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पंजाब की 93 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव रखते हैैं किसान, हो सकता है आंदोलन का असर

पंजाब की सियासत में किसानों का महत्‍व खासा है। राज्‍य की 117 विधानसभा सीटों में से 93 पर किसानों का सीधा असर है। यही कारण है कि सभी पार्टियां की सियासत के केंद्र में किसान वोट बैंक है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 01:00 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 01:00 PM (IST)
पंजाब में कृषि विधेयकों के खिलाफ धरना देते किसान।

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। कृषि विधेयकों के विरोध में उतरे पंजाब के किसान राजनीतिक पार्टियों के लिए आंख का तारा बने हुए हैं। सभी पार्टियां सड़क पर उतर कर कृषि विधेयकों का विरोध कर रही हैं। ऐसा करना उनकी मजबूरी भी है। भले ही किसान संगठनों ने राजनेताओं को अपने संघर्ष से दूर रखने की कोशिश की परंतु वह जानते हैैं कि विधानसभा तक पहुंचने की राह पंजाब के खेत-खलिहानों से ही होकर गुजरती है। राज्य की 117 में से 93 विधानसभा सीटों पर किसान वोट बैैंक निर्णायक भूमिका निभाता है।

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खेत खलिहान से ही निकलती है पंजाब विधानसभा की राह, राज्य में 17.50 लाख किसान

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 17.50 लाख किसान सीधे रूप से कृषि करते हैैं जबकि बड़ी संख्या में कृषि से जुड़े अन्य व्यवसाय करते हैैं। राज्य की 65 फीसद से ज्यादा आबादी गांवों में है और विधानसभा की 27 सीटें तो विशुद्ध ग्रामीण क्षेत्र से हैं। इसके अलावा 66 सीटें ऐसी हैैं जो सेमी अर्बन में आती हैं। राज्य में केवल 24 ऐसी सीटें है जोकि पूर्ण रूप से शहरी हैं। किसानों की यही ताकत राजनीतिक पार्टियों को लुभाती रही है।

सभी दल राजनीतिक हित साधने में जुटे

मौजूदा समय में कांग्रेस ग्रामीण और सेमी अर्बन सीटों पर काबिज है। वहीं, किसानों को अकाली दल रीड़ माना जाता रहा है। इसी कारण कांग्रेस ने विधेयकों को लेकर मोदी सरकार के साथ साथ सबसे ज्यादा हमला शिरोमणि अकाली दल पर किया। कांग्रेस का पूरा फोकस इस बात पर है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद हरसिमरत कौर बादल की छवि अब कुर्बानी देने वालों के तौर पर न उभर सके। 

दूसरी आर, शिरोमणि अकाली दल इस बात पर फोकस कर रहा है कि किसानों में संदेश जाए कि शिअद ने केंद्रीय मंत्रिमंडल का त्याग कर दिया। उधर, इसी बीच आम आदमी पार्टी अलग लाइन खींचने की कोशिश में जुटी हुई है। बता दें कि वर्तमान में 93 ग्रामीण व सेमी अर्बन सीटों में से 59 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इन 59 में से 21 सीटें तो विशुद्ध रूप से ग्रामीण सीटें है।

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