भाजपा के पंजाब प्रभारी बोले, सिद्धू की सोच वह ही सिर्फ ईमानदार, बाकी सब भ्रष्ट
प्रभात झा ने कहा कि सिर्फ मैं ही ईमानदार हूं, बाकी सब भ्रष्ट, इस सोच से दुनिया नहीं चलती। सिद्धू की भी यही सोच है कि केवल वही ईमानदार हैं।
चंडीगढ़ । नवजोत सिंह सिद्धू के अचानक इस्तीफे से राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है। पंजाब में हरेक दल की नजर उनके अगले कदम पर टिकी है। वे भाजपा से चुन कर तीन बार संसद पहुंचे, एक बार पार्टी ने उन्हें राच्यसभा के लिए मनोनीत किया। अब अकस्मात ऐसा कदम उठाने से भाजपा को बड़ा झटका लगा है। सिद्धू प्रकरण पर पंजाब का कोई भाजपा नेता बोलने को तैयार नहीं, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी अब तक कोई टिप्पणी नहीं की। ऐसे में सिद्धू प्रकरण, अकाली-भाजपा गठबंधन के आपसी रिश्तों और अन्य राजनीतिक मसलों पर पंजाब भाजपा प्रभारी और राच्यसभा सदस्य प्रभात झा के साथ बात की जागरण के ब्यूरो प्रमुख हरिश्चंद्र ने ..
-सिद्धू ने भाजपा में 12 साल रहने के बाद अचानक क्यों इस्तीफा दिया, उनकी पत्नी भी पार्टी व गठबंधन के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं?
सिद्धू क्रिकेटर हैं और उनकी पत्नी एक अच्छी गायनोकोलॉजिस्ट। वह सेलिब्रिटी हैं, मूलत: राजनीति से न आने के कारण जो कठिनाइयां होती हैं, उन्हें वही हो रही हैं। अब मैं चाहे पद पर रहूं न रहूं, राज्यसभा सदस्य रहूं, न रहूं, मगर मैं पॉलिटिकल सिस्टम से आया हूं, तो मुझे ऐसी कोई तकलीफ नहीं होगी। यह केवल उनकी ही नहीं हर उस व्यक्ति की नेचुरल प्रॉब्लम है, जो सिस्टम से नहीं आते।
-सिद्धू अब पार्टी पर आरोप क्यों लगा रहे हैं?
पार्टी ने ही उन्हें तीन बार लोकसभा भेजा। एक बार राच्यसभा के लिए मनोनीत किया। राष्ट्रपति की ओर से राच्यसभा के लिए मनोनयन छोटी चीज नहीं होती, मगर सिद्धू ने उनका भी निरादर किया। सिर्फ मैं ही ईमानदार हूं, बाकी सब भ्रष्ट, इस सोच से दुनिया नहीं चलती। सिद्धू की भी यही सोच है कि केवल वही ईमानदार हैं।
-उनकी पत्नी की अनुशासनहीनता के लिए पार्टी उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करना चाहती?
जब कोई खुद ही कुल्हाड़ी पर पैर मारने पर आमादा हो तो पार्टी क्यों अपनी कुल्हाड़ी चलाए। वह इसी कारण इतना बोल रही हैं, ताकि पार्टी कोई एक्शन ले। अगर पार्टी पूछे कि विधायक रहते हुए साढ़े चार साल में उन्होंने पार्टी को क्या दिया, पार्टी के लिए क्या किया।
-सिद्धू की नाराजगी की वजह क्या रही?
जिस पार्टी ने उसे सीने से लगाया, सरताज बनाया, आज वो उस पार्टी पर इस तरह के आरोप लगाए, यह समझ से परे है। उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया, संसद में कई बार मिले और हर बार यही कहा कि पार्टी उनके लिए मां है। अपनी मां के साथ उन्होंने ऐसा व्यवहार क्यों किया, अब ये तो वही बेहतर बता सकते हैं।
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-सिद्धू के जाने से पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई कैसे होगी?
अगर कोई नेता कार्यकर्ता के तौर पर नहीं रहता तो कार्यकर्ता उसे छोड़ देते हैं। हमारा संगठन ऐसा है कि कोई नेता पार्टी छोड़ कर जाता है तो वर्कर साथ नहीं जाता। उनसे पहले भी हमारे कई मुख्यमंत्री रहे नेता तक पार्टी छोड़कर जा चुके हैं, मगर आज वो कहां है, कोई वर्कर तो उनके साथ नहीं गया।
-उनके विकल्प के तौर पर कौन सिख चेहरा अब आपके पास है?
मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल। उनसे बड़ा सिख नेता पंजाब में कौन है, वह गठबंधन का ही चेहरा हैं और पंजाब में हमारे नेता भी। 1997 से हमारा गठजोड़ पंजाब में बादल के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है।
-पंजाब में आम आदमी पार्टी अपना काफी आधार बना चुकी है, आपकी क्या रणनीति रहेगी?
आप पंजाब को दिल्ली न समझे। दिल्ली में दिया गया धोखा पंजाब के लोग अच्छे से समझ रहे हैं। डेढ़ साल अभी आप की दिल्ली में सरकार को नहीं हुए, उनके 11 विधायक जेल जा चुके हैं, 21 पर तलवार लटक रही है। आप अवसरवादी राजनीति से उपजा बवाल है जो रोज ड्रामा करके सत्ता में आना चाहती है।
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-पंजाब में कांग्रेस से मुकाबला मानते हैं या आप से?
आप ने चाहे राच्य में अपनी हवा बनाई हो, मगर मेरा मानना है कि मुकाबला तो अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस के बीच ही होगा, जिसमें हम जीतकर तीसरी बार सरकार बनाएंगे।
-लगातार दस साल सत्ता में रहने से सरकार विरोधी हवा बनने लगती है, इसे कैसे काटेंगे?
भाजपा 15 साल से छत्तीसगढ़, 13 साल से मध्य प्रदेश और करीब 16-17 साल से गुजरात में सत्ता में है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जहां किसी दल की लगातार सरकारें बनीं। पंजाब में गठबंधन दूसरी बार जीता था। पंजाब में बिजली, पानी, पंचायती राज, आधारभूत ढांचा आदि क्षेत्रों में जो काम किए हैं उससे विकास का पलड़ा एंटी इनकंबेंसी पर भारी पड़ेगा। मुख्यमंत्री बादल पर कोई निजी आरोप नहीं लगा है।
-पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी, क्या सीटों में कोई बदलाव होगा?
भाजपा पंजाब में 23 सीटों पर लड़ती है और इस बार भी इतनी ही सीटों पर लड़ेगी। अकाली दल के साथ सीटों के लेकर फेरबदल हो सकता है, मगर यह समय आने पर तय होगा।
-पार्टी अपने सभी मौजूदा विधायकों को टिकट देगी या कुछ नए चेहरे भी आएंगे?
चुनाव में अभी सात-आठ महीने हैं, यह तभी तय होगा कि कौन उम्मीदवार हो। पार्टी जीत की क्षमता देखकर टिकट देगी।
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