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पंजाब के किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से बातचीत का प्रस्ताव ठुकराया, तालमेल कमेटी में टूट

पंजाब के किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार से बातचीत के प्रस्‍ताव को ठुक‍रा दिया है। इन संगठनों की तालमेल कमेटी में इसको लेकर टूट हो गई। 30 किसान संगठनों ने कहा कि अधिकारियों से बात नहीं होगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 07:23 AM (IST)
पंजाब के किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से बातचीत का प्रस्ताव ठुकराया, तालमेल कमेटी में टूट
पंजाब में कृृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करते किसान।

चंडीगढ़, जेएनएन। नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे पंजाब के 30 किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों को 8 अक्टूबर को बातचीत के लिए बुलाया था। किसान संगठनों ने इस संबंध में भेजे पत्र की भाषा पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि पत्र में कानून के बारे में समझाने की बात कही गई है। क्या वे (किसान) अनपढ़ हैं और कानून पढ़े बिना ही संघर्ष कर रहे हैं?

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30 किसान संगठनों ने कहा, अधिकारियों से नहीं होगी बात

चंडीगढ़ में हुई 30 किसान संगठनों की बैठक के बाद तालमेल कमेटी के नेता बलबीर सिंह राजेवाल, जगमोहन सिंह और बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि किसान अधिकारियों से बात नहीं करेंगे। वे वार्ता से पीछे नहीं हट रहे हैं, लेकिन अधिकारियों से बात नहीं की जाएगी। केंद्र सरकार को खुद बात करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट जाने पर लक्खोवाल तालमेल कमेटी से निलंबित

इस बीच, भाकियू (लक्खोवाल) के प्रधान अजमेर सिंह लक्खोवाल को तालमेल कमेटी से निलंबित कर दिया गया है। किसान संगठनों ने कहा कि लक्खोवाल उन्हें विश्वास में लिए बगैर इन कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए। जब तक वह सुप्रीम कोर्ट से वापस ली गई याचिका तालमेल कमेटी को नहीं दिखाते वह कमेटी की बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे।

जारी रहेगा रेल रोको, कैप्टन को एक हफ्ते का अल्टीमेटम

किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की रेल रोको आंदोलन को बंद करने की अपील ठुकरा दी है। बैठक में अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन, टोल प्लाजा व भाजपा नेताओं का घेराव जारी रखने का फैसला किया गया। कहा गया कि 15 अक्टूबर को होने वाली बैठक में अगली रणनीति तय की जाएगी। किसान संगठनों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर नए कृषि कानूनों को रद किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर, एक सप्ताह में विशेष सत्र नहीं बुलाया तो भाजपा की तरह कांग्रेस नेताओं का भी घेराव किया जाएगा।

कैप्टन अमरिंदर सिंह की दो टूक - सरकार को अल्टीमेटम न दें किसान

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को ठुकराते हुए कहा कि इसके लिए उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता और वह दबाव में नहीं आएंगे। कैप्टन ने कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दिनों हुई बैठक में किसान संगठनों के सुझाव लिए गए हैं। पंजाब सरकार जो कदम उठा सकती है वह जरूर उठाएगी।

रेल रोको आंदोलन बंद ना करने के किसानों के फैसले पर खेद जताते हुए कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि यह फैसला न तो किसानों के हित में है और न ही राज्य के हित में। आरबीआइ ने 30 हजार करोड़ की सीसीएल जारी कर दी है। अगर चावल व गेहूं अन्य राज्यों में न भेजे गए तो धान की मिलिंग के बाद चावल रखने के लिए गोदामों में जगह नहीं होगी। राज्य में कोयले की कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित होगा। इस समय जारी आलू की बिजाई के लिए डीएपी व यूरिया सख्त जरूरत है, इसकी कमी बिजाई को प्रभावित कर सकती है। वहीं, सड़कें जाम होने से पेट्रोलियम पदार्थों की समस्या खड़ी हो सकती है।

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