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कैंडी, जॉनी व कैफी कसते हैं अपराधियों पर नकेल, जगराओं के इन डॉग स्क्वायड में है खास हुनर

पुलिस व सुरक्षा बलों की ही तरह डॉग स्क्वायड भी आपकी सुरक्षा में खास महत्व रखते हैं। ये बड़े अपराधों में अपराधियों तक पहुंचने में मददगार साबित होते हैं। यही नहीं इनकी रिटायरमेंट एज भी होती है ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 09:55 AM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 10:37 AM (IST)
पंजाब की जगराओं पुलिस में तैनात डॉग स्क्वायड। जागरण

जगराओं [बिंदु उप्पल]। बड़े अपराधों के बाद आपने अक्सर डॉग स्क्वायड को देखा होगा। ये डॉग सूंघकर अपराधी तक पहुंच जाते हैं, लेेेेेकिन इस सबके पीछे होती है इनकी ट्रेनिंग और ट्रेनर की तैयारी। इन्हें लगभग नौ माह प्रशिक्षण दिया जाता है। इन डॉग के खान पान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। यही नहीं, इनकी रिटायरमेंट की उम्र भी होती है। रिटायर होने के बाद भी इन्हें पूरे ऐशो आराम से रखा जाता है। आइए जानते हैं जगराओं के तीन डॉग स्क्वायड के काम के बारे में। 

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पंजाब पुलिस विभाग में शरारती तत्वों के द्वारा किए जाते अपराधों की निशानदेही के लिए पुलिस टीमों की मदद के लिए डॉग-स्क्वायड रखे गए हैं, ताकि उनको प्रशिक्षिण के बाद हर अपराध की निशानदेही ढूंढने में मदद मिल सके। जिला पुलिस देहाती एसएसपी जगराओं चरणजीत सिंह सोहल ने बताया कि जिला पुलिस देहाती की टीम के साथ तीन डॉग स्क्वायड यानि तीन खोजी कुत्ते भी शामिल हैंं, जो कि बड़े से बड़े अपराधों में पुलिस टीम की मदद करते हैंं।

कैंडी करती है बारूद की पहचान

जगराओं पुलिस लाइन में तैनात कैंडी स्क्वायड लैबराडोर ब्रीड की है। कैंडी ने पंजाब पुलिस की आल इंडिया मीट में चैम्पियन बन स्वर्ण पदक जीता हुआ है। इसका काम पुलिस टीम के साथ बारूद यानि एक्सप्लोजर की पहचान कर अपराधी को ढूंढने में मदद करती है। इसका ट्रेनर हरजिंदर सिंह है।

जॉनी करता है ट्रेकर, मर्डर व चोरी की पहचान

जगराओं पुलिस लाइन में तैनात जॉनी डॉग स्क्वायड ट्रेकर, मर्डर व चोरी के दौरान निशानदेही करने में पुलिस टीम की मदद करता है। यह जर्मन शेफरड नस्ल का है। इसका ट्रेनर हरमेश कुमार है।

कैफी करती है नशे की पहचान

जगराओं पुलिस लाइन में तैनात कैफी डॉग स्क्वायड लैबराडोर नस्ल की है। इसका काम पुलिस टीम के साथ नारकोटिस यानि नशा की निशानदेही में मदद करना है। इसका ट्रेनर विजय कुमार है।

क्या कहना है डॉग स्क्वायड इंचार्ज का

जगराओं पुलिस लाइन में डॉग स्क्वायड के इंचार्ज हरजिंदर सिंह हैंं। उन्होंने बताया कि हरेक डॉग स्क्वायड काे फिल्लौर पुलिस अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है। जहां पर एक महीने से डॉग की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है और नौ महीने तक डॉग खोजी कुत्ते को हर प्रकार के अपराध की पहचान करने के लिए अलग-अलग ट्रेनर के अधीन प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें प्रशिक्षण दौरान खोजी कुत्तों को हर प्रकार के अपराध यानि गोली-बारूद, खून, नशा जैसी चीजों की गंध को पहचाने यानि सूंघने की पहचान में पूरी तरह प्रशिक्षित कर दिया जाता है। जब खोजी कुत्तों यानि डॉग स्क्वायड का प्रशिक्षण पूरा हो जाता है तो डीजीपी दफ्तर के निर्देशों पर हरेक डॉग स्क्वायड को अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में पुलिस टीम की डॉग स्क्वायड टुकड़ी बनाकर तैनात कर दिया जाता है, ताकि पुलिस टीम इन डॉग स्क्वायड की मदद से हरेक अपराध के आरोपी तक जल्द पहुंच पाए।

दस वर्ष की उम्र के बाद होते है रिटायर

डॉग स्क्वायड इंचार्ज हरजिंदर सिंह ने बताया कि इन डॉग स्क्वायड के फीड का खर्चा पंजाब पुलिस विभाग की ओर से उठाया जाता है, जिसमें उनको दूध, अंडे, डॉग फीड दी जाती है। इसके अलावा डीजीपी पंजाब के द्वारा जारी निर्देशों अनुसार इनको दस वर्ष की उम्र के बाद रिटायर कर दिया जाता है। उसके बाद भी इनके रखरखाव की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की होती है।

इंचार्ज के इशारों पर करते है निशानदेही

जगराओं पुलिस लाइन के डॉग स्क्वायड इंचार्ज हरजिंदर सिंह ने बताया कि ये सभी खोजी कुत्तों को सिट, स्टेंड, स्टे, कम, गो, सलीप ,स्मैल जैसे इशाराें पर काम करने का पूरा प्रशिक्षण मिलता है। जैसे इनको इंचार्ज आदेश देता जाएगा वैसे यह काम करते जाते है।


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