नौंटकी छोड़े शिअद, हाईवे रोका तो भुगतना पड़ेगा नतीजा: कैप्टन
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य में किसी ने हार्इवे जाम किया तो उसको इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। उन्होंने शिअद द्वारा सड़कों पर धरना को नौटंकी बताया।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब केे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राजनीतिक दल सड़क और हाइवे जाम न करें। यदि किसी ने हाईवे जाम किया तो कड़ी कार्रवाई भुगतनी होगी। उन्होंने पिछले दिनों हाईवे और सड़कों को जाम लगाने के लिए शिरोमणि अकाली दल के नेताआें को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि शिअद नेता इस तरह की नौटंकी बंद करें।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यहां सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील की है कि वह संकल्प करें कि हाईवे नहीं रोकेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियां विरोध प्रदर्शन के अन्य ढंग ढूंढें। मुख्यमंत्री ने अकालियों के धरने को 'नौटंकी' बताया।
कैप्टन ने कहा कि लोगों के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला इस किस्म का विरोध लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता और राष्ट्रीय मार्ग रोकना कानून के अंतर्गत जुर्म है। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि यदि कोई कानून तोड़ता है, तो उसे उसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में किसी को भी अमन-कानून भंग करने की आज्ञा नहीं देगी और न ही आम लोगों को परेशानी होने देगी।
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अकालियों के धरने पर कैप्टन ने कहा कि यह धरने एक नौटंकी के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं थे। इस तरह के कदम से संकुचित मानसिकता और थोड़े समय के लिए निजी लाभ के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता। इस तरह आम लाेगों काे परेशान करने का उल्टा ही नतीजा होता है।
सुखबीर पूरी तरह झूठ बोलते हैं
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि एमसी मतदान के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए चुनाव आयोग ने एक दिन अतिरिक्त दिया था, जिसका अकालियों को फायदा उठाना चाहिए था। इस अतिरिक्त दिन भी अकालियों ने एक भी नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। इससे स्पष्ट होता है कि इस मामले पर सुखबीर पूरी तरह झूठ बोलते हैं।
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कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि अगर सचमुच ही उनकी चिंता जायज होती, तो अकालियों को इसका विरोध करना चाहिए था और हाईवे को रोकना तो सभी बातें खत्म होने के बाद अंतिम होती है। उन्होंने कहा कि अकालियों की यह अपनी निराशा से उपजी कार्रवाई थी, क्योंकि उन्होंने अपनी हार को पहले ही भांप लिया था। उन्होंने कहा कि अकाली विधानसभा मतदान में अपनी हार के बाद राजनीतिक तौर पर अपने आप को पैरों पर खड़ा करने में असफल हुए हैं।