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शहीद सतनाम की अर्थी को मां और बेटी ने दिया कंधा, लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों से झड़प में शहीद हुए सतनाम सिंह काे अंतिम विदाई दी गई। मां और बेटी ने शहीद की अर्थी को कंधा दिया तो बेटे ने सैल्‍यूट कर पिता को विदाई दी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 11:36 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 08:43 AM (IST)
शहीद सतनाम की अर्थी को मां और बेटी ने दिया कंधा, लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई
शहीद सतनाम की अर्थी को मां और बेटी ने दिया कंधा, लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

कलानौर (गुरदासपुर)ए सुनील थानेवालिया/ महिंदर सिंह अर्लीभन्न। लद्दाख में चीन के सैनिक के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए गुरदासपुर जिले के गांव भोजराज के शहीद नायब सूबेदार सतनाम सिंह को वीरवार शाम सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीद बेटे की अर्थी को कंधा मां जसबीर कौर और बेटी मनप्रीत कौर ने घर से श्मशानघाट तक दिया। गम और गुस्से के बीच क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि दी।

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सैन्य सम्मान के साथ नायब सूबेदार सतनाम सिंह पंचतत्व में विलीन

सतनाम सिंह सेना की तीन मीडियम रेजीमेंट के नायब सूबेदार थे। पार्थिव शरीर को विशेष विमान से चंडीगढ़ लाया गया। चंडीगढ़ से गुरदासपुर के तिब्बड़ी कैंट पहुंचाया गया। दोपहर बाद करीब चार बजे जैसे ही तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो मां जसबीर कौर, पत्नी जसविंदर कौर और बेटी मनप्रीत कौर की चीत्कार सुन पत्थरों का कलेजा छलनी हो गया।

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पत्नी से कहा था, जिस फौज का नमक 24 साल खाया है, उसके लिए शहीद हुआ तो सौभाग्यशाली मानूंगा

शहीद की पत्नी जसविंदर कौर विलाप करते हुए कह रही थी कि जब भी वह पति को कश्मीर में खतरे के बीच अपना ध्यान रखने की बात कहती थी तो हमेशा यही जवाब मिला 'जिस फौज का 24 साल नमक खाया है अगर उसका कर्ज तिरंगे में लिपटकर भी चुका पाया तो खुद को सौभाग्यशाली समझूंगा।'

वह पिता जागीर सिंह के नाम पर वृद्धाश्रम बनवाना चाहते थे। ड्यूटी पर जाते वक्त कह कर गए थे कि अगली छुट्टी में आकर घर का बाकी काम करवाऊंगा। मुझे क्या पता था कि अब कभी लौट कर नहीं आएंगे। शहीद के 18 वर्षीय बेटे प्रभजोतसिंह ने जब चिता को मुखाग्नि दी तो श्मशानघाट में मौजूद हर शख्स की आंखें छलक उठी। तिब्बड़ी कैंट से आए सेना की 1871 फील्ड रेजीमेंट के जवानों ने मेजर विनय पराशर की अगुआई में शहीद को श्रद्धांजलि दी।

छुट्टी में खुद काटी थी लकडिय़ां, उनसे ही चिता सजी 

शहीद के पिता जगीर सिंह ने बताया सतनाम जब छुट्टी आया था तो वह खुद लकडिय़ां काटकर गया था। आज वही लकडिय़ां उसकी चिता सजाने में लगी हैं। इस अनहोनी का पता होता तो इस लकड़ी को दान ही कर देते। शायद भगवान की कृपा से बेटा बच जाता।

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मां बोली-बेटे ने बलिदान देकर सिर ऊंचा किया

शहीद की मां जसबीर कौर ने कहा कि बेटे के जाने का गम तो बहुत है लेकिन उसकी शहादत पर गर्व भी है। देश के लिए बलिदान देकर उसे सिर फर्क से ऊंचा कर दिया है।

बेटे ने कहा, पापा का सपना करूंगा पूरा

शहीद के बेटे प्रभजोत का कहना था कि पापा का सपना था कि मेरा बेटा मेरी यूनिट में अफसर बने और मैं उसे सैल्यूट करूं। बेटी को सेना में डॉक्टर बनाना चाहते थे। अब वह भी विदेश जाने की जिद छोड़कर सेना में अफसर बनकर पिता का सपना पूरा करेगा।


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