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Bullet Train: अमृतसर-दिल्ली बुलेट ट्रेन के लिए सर्वे हुआ शुरू, 12 टीमें पंजाब पहुंची

सर्वे का काम आईआईएम रिसर्च दिल्ली की ओर से किया जा रहा है जिनकी 12 टीमें पंजाब में पहुंची हुई हैं। जिस रूट से बुलेट ट्रेन को निकलना है उनके किन गांवों की कितनी जमीन और किस किस की जमीन आ रही है इसका काम शुरू करने के लिए आज एक टीम महेंद्र प्रसाद की अगुवाई में जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव डडियाणाा में आई हुई थी।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerPublished: Tue, 19 Sep 2023 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 19 Sep 2023 04:00 AM (IST)
अमृतसर-दिल्ली बुलेट ट्रेन के लिए सोशल इकोनामिक सर्वे हुआ शुरू (file photo)

इन्द्रप्रीत सिंह, डडियाणा (फतेहगढ़ साहिब): अमृतसर से दिल्ली के लिए बनने वाली बुलेट ट्रेन का सोशल इकोनामिक सर्वे शुरू हो गया है इससे साफ जाहिर है कि सरकार ने अमृतसर से दिल्ली की ओर वाया चंडीगढ़ हाई स्पीड रेलवे ट्रैक बनाने को मंजूरी दे दी है और इसके लिए रूट फाइनल कर लिया गया है।

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ग्रीन फील्ड में बनने वाले इस हाई स्पीड कॉरिडोर के लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है। सर्वे का काम आईआईएम रिसर्च दिल्ली की ओर से किया जा रहा है जिनकी 12 टीमें पंजाब में पहुंची हुई हैं। जिस रूट से बुलेट ट्रेन को निकलना है उनके किन गांवों की कितनी जमीन और किस किस की जमीन आ रही है इसका काम शुरू करने के लिए आज एक टीम महेंद्र प्रसाद की अगुवाई में जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव डडियाणाा में आई हुई थी।

द्वारिका से चलेगी...

टीम के गांव में पहुंचने से दो दिन पहले ही उन्हें गुरुद्वारा साहिब के स्पीकर से सोमवार के लिए आमंत्रित किया गया ताकि जिन लोगों की जमीन आ रही है उन्हें इसके बारे में बताया सके। महेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह ट्रेन दिल्ली के द्वारिका से चलेगी और सोनीपत, पानीपत होते हुए चंडीगढ़ पहुंचेंगी जहां से यह लुधियाना, जालंधर होते हुए अमृतसर -1 तक जाएगी। सभी जगह इसके अलग स्टेशन बनेंगे।

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मसलन चंडीगढ़ में इसका स्टेशन मोहाली में बनाया जाएगा जिसके लिए अलग से सर्वे होगा। अभी केवल रूट फाइनल हुआ जिसमें 365 गांवों की जमीन आ रही है। उन्होंने बताया कि रेल ट्रैक के लिए 55 फुट चौड़े रकबे की जरूरत है और ड्रोन से पूरा रूट तैयार कर लिया गया है और 365 गांवों की जितनी भी जमीन आ रही है उनमें कौन कौन लोग रहते हैं, उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत क्या है?

अधिगृहीत होने वाली जमीन क्या मोटर आदि लगी है, पेड़ हैं या मकान आदि बना हुआ है इसका सर्वे करके रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उन्होंने बताया कि सोशल इक्नाॅमिक सर्वे का काम पूरा होने के बाद मिट्टी की जांच आदि का काम शुरू होगा। वह अलग से होगा। महेंद्र प्रसाद ने बताया कि 12 टीमें हर रोज लगभग 12 गांवों के लोगों का सर्वे करती हैं और रोजाना डाटा अपडेट करके भेजा जा रहा है।

हाई स्पीड रेलवे ट्रैक के लिए जमीन देने के मामले को लेकर गांवों के लोगों में बेचैनी भी दिखी और अधिकांश लोग यह भी जानना चाहते थे कि इसके लिए कितना मुआवजा दिया जा रहा है। गांव डडियाणा की 36 लोगों की 15614.44 फुट जमीन आ रही है। गांव वासी अवतार सिंह संधू की तीन खेतों की लगभग दो कनाल जमीन 2914 फुट जमीन आई है लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि यह जमीन उनकी किस खेत से जाएगी।

सर्वे टीम के मोहिंदर प्रसाद उन्हें उनकी जमीन के प्लाट नंबर बता रहे हैं जबकि गांव वालों को खसरा और खेवट से जमीन की पहचान होती है। महेंद्र प्रसाद को अपनी बात समझाने में दिक्कत आ रही है। अवतार सिंह उनसे बुलेट ट्रेन का नक्शा मांग रहे हैं ताकि वह यह पता कर सकें कि उनकी किस जमीन से ट्रेन निकलेगी। अवतार सिंह की परेशानी यह भी है कि उनका घर खेतों में बना हुआ है।

इसलिए उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि क्या बुलेट ट्रेन के रास्ते में उनका घर भी आ रहा है। अधिकांश लोग अपनी जमीन बुलेट ट्रेन के लिए नहीं देना चाहते। दर्शन सिंह जिनकी जमीन बुलेट ट्रेन के रास्ते में आ रही है ने बताया कि ट्रेन उनकी जमीन के एकदम बीच से निकलेगी, ऐसे में आधी जमीन एक तरफ हो जाएगी और आधी दूसरी तरफ। ऐसे तो खेती करना मुश्किल हो जाएगा।

बहादुर सिंह की जमीन तीन जगह पर आ रही है लेकिन वह भी यह जानना चाहते हैं कि आखिर उनकी जमीन किस भाव पर खरीदी जा रही है। लेकिन महेंद्र प्रसाद उन्हें यह बताने में नाकाम हो रहे हैं कि यह सर्वे जमीन का मुआवजा देने का नहीं बल्कि उनकी सामाजिक आर्थिक हालात का किया जा रहा है। वह उन्हें बता रहे हैं कि पूरी ट्रेन पिल्लर पर चलेगी। इसलिए नीचे से निकलने में कोई बाधा नहीं है।


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