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सिद्धू पर 34 साल पुराने राेडरेज मामले में सजा में सुनवाई आज, 'गुरु' पहुंचे माता वैष्‍णाे के दरबार में

Navjot Singh Sidhu Roadrage case पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ 34 साल पुराने रोडरेज मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर आज सुनवाई होगी। सिद्धू माता वैष्‍णाे के दरबार गए हैं। मामले में सुप्रीम काेर्ट ने पहले सिद्धू को एक हजार रुपये की सजा सुनाई थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 02 Feb 2022 11:16 PM (IST)Updated: Thu, 03 Feb 2022 10:37 AM (IST)
माता वैष्‍णो देवी दर्शन के लिए पहुंचे पंजाब क‍ांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू। (स्रोत- नवजोत सिद्धूू ट्विटर पेज)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।  पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के जोर पकड़ने के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 34 साल पहले रोडरेज (सड़क पर हिंसा) मामले मेंंउनके खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। गैर इरादतन हत्या के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को मात्र एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। पीडि़त पक्ष ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई होगी। इस सुनवाई से पहले सिद्धू बुधवार को माता वैष्‍णो देवी के दर्शन के लिए चले गए।

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नवजोत सिंह सिद्धू बुधवार को अचानक चुनाव प्रचार बीच में छोड़ कर जम्मू के कटड़ा स्थित माता वैष्णो देवी के दरबार पहुंच गए और माथा टेका। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'मां से प्रार्थना की है कि वे दुष्टों का विनाश करें, पंजाब का कल्याण करें और धर्म की स्थापना करें।' बुधवार को सिद्धू के अमृतसर में दस जगह कार्यक्रम थे।

गौरतलब है कि मई, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 323 (जानबूझ कर किसी को चोट पहुंचाना) के मामले में सिद्धू को दोषी तो ठहराया था, लेकिन इसके लिए उन्हें जेल की सजा नहीं मिली। उन्हें मात्र एक हजार रुपये का जुर्माना लगाकर बरी कर दिया गया। पीडि़त परिवार इससे निराश था। पीडि़त परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में सजा को बढ़ाने के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

रोडरेज के 34 साल पुराने मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक हजार रुपये जुर्माना लगाकर बरी किया था

रोडरेड का मामला 27 दिसंबर, 1988 का है। मामले के अनुसार, नवजोत सिंह सिद्धू काा पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नाम के एक बुजुर्ग व्‍यक्ति से झगड़ा हो गया था। आरोप है कि गुस्से में नवजोत सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। पटियाला पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।

निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सुबूतों के अभाव में 1999 में बरी कर दिया था, लेकिन पीडि़त पक्ष पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाई कोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की कैद सजा सुनाई थी। इस फैसले को सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को इस मामले मेंं एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ गुरनाम सिंह के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दायर की।        

हाई कोर्ट के सजा सुनाने के कारण छोड़ी थी संसदीय सीट की सदस्‍यता

2006 में जब हाई कोर्ट ने नवजाेत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी, तब वह भाजपा में थे और अमृतसर से सांसद थे। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा और वह फिर से जीत गए।


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