Battle against Corona: कर्फ्यू से टेंशन में किसान, खेतों में तैयार फसलों की कटाई की चिंता बढ़ी
पंजाब में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जारी कर्फ्यू से किसानों के लिए समस्या पैदा हो गई है। उनके खेतों में गेहूं की फसल पक गई है और इसकी कटाई काे लेकर उनमें चिंता है।
चंडीगढ़/फतेहगढ़ साहिब, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में मौसम साफ हो गया है। बेमौसमी बरसात के बाद जैसे-जैसे गेहूं की फसल तैयार हो रही है किसानों चिंता बढ़ती जा रही है। आम तौर पर पंजाब की मंडियों में पहली अप्रैल से अगेती बिजाई की फसल आने लगती है। इस बार मौसम में बदलाव की वजह से पहले से ही दस से 15 दिन देर से फसल पक रही है। कोरोना वायरस के खतरे और देशव्यापी 21 दिन के लॉक डाउन को देखते हुए पंजाब सरकार ने गेहूं की खरीद को पहले से ही 15 दिनों के लिए टाल दिया है।
ज्यादातर गेहूं की कटाई कंबाइनों से होती है, लेकिन कर्फ्यू की वजह से किसान मरम्मत नहीं करवा पा रहे
पंजाब की 1918 मंडियों में गेहूं की फसल अब 15 अप्रैल से आनी शुरू होगी। किसानों की समस्या यह नहीं है। फतेहगढ़ साहिब के कई गांवों का दौरा करने के दौरान देखने में आया कि किसानों की चिंता वाजिब है। पंजाब में 45 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई होती है और करीब 185 लाख टन फसल की पैदावार होती है।
पंजाब में कुल 18 हजार कंबाइन, लेकिन कई दूसरे राज्यों में पड़ी हैैं, करीब 185 लाख टन गेहूं की होती है उपज
राज्य में ज्यादातर कटाई कंबाइनों से ही होती है। राज्य में कुल 18 हजार कंबाइनें हैं, लेकिन समस्या यह आ रही है कि पिछले दस दिन से किसान अपनी कंबाइन ठीक नहीं करवा पा रहे हैं। लंबे समय से खड़ी कंबाइन को चलाने से पहले उसकी सर्विस करवानी जरूरी होती है, लेकिन सभी वर्कशॉप बंद हैै। जो किसान थोड़ा बहुत काम खुद जानते हैं, उन्हें खराब सामान बदलने के लिए नया सामान बाजार से नहीं मिल रहा है क्योंकि सभी बाजार मुकम्मल तौर पर बंद हैं।
फरवरी में ज्यादातर कंबाइनें मध्य प्रदेश चली गईं
गांव रूपाल हेड़ी के किसान अजमेर सिंह ने बताया कि वह कंबाइन से अपनी फसल काटने के साथ ही आसपास के गांवों की फसल भी काटते हैैं, लेकिन अभी मशीन ठीक नहीं करवा पाए हैैं। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में सबसे पहले गेहूं की कटाई शुरू होती है, इसलिए फरवरी में ही पंजाब की ज्यादातर कंबाइनें मध्य प्रदेश में चली जाती हैं। वहां से कटाई करते हुए आगे आगे बढ़ती हैं अप्रैल में उन्हें पंजाब में काम मिलता है। निश्चित रूप से किसानों के साथ ही तमाम कंबाइन मालिकों को भी काफी नुकसान होगा।
उप्र व बिहार जा रहे श्रमिकों ने बढ़ाई चिंता
गांव सेम्पला, घेल आदि में भी इसी तरह की समस्या से किसानों को दो-चार होना पड़ रहा है। अजीत सिंह ने बताया कि कंबाइन अभी तक ठीक नहीं हुई है। सारा दारोमदार बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाली लेबर पर ही टिका हुआ था, लेकिन कोरोना के चलते इन दिनों में यह लेबर भी पलायन कर रही है। हमारे पास अपने जो पक्के श्रमिक हैं वहीं रह गए हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर उनसे गेहूं की कटाई और भूसे की संभाल कर पाना संभव नहीं है।
श्रमिकों के मुद्दे पर बिहार के सीएम व केंद्र से बात करें कैप्टन : चीमा
