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Punjab Lok Sabha Election 2024: गुरदासपुर में सभी दलों की मुश्किलें बढ़ी, दमदार उम्मीदवार के लिए झांक रहे इधर-उधर

Punjab Lok Sabha Election 2024 पंजाब के गुरदासपुर में सभी राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कांग्रेस में अभी पार्टी से ही उम्मीदवार की तलाश है। पिछले चुनावों में भाजपा के सहयोगी रहे शिरोमणि अकाली दल के नेताओं को अभी गठबंधन की उम्मीद है। ऐसे में शिअद की ओर से अभी तक कोई चेहरा उम्मीदवार के तौर पर सामने नहीं आया है।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Published: Sat, 23 Mar 2024 12:31 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2024 12:31 PM (IST)
गुरदासपुर में सभी दलों की मुश्किलें बढ़ी

सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर। वर्ष 1952 में अस्तित्व में आए लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर में पहली बार ऐसी अजीबो-गरीब स्थिति बनी है कि सभी राजनीतिक पार्टियां जिताऊ व दमदार उम्मीदवार की तलाश में हैं। किसी भी पार्टी के पास चुनाव में उतारने के लिए पहले से ही तय कोई बड़ा चेहरा नहीं है। यही कारण है कि कई दावेदार होने के बावजूद भाजपा कांग्रेस व आप में और आप कांग्रेस, शिअद व भाजपा में मजबूत उम्मीदवार खंगाल रही है।

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कांग्रेस में अभी पार्टी से ही उम्मीदवार की तलाश है। पिछले चुनावों में भाजपा के सहयोगी रहे शिरोमणि अकाली दल के नेताओं को अभी गठबंधन की उम्मीद है। ऐसे में शिअद की ओर से अभी तक कोई चेहरा उम्मीदवार के तौर पर सामने नहीं आया है। वर्ष 1999 से 2014 तक भाजपा के पास अभिनेता विनोद खन्ना बड़ा चेहरा होते थे। उनके निधन के बाद 2019 के चुनाव में भाजपा ने सनी देओल को मैदान में उतारा था। आप के पास पहले से ही कोई बड़ा चेहरा नहीं है।

बाजवा ने विनोद खन्ना को हराकर बनी थी अपनी जगह

कांग्रेस के पास पहले बड़ा चेहरा प्रताप सिंह बाजवा व सुनील जाखड़ थे। बाजवा ने 2009 में विनोद खन्ना को हराया था। वहीं, विनोद खन्ना के निधन के बाद 2017 में हुए उपचुनाव में सुनील जाखड़ ने भाजपा प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया को हराया था। हालांकि, वर्ष 2019 का चुनाव वह सनी देओल से हार गए थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान गुरदासपुर में भाजपा से सनी देओल, कांग्रेस से सुनील जाखड़ और आप से पीटर मसीह चीदा ने चुनाव लड़ा था।

चुनाव लड़ चुके चेहरे जा रहे मैदान से बाहर

वहीं, पांच साल में हालात ऐसे बन चुके हैं कि चुनाव लड़ चुके सभी चेहरे मैदान से बाहर नजर आ रहे हैं। भाजपा के निवर्तमान सांसद सनी देओल खुद ही चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सुनील जाखड़ अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पीटर मसीह भी परिदृश्य से बाहर हैं। सनी देओल के मैदान छोड़ने के बाद भाजपा नया उम्मीदवार ढूंढ़ रही है। पहले विनोद खन्ना और बाद में सनी देओल के दम पर जीत प्राप्त करने वाली भाजपा के लिए इस बार राह आसान नहीं है।

सनी देओल के पांच साल क्षेत्र से गायब रहने के कारण लोगों में उनके (सनी) व भाजपा के प्रति नाराजगी है। यही कारण है कि भाजपा के लिए जीतने वाले और चर्चित चेहरे की तलाश जारी है। कुछ दिन पहले गुरदासपुर पहुंचीं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया के दौरे में उनके साथ नजर आईं पंजाबी फिल्म स्टार, एंकर और गायिका सतिंदर सत्ती का नाम भी एकदम से चर्चा में आ गया है।

विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना मजबूत दावेदार

सतिंदर सत्ती जहां फिल्म स्टार होने के कारण मशहूर और चर्चित चेहरा हैं, वहीं गुरदासपुर के बटाला की निवासी होने के कारण स्थानीय भी हैं। गत दिनों अमित शाह से मुलाकात का फोटो प्रसारित होने के बाद फतेहजंग सिंह बाजवा को भी भाजपा उम्मीदवार को तौर पर देखा जाने लगा है। इसके अलावा भाजपा की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा, पूर्व डिप्टी स्पीकर दिनेश बब्बू, स्व. विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना मजबूत दावेदार हैं।

परमजीत सिंह गिल के नाम की भी चर्चा

स्थानीय नेताओं में पूर्व जिला प्रधान अशोक वैद और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के परमजीत सिंह गिल के नाम की भी चर्चा है। कांग्रेस दस वर्ष से केंद्र की सत्ता से बाहर रहने के कारण मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारना चाहती है।

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विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के चुनाव न लड़ने के निर्णय के बाद पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है। उनके अलावा गुरदासपुर के विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा का नाम भी प्रबल माना जा रहा है। हालांकि, पाहड़ा खुद चुनाव लड़ने के बजाय अपने छोटे भाई नगर काउंसिल के प्रधान और यूथ कांग्रेस के जिला प्रधान एडवोकेट बलजीत सिंह पाहड़ा को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं।

बड़े नेताओं को भी चुनाव मैदान में उतारने की चर्चाएं जोरों पर

पाहड़ा परिवार को कांग्रेस के बड़े नेताओं का भी समर्थन है। इसी तरह पठानकोट के विधायक अमित विज के नाम पर भी चर्चा हो रही है। इन सबके बीच एक नाम अमरदीप सिंह चीमा का भी सामने आ रहा है, जो कि पिछले कुछ माह से फोन मैसेज के माध्यम से लोगों में पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि, पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से उनका सीधा तालमेल बहुत कम है। सत्ताधारी पार्टी आप के पास क्षेत्र में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। पंजाब हेल्थ कारपोरेशन सिस्टम के चेयरमैन रमन बहल और प्लानिंग बोर्ड के चेयरमैन जगरूप सिंह सेखवां का नाम भी समय-समय पर चर्चा में आ रहा है। हालांकि, आप में किसी दूसरी पार्टी के बड़े नेता को भी चुनाव मैदान में उतारने की चर्चाएं जोरों पर हैं।

मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में दूसरी राजनीतिक पार्टियों के दावेदारों पर भी नजर

मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में राजनीतिक पार्टियां दूसरी पार्टियों के मजबूत दावेदारों पर भी नजर रख रही हैं। बात अगर भाजपा और आप की करें तो कई बार कांग्रेस विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा के नाम को लेकर राजनीतिक चर्चा होती रही है। पिछले एक सप्ताह के दौरान यह माना जा रहा था कि पाहड़ा किसी भी समय आप या भाजपा में से किसी एक का दामन थाम सकते हैं।

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इसका कारण यह है कि वह अपने भाई एडवोकेट बलजीत सिंह पाहड़ा को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस उन्हें चुनाव लड़ाना चाहती है। शिअद के पूर्व विधायक गुरबचन सिंह बब्बेहाली के आप में शामिल होने की चर्चा भी हो रही है। भाजपा नेता और 2019 में भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने वाले स्वर्ण सलारिया का नाम कांग्रेस के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।


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