SYL पर 11 से पहले आ सकता है फैसला, सांसद-विधायक देंगे इस्तीफा : कैप्टन
अमरिंदर सिंह ने कहा कि एसवाइएल पर 11 नवंबर से पहले सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना देगा। अगर फैसला पंजाब के विरोध में आया तो यहां से कांग्रेस विधायक व सांसद इस्तीफा दे देंगे।
जेएनएन, चंडीगढ़ । पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि एसवाइएल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट 11 नवंबर से पहले फैसला सुना सकती है। यह फैसला पंजाब के खिलाफ आएगा। उन्होंने बताया कि 11 नवंबर को इस केस से जुड़े एक जज सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उनके सेवाकाल में ही यह फैसला आएगा।
अमरिंदर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री बादल ने दस साल सत्ता में रहने के बावजूद इस केस की पैरवी गंभीरता से नहीं की। बादल द्वारा पंजाब के खिलाफ आने वाला फैसला नामंजूर करते हुए किसी भी कुर्बानी के लिए तैयार रहने के बयान पर टिप्पणी करते हुए कैप्टन ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असम्मान नहीं करना चाहिए। बादल केवल माहौल खराब करने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं ताकि इसका चुनावी फायदा उठाया जा सके।
अमरिंदर ने साथ ही कहा कि कांग्रेस ऐसी सूरत में बड़ा कदम उठाएगी। इसके विरोध स्वरूप वह खुद लोकसभा सदस्यता से और सभी पार्टी विधायक अपने पद से इस्तीफा देंगे और जनता में जाएंगे। पंजाबी सूबे के सवाल पर कैप्टन ने कहा कि अकाली दल ने केवल सत्ता में आने के लिए पंजाबी सूबा बनाया था, क्योंकि ज्वाइंट पंजाब में अकाली कभी पंजाब की सत्ता में नहीं आ सकते थे। अपने निजी लाभ के लिए अकाली दल ने पूरा हरियाणा, कांगड़ा, शिमला और लाहौल-स्पीति तक की जमीन न केवल छोड़ दी बल्कि हाइड्रो प्रोजेक्ट व अन्य प्राकृतिक संसाधन भी हिमाचल को दे दिए।
अमरिंदर ने कहा कि प्रताप सिंह कैरों ने पंजाब की पाकिस्तान से लगती सीमा से दूर फरीदाबाद और गुरुग्राम में इंडस्ट्री लगाई थी लेकिन अब वह हरियाणा में है। नवजोत सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर अमरिंदर ने कहा कि जो भी बिना शर्त कांग्रेस में आना चाहता है, उसका स्वागत है। सिद्धू की कांग्रेस में किस नेता से क्या बात हुई है, इसका उन्हें नहीं पता। सिद्धू के डिप्टी सीएम पद की ऑफर पर उन्होंने कहा कि मीडिया खुद ही ऐसी खबर बनाता है, फिर सवाल पूछता है।
1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर को बचाने के सवाल पर अमरिंदर ने कहा, 'मैं 50 बार इसका जवाब दे चुका हूं, आज फिर बताता हूं लेकिन अब कभी यह सवाल न करना। आपरेशन ब्लू स्टार के समय उन्होंने कांग्रेस और लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। 31 अक्टूबर,1984 को जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तब वह और रवि इंद्र सिंह प्राइवेट प्लेन से दिल्ली सफदरजंग एयरपोर्ट पहुंचे।
सुरजीत सिंह बरनाला और बलवंत सिंह भी जाना चाहते थे मगर उन्हें रोक दिया गया था।' अमरिंदर ने कहा कि चार नवंबर को गुरुपर्व था। माहौल बड़ा खराब था, वह दिल्ली में कैंपों में रह रहे सिख दंगा पीडि़तों से मिले और उनसे दंगों में शामिल लोगों के बारे में पूछा। तब उन्हें सज्जन कुमार, ललित माकन, एचकेएल भगत, धर्मदेव शास्त्री समेत पांच लोगों के नाम बताए गए मगर किसी भी दंगा पीड़ित ने टाइटलर का नाम नहीं लिया था।
टाइटलर का नाम छह महीने बाद तब आया जब भाजपा के मदन लाल खुराना ने टाइटलर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि अकाली दल चुनाव के समय ही सिख विरोधी दंगों का मुद्दा उठाता है।