कर्जमाफी नहीं होने से पंजाब के किसान निराश, राहत की आस रही अधूरी
पंजाब के किसान कर्जमाफी नहीं होने से निराश हैं। किसानों को उम्मीद थी कि मोदी और उसके बाद कैप्टन अमरिंदर सरकार से पूरी राहत नहीं मिलने से नाखुश हैं।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। मोदी सरकार से किसानों के मामले में पंजाब को निराशा हाथ लगी है। पहले पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अब कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार केंद्र सरकार से किसानों की आत्महत्याओं का हवाला देते हुए उनके कर्ज माफी की मांग करती आ रही है। शिरोमणि अकाली दल केंद्र की मोदी सरकार में भागीदार भी है, इसके बावजूद बादल की इस मांग को पर केंद्र सरकार ने कोई गौर नहीं किया था। अब कैप्टन की मांग भी नहीं मानी गई। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया कि कर्ज माफी के वादे राज्य सरकारें अपने स्रोतों से ही पूरे करें।
एमएस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू न करने से किसान नाखुश
चुनाव से पहले हरियाणा के रेवाड़ी में किसानों की एक जनसभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि किसानों को कर्ज जाल से निकालने के लिए वह डॉ. एमएस स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करेंगे। सत्ता में आने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट फाइल करके यह कह दिया कि सरकार इस रिपोर्ट को लागू नहीं कर सकती। किसान इसे अपने साथ धोखा बताते हैं।
भाकियू के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल का कहना है कि किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत न मिलने के कारण ही उन पर कर्ज चढ़ रहा है। जिन कंधों पर किसानों को इस बोझ से निजात दिलाने का भार है वही उनसे धोखा कर रहा है।
नहीं मिला कोई विशेष पैकेज
पंजाब में पिछले कई सालों से किसानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पहले प्रकाश सिंह बादल और फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि के लिए केंद्र सरकार से विशेष पैकेज की मांग की। पंजाब में भूजल चिंतनीय स्तर तक गिर चुका है। केंद्र सरकार धान को लगातार प्रमोट कर रही है। प्रदेश में धान का रकबा 29 लाख हेक्टेयर को पार कर चुका है।
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पंजाब सरकार की ओर से मोदी सरकार से किसानों को डाइवर्सिफिकेशन के लिए 6000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने की मांग की गई थी लेकिन इसमें से एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली।
फसल बीमा योजना को भी पंजाब ने नकारा
कृषि के मामले में तीसरी बड़ी निराशा फसल बीमा योजना को लेकर हुई। केंद्र सरकार ने इसे राज्यों पर लागू किया तो पंजाब ने इसे खारिज कर दिया। दरअसल, फसली बीमा योजना में कई प्रस्ताव ऐसे हैं जो पंजाब को अनुकूल नहीं लग रहे। इनमें संशोधन के लिए भी सरकार ने कुछ नहीं किया।
रिसर्च के लिए भी नहीं मिली कोई रकम
यूपीए सरकार की तर्ज पर कैप्टन सरकार ने भी मोदी सरकार से पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में नई रिसर्च के लिए 100 करोड़ रुपये देने की मांग की थी लेकिन सरकार ने इसे पूरा नहीं किया।
131 हजार करोड़ के फूडग्रेन की फाइलें भी हुई बंद
अनाज खरीद को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के हिसाब-किताब में हुई गड़बड़ संबंधी 131 हजार करोड़ रुपये की देनदारी को केंद्र सरकार ने पूरी तरह से राज्य सरकार पर डाल दिया। हालांकि पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के साथ हुए मौखिक समझौते में यह वादा किया गया था कि इस राशि में से 18 हजार करोड़ के ब्याज को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा। यानी एक तिहाई हिस्सा राज्य सरकार, एक तिहाई हिस्सा केंद्र सरकार और एक तिहाई हिस्सा बैंक वहन करेंगे।
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