रंग लाया पंजाब के नेताओं का प्रयास, UP के सीएम ने कहा- विस्थापित नहीं होगा कोई सिख किसान
पंजाब के नेताओं का प्रयास रंग लाया है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश से कोई सिख किसान विस्थापित नहीं किया गया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन दिया है कि प्रदेश में किसी भी सिख किसान को विस्थापित नहीं किया जाएगा। शिरोमणि अकाली दल के पूर्व सांसद प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें आश्वासन दिया है कि बिजनौर के चंपतपुर चकला में प्रस्तावित आर्म्ड फोर्स सेंटर के निर्माण के लिए वैकल्पिक स्थान का प्रबंध किया जाएगा।
सिख किसानों की ङ्क्षचता के निदान के लिए ङ्क्षसचाई मंत्री औलख को बनाया संयोजक
बिजनौर में आर्म्ड फोर्स सेंटर के निर्माण के प्रस्ताव से अपनी कृषि भूमि छिनने से घबराए सिख किसानों की सहायता के लिए शिरोमणि अकाली दल की तीन सदस्यीय समिति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिली थी। मुख्यमंत्री के आवास पर हुई इस बैठक में राजस्व सचिव और अन्य उच्चाधिकारियों समेत स्थानीय विधायक सुशांत ङ्क्षसह व प्रदीप सिंह भी मौजूद थे। इस समिति में प्रो. चंदूमाजरा के अलावा पूर्व अकाली मंत्री सिकंदर ङ्क्षसह मलूका व डॉ. दलजीत सिंह चीमा शामिल थे।
चार स्थानों का सर्वेक्षण
समिति ने उत्तर प्रदेश में चार स्थानों पर सिख किसानों को उनकी कृषि भूमि से बेदखल करने का विषय मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया। चंदूमाजरा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उन सभी चारोंं स्थानों पर सर्वेक्षण के लिए टीमों का गठन कर दिया है, जिनमें सिख किसान विस्थापन की संभावना से त्रस्त हैं। इन टीमों को सिख किसानों को विस्थापन से बचाने के तरीका खोजने के लिए कहा गया है।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिंचाई मंत्री बलदेव सिंह औलख को संयोजक नियुक्त करते हुए कहा है कि वे सिखों की चिंता का विषय बनी समस्याओं का समाधान निकालें। समिति ने योगी के आश्वासन का स्वागत करते हुए कहा है कि इसे सिख किसानों को वर्ष 1950 से जोती जा रही जमीन पर मालिकाना अधिकार मिल पाएगा।
बंजर जमीन कृषि के लिए दी थी
डॉ. चीमा ने बताया कि बैठक के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बताया कि बिजनौर के चंपतपुर चकला में सिख किसानों को कुछ बंजर जमीन कृषि के लिए दी गई थी और उन्होंने कुछ जगह जमीन खरीदी। अब जब किसानों ने इन जमीनों को आबाद कर दिया तो सरकार आम्र्ड फोर्स सेंटर के निर्माण के लिए उन्हें इस जमीन से बेदखल करने की तैयारी कर रही है।
खरीदी गई जमीन के दस्तावेज नहीं
इसी प्रकार लखीमपुर खीरी में सिख किसानों की ओर से राजा विक्रम शाह से खरीदी गई जमीनें छीनी जा रही हैं। क्योंकि उनके पास इन जमीन को खरीदने के दस्तावेज नहीं हैं। इस जमीन को 1964 में सरप्लस घोषित करके जंगलात में शामिल कर दिया गया था। 1980 में इसे सिख किसानों के नाम कर दिया गया क्योंकि वे 1950 से इस पर कृषि कर रहे थे। देश के बंटवारे के बाद रामपुर के नवाब की एस्टेट में 15 गांवों में बसे सिख किसानों की जमीन को जंगलात विभाग छीनने की कोशिश कर रहा है। इन गांवों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की तो अदालत ने राजस्व विभाग को विचार करने को कहा था।
बाढ़ के कारण खाली की जमीन पर बसने से रोका
चौथे मामले में सिख किसानों से वर्ष 1962 में उनकी जमीन नानक सागर बांध के निर्माण के लिए ले ली गई थी और उन्हें वैकल्पिक जमीन दे दी गई थी। पर किसानों ने भारी बारिश व बाढ़ के कारण इस जगह को खाली कर दिया था। जब वे इस जगह पर फिर से बसने के लिए आए तो उन्हें वन विभाग ने ऐसा करने से रोक दिया।
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