पंजाब आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रविंदर सिंह चीमा ने कहा कि पिछले 15 सालों से मंडियों का काम अब बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाली लेबर पर निर्भर हो गया है। इसलिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह यह मामला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार के पास उठाएं। श्रमिकों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जाए ताकि वह पंजाब और हरियाणा की मंडियों में आ सके। इसके अलावा पंजाब की लोकल लेबर को भी नए सिरे से इस काम में लगाना एक विकल्प हो सकता है। पहले भी लोकल लेबर मंडियों में यह काम करती रही है।
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पास के लिए डीसी को निर्देश जारी : पन्नू
कृषि विभाग के सेक्रेटरी काहन सिंह पन्नू ने बताया कि सभी जिलों के जिला उपाय को निर्देश जारी कर दिए हैं कि कंबाइन से होने वाली कटाई के लिए सभी संबंधित को पास जारी कर दिए जाएं जिससे उन्हें कोई दिक्कत न आए।
एक करोड़ टन से ज्यादा अनाज की खरीद
-पंजाब में 45 लाख हेक्टेयर में पैदा होता है करीब 185 लाख टन गेहूं
-प्रदेश की 1918 मंडियों में गेहूं की फसल 15 अप्रैल से आएगी
-125 से 130 लाख टन मंडियों में आता है जिसे अधिकतम 25 दिनों में खरीदा जाता है।
-15 दिनों में एक करोड़ टन अनाज खरीद लिया जाता है जो एशिया का सबसे बड़ा ऑपरेशन है।
-पंजाब की पहले पांच एजेंसियां खरीद करती थीं, लेकिन अब पंजाब एग्रो को इस काम से बाहर कर दिया गया है।
-केंद्र की एजेंसी एफसीआइ (भारतीय खाद्य निगम) मात्र आठ से दस फीसद तक खरीद करती है।
-बाकी अनाज पंजाब वेयरहाउसिंग कारपोरेशन, पनग्रेन, पनसप व मार्कफेड जैसी एजेंसियां खरीतती हैं।
-पंजाब के गोदामों में इस समय 200 लाख टन चावल और गेहूं पड़ा है।
-हर महीने 15 लाख टन अनाज ही दूसरे राज्यों में जा रहा है।
-चूंकि गेहंू का भंडारण खुले में भी हो जाता है, इसलिए यह बड़ी समस्या नहीं है।
-असल चुनौती यह है कि किसान कम से कम संख्या में मंडियों में पहुंचें।
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कोरोना...) कंट्रोल रूम में सुबह 8 से शाम 8 बजे तक किसानों की समस्याएं सुनेंगे अधिकारी
रा'य ब्यूरो, चंडीगढ़: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने रा'य स्तरीय कंट्रोल स्थापित किया है। रबी की कटाई का सीजन शुरू हो रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि खरीफ की फसल के लिए भी बीज, खाद व कीटनाशकों का बंदोबस्त किया गया है। किसान कंट्रोल रूम में अधिकारी सुबह 8 से शाम 8 बजे तक किसानों की समस्याएं सुनेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास विसवाजीत खन्ना ने बताया कि इसके लिए नंबर जारी कर दिए गए हैं।
-बीजों की उपलब्धता के लिए कृषि विकास अफ़सर विक्रम सिंह (98155 -20190, 79730 -82185)
-खाद की उपलब्धता के लिए एडीओ (इनपुट्स) गिरिश (94782 -71833) व मुख्य खाद इंस्पेक्टर गुरजीत सिंह बराड़ (80546 -00004)
-कीटनाशकों की उपलब्धता के लिए कृषि विकास अफसर पंकज सिंह (94630 -73047)
-सिंचाई पानी के लिए हाइड्रोलॉजिस्ट जसवंत सिंह (87258 -27072)
-मशीनरी सबंधी दिक्कतों के लिए इंजीनियर राजन कुमार ढल (98551 -02604)
-फसलों की बीजाई और अन्य तकनीकी जानकारी के लिए कृषि विकास अफसर (सूचना) सुङ्क्षरदर सिंह (98146-65016)
-किसान पूछताछ के लिए किसान कॉल सेंटर 1800-180-1551 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
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