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पुलिस आयोग के गठन के फैसले से डीजीपी को फायदा, तीन माह का एक्सटेंशन मिलना तय

पंजाब में पुलिस आयोग के गठन के फैसले से वर्तमान डीजीपी सुरेश अरोड़ा को तीन माह की एक्‍सबटेंशन मिलनी तय है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 07:49 AM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 08:29 PM (IST)
पुलिस आयोग के गठन के फैसले से डीजीपी को फायदा, तीन माह का एक्सटेंशन मिलना तय
पुलिस आयोग के गठन के फैसले से डीजीपी को फायदा, तीन माह का एक्सटेंशन मिलना तय

चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा को तीन माह का एक्सटेंशन मिलना लगभग तय हो गया है। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार ने पुलिस आयोग के गठन का फैसला करके इस एक्‍सटेंशन की राह खोल दी है। पंजाब पुलिस तथा आयोग के बीच में तालमेल बैठाने के लिए सरकार एक्सटेंशन देने का मन बना चुकी है। इसीलिए सरकार ने अभी तक यूपीएसई को डीजीपी रैंक के तीन अधिकारियों का पैनल बनाकर नहीं भेजा है। अरोड़ा की रिटायरमेंट 30 सितंबर को है।

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30 सितंबर को होना है सुरेश अरोड़ा को रिटायर,  आयोग के गठन से खुला एक्सटेंशन का रास्ता

सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों फैसला दिया था कि सभी राज्यों में डीजीपी के रिटायर होने से छह माह पहले राज्य सरकार डीजीपी रैंक के तीन अधिकारियों का पैनल बनाकर यूपीएसई को भेजे, जिससे समय रहते अगले डीजीपी का चयन किया जा सका। कई राज्यों में राज्य सरकारों ने डीजीपी के रिटायर होने के बाद उन्हें एक्सटेंशन देकर रोक रखा है।

यूपीएसई के नियमानुसार डीजीपी को एक बार में तीन महीने से ज्यादा एक्सटेंशन वाजिब कारणों के आधार के बाद भी नहीं दी जा सकती है। इसके बाद भी राज्य सरकारें एक से दो-दो साल तक का एक्सटेंशन दे देती हैं। 1982 बैच के आइपीएस सुरेश अरोड़ा के बाद बाकी के डीजीपी रैंक के 10 अधिकारियों में से सभी 1985 से 87 बैच के अधिकारी हैं।

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डीजीपी बनने के लिए यूपीएसई के नियमानुसार केंद्र सरकार में इंपैनलमेंट जरूरी है। ज्यादातर पुलिस अधिकारी राज्य सरकारों के साथ साठगांठ करके उसी राज्य में डटे रहते हैं और डीजीपी जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कब्जा कर लेते हैं। इसी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों यह फैसला दिया था। इसके बाद पंजाब पुलिस में डीजीपी पद को लेकर बीते एक साल से दावेदारों में चल रहे घमासान ने नया रूप से लिया था। केंद्र में इंपैनलमेंट के मामले में केवल चार पुलिस अधिकारी दौड़ में बचे थे और डीजीपी बनने का सपना देख रहे बाकी दौड़ से बाहर हो गए थे।

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कैप्‍टन सरकार ने डीजीपी के चयन का अधिकार अपने हाथों में ही रखने के लिए पुलिस एक्ट में संशोधन करके राज्य पुलिस आयोग बनाने का फैसला बीते दिनों कैबिनेट की बैठक में लिया। सरकार इस मामले में कानूनी लड़ाई भी लड़ने के लिए इस तर्क के आधार पर तैयारी कर रही है कि अरोड़ा सबसे वरिष्ठ और अनुभवी आइपीएस हैं। आयोग के चेयरमैन का पद मुख्यमंत्री के पास होगा, इसलिए अंदरखाते डीजीपी भी वही बनेगा जिसे मुख्यमंत्री चाहेंगे। अरोड़ा बीते आठ महीनों से कैप्टन अमरिंदर सिंह की गुडबुक में हैं।

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दो सरकारों में काम करने वाले पहले डीजीपी हैं अरोड़ा

पंजाब के इतिहास में अभी तक यही होता आया था कि जब भी सरकार बदलती थी तो डीजीपी व मुख्य सचिव का भी बदला जाना तय होता था। यह पहली बार हुआ है कि कोई आइपीएस अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी डीजीपी था और कांग्रेस के आने के बाद भी डीजीपी बना रहा। अरोड़ा को न हटाने को लकर सरकार व विपक्ष में अभी तक खींचतान चली आ रही है।

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वरिष्ठता क्रम में ये अधिकारी हैं दौड़ में

नाम-                       -बैच-                     रिटायरमेंट की तिथि

एसके गोयल-           1984 -                        31-5-20

मोहम्मद मुस्तफा-    1985-                         28-3-21

एचएस ढिल्लो-         1985-                         31-3-19

जसमिंदर सिंह-        1986-                          31-8-19

एस चटोपाध्याय -     1986-                         31-3-22

दिनकर गुप्ता-          1986-                         31-3-24

सीएसआर रेड्डी         1987-                        31-12-20

एमके तिवारी-            1987-                        28-2-22

वीके भांवरा-              1987-                         31-5-24

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