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केजरीवाल के बिजली मॉडल पर अपने सांसदों ने ही अमरिंदर सरकार को घेरा

पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की सरकार बिजली के मुद्दे पर अपने सांसदों के बीच ही घिर गई। कांग्रेस सांसदों ने केजरीवाल के बिजली मॉडल पर सरकार को घेरा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 09:57 AM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 03:47 PM (IST)
केजरीवाल के बिजली मॉडल पर अपने सांसदों ने ही अमरिंदर सरकार को घेरा
केजरीवाल के बिजली मॉडल पर अपने सांसदों ने ही अमरिंदर सरकार को घेरा

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार का महंगी बिजली का मुद्दा पीछा नहीं छोड़ रहा है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बिजली मॉडल से तुलना करना पंजाब सरकार को पसंद नहीं आ रहा। सबसे बड़ी परेशानी यह है कि सरकार इस मुद्दे को काउंटर भी नहीं कर पा रही है। इससे कांग्रेस सरकार की बेबसी दिख रही है। कांग्रेस के लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों के साथ हुई मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बैठक में भी यह मुद्दा उठा और सरकार इस पर बुरी तरह घिर गई।

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सांसदों की बैठक में उठा मामला, कहा- मुद्दे को काउंटर करना सरकार का काम

गौरतलब है कि दिल्ली में बिजली काफी सस्ती है। 200 यूनिट तक उपभोक्ताओं को बिजली मुफ्त दी जा रही है। पंजाब सरकार के अधिकारियों ने दिल्ली के बिजली बिलों से तुलना को बेबुनियाद बताया। राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि मुद्दा तो है, लेकिन इसे काउंटर करना भी पंजाब सरकार का ही काम है। बैठक में जब प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौते को लेकर विचार-विमर्श चल रहा था तभी दिल्ली में सस्ती बिजली का मुद्दा उठा।

अधिकारियों के तर्क

-मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की उपस्थिति में अधिकारियों ने जवाब दिया कि दिल्ली में केवल घरेलू बिजली के दाम कम हैं।

-दिल्ली में कमर्शियल कनेक्शन 30 फीसद हैं, जबकि पंजाब में महज 5 फीसद।

-दिल्ली में इंडस्ट्रियल बिजली पंजाब के मुकाबले काफी महंगी है, जबकि पंजाब में यह पांच रुपये प्रति यूनिट है।

-पंजाब में किसानों को मुफ्त बिजली दी जा रही है, जो दिल्ली में नहीं है।

-एससी-बीसी को भी 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जा रही है। इससे सरकार पर 11 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है। ऐसे में दिल्ली व पंजाब की तुलना नहीं की जा सकती।

सांसदों ने खारिज की सरकार की दलील

सरकार के तर्क कांग्रेस के कई सांसदों को पसंद नहीं आ रहे। उनका कहना है कि पंजाब में 96 लाख घरेलू कनेक्शन हैं, जबकि किसानों को जो मुफ्त बिजली दी जा रही है, उसका राजनीतिक रूप से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।

राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि निश्चित रूप से यह विचार करने वाले तथ्य हो सकते हैं कि दिल्ली में कमर्शियल कनेक्शन अधिक हैं, इंडस्ट्रियल बिजली महंगी है और किसानों को बिजली सब्सिडी नहीं है, लेकिन इसे काउंटर करना सरकार का ही काम है। क्योंकि पंजाब में यह तस्वीर बनाई जा रही है कि दिल्ली में बिजली सस्ती है और पंजाब में काफी महंगी। सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर जवाब दे। प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौते का रिव्यू किया जाए, तो निश्चित रूप से पंजाब के लोगों का बिजली बिल कम हो सकता है।

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