चंडीगढ़ के कॉलेजों में शिक्षकों के 200 पद खाली, पंजाब सरकार के सेवानिवृत्ति की आयु घटाने से बढ़ी मुश्किल
पंजाब सरकार द्वारा कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से घटाकर 58 करने के नोटिफिकेशन ने चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेजों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं।
चंडीगढ़, [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। पंजाब सरकार के कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र 60 से घटाकर 58 करने के नोटिफिकेशन ने चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेजों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। इस फैसले से चंडीगढ़ के सरकारी पांच डिग्री कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी हो जाएगी। सितंबर 2020 तक सभी सरकारी कॉलेजों से 50 से अधिक प्रोफेसर की रिटायरमेंट की तैयारी है। इसके साथ ही तीन सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल भी रिटायर हो जाएंगे।
इसमें जीसी-11,जीसीजी-42 जीसी-46 कॉलेज शामिल हैं। पहली बार इतने बड़े स्तर पर कॉलेज शिक्षकों की रियाटरमेंट होने जा रही है। सरकारी डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 450 पद मंजूर हैं, लेकिन इनमें से 200 वर्षों से खाली हैं। कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भी स्थायी भर्ती नहीं हो रही है। पंजाब सरकार के फैसले से सरकारी कॉलेजों में नए शिक्षण सत्र में पढ़ाई पर काफी बुरा असर पड़ने वाला है।
यूटी के शिक्षकों की बड़े स्तर पर रिटायरमेंट के मुद्दे को लेकर चंडीगढ़ गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने प्रशासक वीपी सिंह बदनौर को पत्र लिखकर कॉलेजों में सेंट्रल सर्विस रुल्स लागू करने की मांग की है। गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि चंडीगढ़ में शिक्षकों की नियुक्ति यूजीसी की ओर से की जाती है, ऐसे में सर्विस रुल्स भी सेंटर के लागू होने चाहिए। पंजाब और हरियाणा से डेपुटेशन पर चंडीगढ़ में कार्यरत 30 के करीब प्रोफेसर इस साल रिटायर हो जाएंगे।
असिस्टेंट प्रोफेसर को तीन साल 15600 बेसिक वेतन
चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेजों में नए असिस्टेंट प्रोफेसर को पंजाब सर्विस रुल्स के तहत नियुक्ति मिलती है। असिस्टेंट प्रोफेसर को प्रोबेशन पीरियड (तीन साल) तक 15600 ही वेतन मिलेगा। ऐसे में युवा हरियाणा सहित दूसरे राज्यों या सेंट्रल गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी में ही नौकरी को प्राथमिकता देते हैं। चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेजों में कई सालों बाद यूपीएससी से नियुक्ति कई असिस्टेंट प्रोफेसर ने सिर्फ बेसिक पे स्कैल(15600) मिलने के कारण ज्वाइन ही नहीं किया।
सरकारी कॉलेजों में 6 महीने से नहीं मिला वेतन
शहर के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई अब कांट्रेक्ट और गेस्ट फैकल्टी के सहारे ही चल रही है। 200 के करीब कांट्रेक्ट टीचर 2009 से नियुक्त हैं। उधर, सितंबर 2019 में 40 पार्ट टाइम असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति की गई। हैरान करने वाली बात यह है कि हायर एजुकेशन विभाग की कार्यप्रणाली ऐसी है कि नियुक्ति के छह महीने बाद भी इन शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है। शिक्षा सचिव अरुण गुप्ता के निर्देशों के बावजूद अधिकारी वेतन संबंधी फाइल दबाकर बैठे हैं। अप्रैल में इन शिक्षकों को रिलीव कर दिया जाएगा।
13 साल बाद भी सरकारी कॉलेज बिना रेगुलर स्टॉफ
चंडीगढ़ के पहले गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज बीते 13 सालों से स्थायी स्टॉफ के बिना चल रहा है, सुनने में यह हैरान करने वाला है, लेकिन हकीकत यही है। 2007 में सेक्टर-19 स्थित मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी(डीईओ) बिल्डिंग में शुरू हुआ गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेश एडिमिनिस्ट्रेशन को सेक्टर-50 में नई बिल्डिंग तो मिल गई, लेकिन आज तक कॉलेज के लिए स्वीकृत टीचिंग और नॉन टीचिंग पदों पर रेगुलर भर्ती नहीं हुई है। कॉलेज के लिए 150 पोस्ट स्वीकृत हैं। लेकिन दूसरे कॉलेजों से प्रिंसिपल, प्रोफेसर और कांट्रेक्ट स्टॉफ से ही काम चलाया जा रहा है। कॉलेज में स्टॉफ की वजह से नई कोर्स शुरू नहीं हो पाए।
यूजीसी नियमों के तहत कॉलेज में स्टूडेंट्स की संख्या 1500 से अधिक होनी चाहिए, लेकिन अभी यहां एमकॉम,बीकॉम और अन्य कोर्स में सिर्फ 900 स्टूडेंट हैं। स्टॉफ की कमी से एमबीए, होटल मैनेजमेंट जैसे कई प्रस्तावित कोर्स ठंडे बस्ते में हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा रेगुलर स्टॉफ नहीं होने से कॉलेज की एफिलिएशन तक रद करने की चेतावनी दी जा चुकी है। बीते सत्र में बीकॉम कोर्स में दाखिले तक की मंजूरी रोक दी गई थी।
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