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हाई कोर्ट का महत्‍वपूर्ण फैसला, विवाहित बेटियां भी पिता की मृत्यु पर मुआवजे की हकदार

High Court Decision पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्‍वपूर्ण फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि विवाहित बेटियों भी पिता की मृत्यु के लिए मुआवजे की हकदार हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि निर्भरता का मतलब केवल आर्थिक निर्भरता नहीं है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 09:12 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 09:12 AM (IST)
हाई कोर्ट का महत्‍वपूर्ण फैसला,  विवाहित बेटियां भी पिता की मृत्यु पर मुआवजे की हकदार
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दुर्घटना मुआवजा पर महत्‍वपूर्ण फैसला सुनाया है। (फाइल फोटो)

दयानंद शर्मा , चंडीगढ़। High Court Decision: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्‍वपूर्ण फैसले में कहा है कि पिता की मृत्‍यु पर मुआवजा के लिए विवाहित बेटियां भी हकदार है। हाई कोर्ट ने कहा कि आश्रित होने का मतलब केवल आर्थिक निभर्रता नहीं है। 

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आश्रित का मतलब स‍िर्फ आर्थिक निर्भरता नहीं,  शारीरिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक भी हो सकती है 

एक दुर्घटना में अपने पिता की मौत के लिए विवाहित बेटियों द्वारा मांगे गए मुआवजे के मामले का फैसला करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा कि निर्भरता का मतलब केवल वित्तीय निर्भरता नहीं है। भारतीय समाज की पृष्ठभूमि पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि माता-पिता, विवाहित बेटियों को अपने प्यार और स्नेह को व्यक्त करने के लिए किसी न किसी रूप में सहायता प्रदान करते रहते हैं, जो एक शाश्वत बंधन को दर्शाता है। इसलिए विवाहित बेटियां अपने पिता की मृत्यु के मामले में मुआवजे की हकदार हैं।

हाई कोर्ट ने कहा कि आश्रित शब्द का अलग-अलग अर्थों में एक अलग अर्थ है। कुछ पैसे के मामले में आश्रित हो सकते हैं और अन्य सेवा के मामले में आश्रित हो सकते हैं। आश्रित में शारीरिक निर्भरता, भावनात्मक निर्भरता, मनोवैज्ञानिक निर्भरता आदि शामिल हैं, जिन्हें पैसे के मामले में कभी भी बराबर नहीं किया जा सकता है।

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हाई कोर्ट की जस्टिस अर्चना पुरी ने यह आदेश लुधियाना जिले की कमलजीत कौर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं। कमलजीत कौर ने सड़क दुर्घटना में अपने पिता की मृत्यु के बाद मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे को बढ़ाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

न्यायाधिकरण ने कमलजीत कौर के पिता की मृत्यु पर उसे व उसकी बहन को 25-25 हजार रुपये प्रत्येक का भुगतान करने का आदेश दिया था। अपील पर सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया गया कि इस मामले में विवाहित बेटियां पिता के साथ नहीं रह रही थीं और कोई ऐसा सबूत नहीं है कि विवाहित बेटियां मृतक पर आश्रित थीं।

इस पर कोर्ट ने कहा कि आश्रित का मतलब केवल आर्थिक तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। यह अलग-अलग अर्थों में विभिन्न अर्थ रखता है। कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए मुआवजा राशि को बढ़ाकर 1,50,000 रुपये करते हुए दोनों बहनों के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश भी दिया।


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