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बेटे की घर वापसी को लेकर चिंतित है हरजीत की मां

संवाद सहयोगी, बटाला : इराक में फंसे 40 नौजवानों के परिवारों को आज भी इंतजार है कि कब उनके बच्चे

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 08:54 PM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 08:54 PM (IST)

संवाद सहयोगी, बटाला :

इराक में फंसे 40 नौजवानों के परिवारों को आज भी इंतजार है कि कब उनके बच्चे सही सलामत घर आएंगे। लेकिन लाख दावों के बावजूद केंद्र सरकार से लोगों को आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिल रहा। गुरदासपुर के गांव काला अफगाना निवासी हरजीत मसीह भी उन्हें लोगों में शामिल हैं, लेकिन उसके परिवार का कहना है कि उनका बेटा आतंकियों की गिरफ्त में नहीं बल्कि भारतीय दूतावास के पास है, लेकिन इसके बावजूद उसे भारत नहीं भेजा जा रहा। हालांकि केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने भी माना है कि वह उनके संरक्षण में है और सुरक्षित है। जिसके बाद हरजीत की मां की उम्मीद बढ़ गई है।

हरजीत मसीह की मां शिंदर मसीह ने बताया कि हरजीत अपने अच्छे भविष्य और परिवार की गरीबी दूर करने की सोच लेकर कर्ज उठाकर करीब एक साल पहले इराक गया था और वहां मसूल में एक कंपनी में काम करने पहुंचा तो इराक में चल रहे गृह युद्ध के चलते वहां आतंकियों के हत्थे चढ़ गया। हरजीत भी उन 40 नौजवानों में है जिन्हें अगवा किया गया है।

हरजीत के चचेरे भाई रोबिन मसीह ने बताया कि 12 जून को हरजीत और दूसरे नौजवानों को अगवा किया गया था और 15 जून को उसका भाई आतंकियों के कब्जे से भाग निकला। परिजनों का कहना है कि उनकी अगस्त में आखिरी बार हरजीत सिंह बात हुई थी। जब उसने बताया था कि उसे पैर में गोली लगी है और वह घायल हुआ था और अब वह भारतीय एबेंसी के लोगों के पास है और सुरक्षित है।

लेकिन हरजीत की मां शिंदर का कहना है कि हरजीत वहां से किसी अधिकारी की निगरानी में फोन पर उनसे कई बार बात करता था, लेकिन उसने उसे मना किया था कि वह किसी को नहीं बताए कि उसका फोन आता है और वह इराक में है। हरजीत के परिजनों का कहना है कि हरजीत ने उन्हें बताया था कि उसे दस दिसंबर तक भारत भेजा जाएगा और भारत सरकार की तरफ से नौकरी भी दी जाएगी। यही कारण था कि वह किसी भी अधिकारी व मंत्री से नहीं मिले।


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