Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2024: अयोध्या में दर्शन से वोटों की आस! क्या रामलला लगाएंगे नैया पार?

पंजाब देश में एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पर मीरी (धर्म) पीरी (राज) का सिद्धांत है। सिख मीरी-पीरी सिद्धांत को मानते है। चुनाव में धर्म और राजनीति का रिश्ता और भी गहरा हो जाता है। इसी सिद्धांत के तहत चुनावी (Lok Sabha Election 2024) नाव को पार लगाने के लिए राजनेताओं ने धार्मिक स्थलों पर माथा टेकना शुरू कर दिया है।

By Kailash Nath Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Fri, 05 Apr 2024 07:42 PM (IST)
Hero Image
चुनाव आते ही बढ़ने लगे धार्मिक स्थलों के दर्शन (सोशल मीडिया)
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव की टिक-टिकी शुरू हो चुकी है। इस समय पंजाब में सभी दल के नेताओं का ध्यान सिखों के साथ-साथ हिंदू मतदाताओं को लुभाने पर है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनेताओं ने धार्मिक स्थलों के दर्शन करना शुरू कर दिया है।

सबसे पहले तो पटियाला से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार व कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर ने अयोध्या में रामलला के दर्शन किए। इसी के ठीक बाद पंजाब से कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी रामलला के चरणों में अपनी हाजिरी लगाई।

दोनों ही नेताओं ने अपनी चुनावी नाव को पार लगाने के लिए भगवान राम से आशीर्वाद लिया। चन्नी पंजाब कांग्रेस के पहले नेता बन गए है जिन्होंने अयोध्या में भगवान राम के दर्शन किए। उनका लोक सभा चुनाव लड़ना तय है लेकिन अभी यह तय नहीं हुआ है कि वह जालंधर से चुनाव लड़ेंगे या फतेहगढ़ साहिब सीट से।

चुनाव से पहले चन्नी या परनीत कौर का अयोध्या जाना को अनायास नहीं है। पंजाब में 43 फीसदी हिंदू मतदाता हैं। जब 22 जनवरी 2024 को कांग्रेस ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इनकार किया तो पंजाब कांग्रेस में इसे लेकर नाराजगी उभर कर सामने आई।

ये भी पढ़ें: अयोध्‍या पहुंचे पंजाब के पूर्व CM चन्नी, रामलला के दरबार में नतमस्‍तक हो लिया आर्शीवाद

'हिंदुओं को लुभाने' की राजनीति

कांग्रेस के नेताओं ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर राज्य में हुए आयोजनों में खुल कर हिस्सा लिया और तो और प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग दिये बांटते नजर आए। हिंदुओं पर भाजपा ही नहीं बल्कि सभी पार्टियों की नजर है। परनीत कौर भले ही भाजपा से उम्मीदवार है लेकिन वह अभी तक कांग्रेस पार्टी में रही है।

उन्हें पता हैं कि सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस उनके सामने हिंदू उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं और पटियाला मतदाता के हिसाब से पंजाब का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है और यहां पर हिंदू मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है।

जालंधर में सबसे अधिक हिंदू मतदाता

वहीं, चरणजीत सिंह चन्नी की स्थिति भी कमोवेश यही है। पार्टी अगर चन्नी को जालंधर से चुनाव मैदान में उतारती है तो शहरों में उन्हें हिंदू मतदाताओं को लुभाना पड़ेगा। क्योंकि उनका मुकाबला भाजपा के सुशील रिंकू से होगा। रिंकू आप से भाजपा में आने से पहले दो बार रामलला के दर्शन कर चुके है। कांग्रेस के सामने हिंदू मतदाताओं को अपने साथ जोड़ना सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद से हिंदू मतदाता उनसे दूर हुए।

ये भी पढ़ें: टिल्ला बाबा फरीद में हंस राज को सिरोपा भेंट करने पर छिड़ी बहस, माथा टेकने आए लोगों ने जमकर की निंदा

रवनीत बिट्टू ने भाजपा में जाकर इस दूरी को और बढ़ा दिया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह का राष्ट्रीय प्यार व पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह (रवनीत बिट्टू के दादा) के नेतृत्व में पंजाब से आतंकवाद खत्म होने के कारण पंजाब के हिंदू इस परिवार के साथ जुड़े रहे है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।