बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन अब तक कुछ नहीं हो पाया है।
मनुपाल शर्मा, जालंधर। हादसों और लोगों की मांग के बावजूद नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (NHAI) सूर्या एनक्लेव के आगे हाईवे पार करने के लिए एक फुटओवर ब्रिज (एफओबी) नहीं बना पाया है। बीते वर्षों के दौरान हाईवे पार करते हुए सूर्या एनक्लेव के सामने कई हादसे हो चुके हैं और लोगों की जान भी जा चुकी है।
हाईवे के दोनों तरफ पैदल लोगों का भारी आवागमन होता है। एक तरफ सूर्या एनक्लेव व गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू का बहुत बड़ा रिहायशी क्षेत्र है तो दूसरी ओर इंडियन आयल डिपो है। लोग पैदल हाईवे क्रास करते हैं और तेज रफ्तार वाहनों से टकरा जाते हैं। कई महिलाएं भी हाईवे पार करती हुई हादसे का शिकार बन चुकी हैं। सूर्या एनक्लेव क्षेत्र शुरू होने से पहले एक फोर लेन रेलवे ओवर ब्रिज उतरता है।
हाईवे पार करते हुए वाहनों के नीचे आ रहे लोग
उसके शीघ्र बाद सिक्स लेन हाईवे शुरू हो जाता है। खुली जगह मिलते ही वाहन एकाएक अपनी रफ्तार बढ़ा देते हैं। हाईवे पार करते हुए लोग इन्हीं तेज रफ्तार वाहनों के आगे आ जाते हैं। रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे से होते हुए दोबारा हाईवे पर आना काफी लंबा रास्ता पड़ता है। इस वजह से वह अपनी जान हथेली पर रखकर सीधे हाईवे ही पार करने की कोशिश करते हैं।
हालांकि बीते वर्ष धन्नोवाली रेलवे क्रासिंग के समक्ष हाईवे पर एक कार हादसे के बाद एनएचएआइ गहरी नींद से जाग गया था और आनन-फानन में फुटओवर ब्रिज बना दिया। एनएचएआइ की तरफ से कुछ ऐसी जगहों पर फुटओवर ब्रिज बनाए गए हैं, जहां उनका प्रयोग न के बराबर ही हो रहा है।
572 करोड़ रुपए की लागत से प्रोजेक्ट तैयार
एनएचएआइ ने जालंधर-पानीपत सिक्सलेन हाईवे के ऊपर लगभग 572 करोड़ रुपए की लागत से कई छोटे-बड़े ब्रिज, ड्रेनेज, लाइटनिंग एवं हाईवे एंट्री-एग्जिट में सुधार लाने का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसमें जालंधर में अति जरूरी स्थानों पर फुट ओवरब्रिज बनाने का कोई उल्लेख नहीं है।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ सुरेंद्र सैनी ने कहा कि 572 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद भी जब लोगों को हाईवे पर बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही है तो इस प्रोजेक्ट का 100 फीसद फायदा नहीं होगा। लोगों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट में फुटओवर ब्रिज निर्माण भी शामिल किए जाने चाहिए।
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