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Punjab Power Crisis: पंजाब में बिजली संकट पर राजनीति गर्म, शिअद-बसपा का राज्‍यभर में प्रदर्शन, हरसिमरत ने भी दिया धरना

Punjab Power Crisis पंजाब में बिजली संकट गहरा गया है और इस पर सियासत भी गर्मा गई है। शिरोमणि अकाली दल और बसपा के नेता व कार्यकर्ता आज राज्‍यभर में प्रदर्शन कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल बठिंडा में धरने पर बैठीं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 01:36 PM (IST)Updated: Fri, 02 Jul 2021 02:47 PM (IST)
पंजाब में बिजली संकट के खिलाफ शिअद और बसपा के कार्यकर्ता प्रदर्शन करते हुए। (एएनआइ)

चंडीगढ़, जेएनएन/एनएनआइ। Punjab Power Crisis: पंजाब में बिजली संकट पर सियासत गर्मा गई है। राज्‍य में बिजली कट के कारण लोग परेशान हैं और इसके खिलाफ सियासी दल सड़कों पर उतर आए हैं। शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के नेता व कार्यकर्ता राज्‍यभर में प्रदर्शन कर रहे हैं और धरना दे रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल बठिंडा में धरना-प्रदर्शन में शामिल हुईं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी शनिवार को मुख्यमंत्री के सिसवां स्थित फार्म हाउस के आगे प्रदर्शन करेगी।

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राज्‍य में कई जगहों पर शिअद और बसपा के कार्यकर्ताओं ने हाथ वाले पंखे के साथ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारिों ने इस दौरान राज्‍य की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। शिरोमणि अकाली दल की वरिष्‍ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बठिंडा में कहा कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार लोगों और किसानों को बिजली देने में पूरी तरह विफल है। बिजली कटों ने लोगों का बुरा हाल कर दिया है। यह सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है।

बठिंडा में शिअद व बसपा कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठीं पूर्व केंद्री मंत्री हरसिमरत कौर बादल। जागरण

हरसिमरत कौर बोलीं- कैप्‍टन के शासन में पंजाब काफी पीछे चला गया

हरसिमरत कौर बादल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पंजाब कैप्‍टन अमरिंदर‍ सिंह और कांग्रेस के शासन में काफी पीछे चला गया है। राज्‍य के लोगों को रोज 10 से 12 घंटे का बिजली कट झेलना पड़ रहा है। हरसिमरत ने कहा कि वे (कैप्‍टन सरकार) बिजली पर दी जा रही सब्सिडी बचाना चाहते हैं। किसानों को अपनी फसलें बर्बाद करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। किसान आज सड़कों पर उतरे हुए हैं।

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर किसानों को मुफ्त बिजली की सुविधा से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि धान के सीजन जब किसानों को बिजली की सख्त जरूरत होती है तो उन्हें 8 घंटे बिजली की आपूर्ति नहीं की जा रही है।

पंजाब में बिजली संकट के खिलाफ प्रदर्शन करते शिअद व बसपा के कार्यकर्ता। (एएनआइ)

उन्होंने कहा कि 8 घंटे निर्विघ्न बिजली की आपूर्ति देने का वादा किया गया था लेकिन 3 से 4 घंटे के बिजली कट लगाए जा रहे हैं। इस कारण किसानों को अपनी धान की फसल बचाने के लिए महंगे डीजल का उपयोग करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बिजली सप्लाई की कमी के बहाने बना रही है और जल्द ही बिजली सप्लाई नियमित करने के दावे कर रही है। सुखबीर बादल ने कहा कि मुख्यमंत्री गहरी नींद में सो रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि अकाली दल आज पावर कॉम के दफ्तरों के सामने रोष प्रदर्शन करके कृषि और घरेलू सेक्टर के लिए बिजली सप्लाई बहाल करने की मांग करेगा।

उधर आम आदमी पार्टी के विधायक मीत हेयर ने बताया कि बिजली की आपूर्ति न होने से लग रहे लंबे कटों से लोगों को निजात दिलाने के लिए शनिवार को पार्टी प्रधान भगवंत मान की अगुवाई में मुख्यमंत्री के सिसवां फार्म हाउस का घेराव किया जाएगा । उन्होंने कहा कि पंजाब में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। आज किसानों, बेरोजगारों, कर्मचारियों समेत सभी वर्ग के लोगों को पंजाब और केंद्र सरकार के खिलाफ धरने और प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है। लोगों को बिजली लेने के लिए भी धरने लगाने पड़ रहे हैं ।

मीत हेयर ने बादल सरकार की ओर से गलत बिजली समझौतों के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि समझौते की मद में लिखा है कि यदि कोई भी थर्मल प्लांट साल में 365 दिन में से 91 दिन बंद रखे जाते हैं तो सरकार थर्मल प्रबंधकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। दूसरी ओर यदि साल में 73 दिन लगातार भी थर्मल प्लांट बंद रखे जाते हैं तो सरकार की ओर से थर्मल कंपनियों को निर्धारित किए गए फिक्स चार्ज देने पड़ेंगे। अब तक सरकार ने में प्राइवेट थर्मल प्लांटों को फिक्स चार्ज के तौर पर 20000 करोड रुपए दे दिए हैं जिनमें से 5900 करोड रुपए बिजली को उपयोग ना करने के बावजूद दिए गए हैं ।

क्यों बढ़ा बिजली संकट

काबिले गौर है कि इस साल प्री-मानसून समय से काफी पहले आने के कारण मानसून लेट हो गया है जबकि इन दिनों धान की रोपाई का काम काफी तेज चल रहा होता है। बारिश न होने के कारण किसान पूरी तरह से ट्यूबवेल पर निर्भर हैं जिस वजह से बिजली की मांग 14 हजार मेगावाट काे क्रॉस कर गई है। इसके अलावा तलवंडी साबो और राजपुरा थर्मल प्लांट का एक एक यूनिट बंद होने और बठिंडा थर्मल प्लांट पूरी तरह से ठप होने व रोपड़ प्लांट के दो यूनिट बंद होने से यह संकट बढ़ गया है।


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