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बाढ़ में लेजर व थर्मल इमेजिंग से होगी भारत-पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा

अभी तक हाईमास्ट लाइट व नाइट विजन कैमरा से रात को गश्त करने वाली बीएसफ अब लेजर व थर्मल इमेजिंग तकनीक का सहारा लेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 21 Jul 2016 06:54 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jul 2016 07:53 PM (IST)
बाढ़ में लेजर व थर्मल इमेजिंग से होगी भारत-पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा

फिरोजपुर [प्रदीप कुमार सिंह]। बाढ़ की आड़ लेकर सतलुज नदी से होते हुए सीमा पार से घुसपैठ करने की ताक में बैठे पाक तस्करों व आतंकियों को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) इस बार आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करेगा। भारत-पाक सीमा के फिरोजपुर सेक्शन के अधिकतर प्वाइंट्स पर यह सिस्टम इंस्टॉल कर दिया गया है। अभी तक हाईमास्ट लाइट व नाइट विजन कैमरा से रात को गश्त करने वाली बीएसएफ अब लेजर व थर्मल इमेजिंग तकनीक का सहारा लेगी। इस तकनीक से सीमा पर हर हरकत का तत्काल पता चल जाएगा और जवान कार्रवाई कर सकेंगे।

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यह आधुनिक तकनीक पहली बार पंजाब की लगभग 600 किलोमीटर लंबी सरहद पर लगाई गई है। फिरोजपुर जिले के हरिके हेड से निकलकर सतलुज नदी कुल 14 बार भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा को क्रॉस करती है। जुलाई-अगस्त में बाढ़ का फायदा उठाकर तस्कर व देश के दुश्मन सरहद पार से घुसपैठ को तैयार रहते हैं। बाढ़ आने पर दरिया की चौड़ाई बढ़ जाती है और फेंङ्क्षसग डूब जाती है। पिछले कुछ सालों में कई तस्कर पाइप के सहारे ऑक्सीजन लेकर घुसपैठ की कोशिश करते हुए पकड़े जा चुके हैं। अब इस आधुनिक तकनीक से ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।

बीएसएफ के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि कुछ वर्षों की अपेक्षा इस बार बीएसएफ ज्यादा हाईटेक है। सरहद के किनारे चाहे वह सतलुज नदी का हिस्सा हो या सामान्य जगह, यहां हाईमास्ट लाइट्स टावर लगाए गए हैं। इनसे दूर-दूर तक होने वाली हर हरकत पर जवानों की नजर रहती है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर नाइट विजन कैमरों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

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क्या है लेजर व थर्मल इमेजिंग तकनीक

लेजर तकनीक सरहद पर अप्रत्यक्ष दीवार की तरह काम करेगी, जबकि थर्मल इमेजिंग तकनीक के संपर्क में आने से आदमियों व पशु-पक्षियों की जानकारी उनके बॉडी टेंपरेचर से कंट्रोल रूम को मिल सकेगी। इससे पता चल सकेगा कि सरहद पर किस हिस्से में घुसपैठ की कोशिश हुई है। इससे जवान तुरंत एक्शन ले पाएंगे।

बाढ़ में डूब जाती है फेंसिंग

जुलाई व अगस्त का महीना बीएसएफ के लिए फिरोजपुर बॉर्डर रेंज में भारी मुश्किल भरा होता है। सतलुज नदी में पानी बढऩे पर बीएसएफ को फेंसिंग छोड़कर पीछे आना पड़ता है। बीएसएफ को सीमा से काफी दूर पोस्ट बनानी पड़ती है। हालांकि जवान कमर तक पानी में भी गश्त करते रहते हैं। बीएसएफ के मोटरबोट सेल के जवान भी दिन-रात पेट्रोङ्क्षलग करते हैं। बाढ़ से सरहद का सही अंदाजा नहीं लगता। ऐसे में लेजर तकनीक काफी मददगार साबित होगी।

गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने बुधवार को खेमकरण के गांव आसल उताड़ में परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद की समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देने के बाद कहा था कि सीमा की सुरक्षा आधुनिक लेजर वॉल सिस्टम से की जाएगी। हाल ही में फाजिल्का और अमृतसर सीमा पर छह घुसपैठिए मारे जा चुके हैं।

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