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मेटीरियल केमेस्ट्री विज्ञानी का बड़ा दावा- चुटकी भर मीठा सोडा कर सकता है कोरोना का इलाज

राजस्‍थान के एक मेटीरियल केमेस्ट्री विज्ञानी ने दावा किया है कि कोरोना का इलाज महज खाने वाले मीठे सोडा से किया जा सकता है। उनका कहना है कि एक चुटकी सेाडा से इसका इलाज हाे सकता है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 08:23 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 08:23 AM (IST)
मेटीरियल केमेस्ट्री विज्ञानी का बड़ा दावा- चुटकी भर मीठा सोडा कर सकता है कोरोना का इलाज
मेटीरियल केमेस्ट्री विज्ञानी का बड़ा दावा- चुटकी भर मीठा सोडा कर सकता है कोरोना का इलाज

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह/कमल जोशी]। दुनिया भर में कहर मचा रहे कोरोना वायरस को क्या एक चुटकी भर मीठे सोडे से ठीक किया जा सकता है? इन दिनों देश-विदेश के विज्ञानी इसकी वैक्सीन खोजने में लगे हैं और इम्युनिटी में सुधार करके मरीजों को ठीक करने के दावे कर रहे हैं। मीठे सोडे के संक्रमण रोकने का दावा किसी नीम-हकीम का नहीं, बल्कि देश के जाने-माने मेटीरियल केमेस्ट्री के विज्ञानी व डिफेंस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) जोधपुर के पूर्व डायरेक्टर डॉ. नरेंद्र कुमार जैन का है।

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डीआरडीओ जोधपुर के पूर्व डायरेक्टर डॉ. नरेंद्र कुमार जैन ने कहा इस पर प्रयोग हो

डॉ. जैन चंडीगढ़ में ही रहते हैं। उनकी थ्योरी पर बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसिस के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्यारा लाल गर्ग ने संतुष्टि जताई है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि मेडिकल कॉलेजों में मरीजों पर इसका प्रयोग किया जाए। डॉ. जैन ने कोरोना वायरस के शरीर के सेल में दाखिल होने व फैलने के मैकेनिज्म पर स्टडी की है। दैनिक जागरण ने दोनों विशेषज्ञों से विस्तृत बातचीत की।

कैसे फैलता है शरीर में संक्रमण

डॉ. जैन ने कहा कि वायरस जब तक सेल में दाखिल नहीं होता तब तक यह बढ़ नहीं सकता। वायरस सबसे पहले मानव सेल के रिसेप्टर बाइडिंग डोमेन (एटम व मॉलीक्यूल को जोड़ कर रखने वाला प्रोटीन) को छूता है और एसीई-2 रिसेप्टर के संपर्क में आता है। वहां से दाखिल होकर यह शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचता है। सेल में सफलतापूर्वक जाने का सिद्धांत है कि वहां दो विपरीत इलेक्ट्रोस्टेटिक बल होने चााहिए।

डॉ. नरेंद्र कुमार जैन और डॉ. प्यारा लाल गर्ग। 

डॉ. जैन ने कोरोना के इन दो विपरीत इलेक्ट्रोस्टेटिक बल की पहचान की है। वायरस के पास पॉजिटिव चार्ज है, जबकि मानवीय सेल के मेंबरेन (एक प्रकार के बैरियर) में नेगेटिव चार्ज है। ये दोनों एक दूसरे को खींचते हैं। इस ङ्क्षखचाव से वायरस एसीई-2 के संपर्क में आकर मानव सेल में दाखिल होता है। वहां कई हिस्सों में बंटकर यह दूसरे अंगों में प्रवेश करता है।

कैसे रोका जा सकता है संक्रमण

डॉ. जैन के अनुसार अगर हम दो इलेक्ट्रोस्टेटिक बल को आपस में मिलने न दें तो वायरस आगे नहीं बढ़ पाएगा। कोशिका के इई-गिर्द मौजूद द्रव्य में पीएच (पानी की अम्लता नापने के स्केल) को एसिडिक <7 (बढ़ते क्रम में) से बदल कर एल्कलाइन >7 (घटते क्रम में) करके इसमें वायरस के प्रति गैर-आकर्षण पैदा किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति के लिए वाटर थेरेपी सुगम उपाय है।

उन्‍होंने कहा कि पीएच-8 स्तर का पानी इस थेरेपी का उपचार है, जिसे मीठे सोडे को पानी में मिलाकर बनाया जा सकता है। चुटकी भर मीठे सोडे को एक लीटर पानी में मिलाकर मरीजों को देने से शरीर में वायरस के संक्रमण की रफ्तार थम जाएगी।

मरीजों के दो ग्रुप बनाकर किया जाए ट्रायल

बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसिस के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्यारा लाल गर्ग ने पंजाब के सीएम कैप्टन अमङ्क्षरदर ङ्क्षसह, उनके चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग अग्रवाल को पत्र लिखकर कहा है कि वह मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में कोरोना के मरीजों पर इसका प्रयोग करें। उन्होंने मरीजों के एक ग्रुप को मीठा सोडा युक्त पानी व दूसरे को सामान्य पानी देकर स्टडी करने का सुझाव दिया है।


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