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रेत खदान प्रकरण से निकलने की रणनीति बनाने में जुटी कांग्रेस

पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार को रेत खनन नीलामी मामले पर विपक्ष के कड़े विराेध का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में कांग्रेस इससे निपटने की रणनीति बना रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 12 Jun 2017 09:35 AM (IST)Updated: Mon, 12 Jun 2017 09:38 AM (IST)
रेत खदान प्रकरण से निकलने की रणनीति बनाने में जुटी कांग्रेस
रेत खदान प्रकरण से निकलने की रणनीति बनाने में जुटी कांग्रेस

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में रेत खदान नीलामी प्रकरण पर विपक्ष का सामना करने के लिए कांग्रेस 'साम-दाम, दंड-भेद' की नीति अपनाएगी। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार और कांग्रेस की सबसे बड़ी चिंता रेत खड्ड की नीलामी में राणा गुरजीत सिंह का नाम आना है। कांग्रेस को बजट सत्र में रेत खनन नीलामी मामले पर विपरूा का तगड़ा हमला झेलना पड़ सकता था। पिछली सरकार में कांग्र्रेस रेत प्रकरण को लेकर अकाली दल-भाजपा को घेरती रही है, जबकि अब कांग्रेस को बचाव करना है।

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कांग्रेस विधायक दल की बैठक 13 को, राणा गुरजीत बने सरकार की चिंता

बजट सत्र को लेकर कांग्रेस विधायक दल की बैठक 13 जून को बुलाई गई है। इस बैठक में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह की डिनर डिप्लोमेसी देखने को मिलेगी। चूंकि सरकार को पता है कि कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह का नाम रेत प्रकरण में उछलने से विपक्ष के हाथ में 'बटेर' लग गया है।

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माना जा रहा है कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विपक्ष के हथियारों को कुंद करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दंड और भेद की नीति का नुक्ता पेश कर सकते हैं। सत्ता पक्ष यह मान रहा हैं कि रेत प्रकरण में राणा गुरजीत सिंह को ही अपनी सफाई देनी पड़ेगी, लेकिन यह भी तय है कि चूंकि इस मामले में विपक्ष की कमान राणा के धुर विरोधी सुखपाल खैहरा संभालेंगे।

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ऐसे में राणा गुरजीत सिंह अपनी सफाई विधानसभा में नहीं रख पाएंगे। ऐसे में सरकार की मुख्य चिंता आम आदमी पार्टी नहीं, बल्कि अकाली दल और भाजपा हैं। सूत्र बताते हैं कि सरकार की कोशिश होगी कि आप के विधायक उतावलेपन में कोई ऐसी गलती कर बैठे, जिससे वह सेशन का बायकॉट करें या फिर स्पीकर उन्हें सस्पेंड करें। कांग्रेस इसके लिए रणनीति भी तैयार कर रही है, लेकिन सरकार की दिक्कत अकाली दल को लेकर होगी क्योंकि पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल खुद अकाली दल की कमान संभालने के लिए सदन में होंगे।

कांग्रेस खेल सकती है पावर गेम

अकाली दल के पास अनुभव की कमी नहीं है। ऐसे में सत्ता पक्ष 77 विधायकों का पावर गेम खेल सकती हैं। इसके लिए बाकायदा कांग्रेस अपने नए विधायकों को शोरशराबा करने के लिए सामने ला सकती है, ताकि विपक्ष के दबाव से निकला जा सके। वहीं, 13 को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ भी मौजूद रहेंगे। माना जा रहा हैं कि जाखड़ भी नए विधायकों को विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए कांग्रेस की नीति को स्पष्ट करेंगे।

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