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पर्दे की पीछे: शिरोमणि अकाली दल का हर दांव पड़ रहा है उल्टा, पढ़ें पंजाब की और भी खबरें

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल का हर दांव उल्टा पड़ रहा है। कृषि कानूनों के मुद्दे पर शिअद खुद घिर रही है। पंजाब के साप्ताहिक कालम पर्दे के पीछे में आइए नजर डालते हैं राज्य की कुछ रोचक खबरों पर।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 01:15 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 01:15 PM (IST)
पर्दे की पीछे: शिरोमणि अकाली दल का हर दांव पड़ रहा है उल्टा, पढ़ें पंजाब की और भी खबरें
हरसिमरत कौर बादल व सुखबीर बादल की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। आजकल शिरोमणि अकाली दल का हर दांव उल्टा पड़ रहा है। जून महीने से लेकर सितंबर महीने तक कृषि कानूनों का समर्थन करते आ रहे सुखबीर बादल और हरसिमरत बादल अब जब भी इन कानूनों के विरोध में बोलते हैं तो भाजपा उन्हें आइना दिखा देती है। पिछले दिनों जब सुखबीर बादल ने भाजपा को टुकड़े-टुकड़े गैंग बताया तो भाजपा के महासचिव सुभाष शर्मा ने कहा अब तक पीएम के सामने हाथ जोड़कर खड़े रहने वाले सुखबीर को अपने इस आचरण पर शर्मिंदा होना चाहिए।

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यही नहीं, एसजीपीसी की प्रधान जागीर कौर ने जब कहा कि किसान आंदोलन में हमारे लोग बैठे हैं तो भाकियू के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने तो साफ कह दिया कि इस आंदोलन में सिर्फ किसान बैठे हैं। बीबी जी को बोलने से पहले जमीनी हकीकत पता कर लेनी चाहिए, नहीं तो फजीहत होती है। पार्टी भी हर दांव उल्टा पड़ने से परेशान है।

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सबसे पहले जमीन, पानी बाद में

तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर पंजाब और हरियाणा के किसान नई इबारत लिख रहे हैं। सतलुज यमुना लिंक नहर के पानी को लेकर करीब पचास वर्ष से अदालती लड़ाई लड़ते रहने के कारण दोनों राज्यों के किसानों के रिश्तों में खटास आ गई थी, लेकिन यह कानून उन्हें करीब ले आए। इन कानूनों को खत्म करवाने के लिए किसान अब मिलकर सिंघु और टीकरी बार्डर पर पिछले कई दिनों से खुले आकाश के नीचे बैठे हैं।

इसी बीच, हरियाणा सरकार ने एसवाइएल का मुद्दा छेड़कर इन्हें तोड़ना चाहा तो हरियाणा के किसानों ने साफ कर दिया कि पहले जमीन बचाने के लिए संघर्ष होगा, पानी की लड़ाई तो बाद में भी लड़ लेंगे। पंजाब के दूर दराज जिलों से आए किसानों के लिए लंगर में भी हरियाणा के किसान योगदान दे रहे हैैं और इस रवैये के कारण दोनों राज्यों के किसानों के बीच सौहार्द भी बढ़ रहा है।

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मोदी मान जाए, ऐसा उपाय बताओ

कृषि सुधार कानूनों को लेकर केंद्रीय मंत्रियों से किसानों की छह दौर की बात हुई पर कोई रास्ता नहीं निकला। पिछले पूरे सप्ताह बातचीत बंद रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों से बात करके कृषि कानूनों के फायदे बता रहे हैं तो धरने पर बैठे किसानों ने टीवी पर चल रहे विज्ञापन को देखकर समस्याओं का समाधान करने वाले एक ज्योतिषी को फोन कर लिया। कहा, आप सभी समस्याओं का हल बताने के लिए अंगूठी में नग डालने की सलाह देते हो तो कोई ऐसा नग बताओ, जिससे मोदी किसानों की बात मान जाएं। अब ज्योतिषी परेशान हुए और पंजाबी में बात कर रहे किसान को फोन रखने के लिए कहते रहे, लेकिन किसान ने उनकी बात नहीं मानी। किसान कहता रहा, जब तक कोई उपाय नहीं बताओगे, मैं फोन नहीं रखूंगा। किसानों के इस तरह के आडियो मैसेज आजकल इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं।

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कानून की प्रतियां क्यों फाड़ दीं

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए तीन कृषि सुधार कानूनों को दिल्ली विधानसभा के विशेष इजलास में फाड़कर अपना विरोध जाहिर कर दिया। इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी इन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पंजाब विधानसभा में संशोधन बिल पारित कर चुके हैं। जिस दिन यह बिल पारित किए, उसी दिन सभी पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री के साथ राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर के पास जाकर इसे पास करने का आग्रह कर आए, लेकिन अगले दिन आप के विधायक पलट गए। इन बिलों को लेकर कैप्टन ने भी केजरीवाल से विधानसभा में संशोधन बिल लाने को कहा तो केजरीवाल ने ऐसा करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह केंद्रीय कानून है, राज्य सरकारों के पास करने से कुछ नहीं होगा। अब कैप्टन ने पूछ लिया कि अब कानून की प्रतियां विधानसभा में फाड़ने से क्या होगा।

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