कैप्टन का केंद्र की कृषि सुधार नीति पर कड़ा रुख, कहा- ऐसे कदम से किसानाें में फैलेगा असंतोष
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र सुधार के कदम काे संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। उन्होेंने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित कृषि सुधार नीति और मंडी एक्ट में संशोधन को खारिज किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के कदम के गंभीर नतीजे होंगे। उन्होंने इसे मानने से इन्कार कर दिया। सीएम ने कहा कि राज्यों से विचार किए बिना इस तरह का कदम उठाना
देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने वाला है। ऐसे कदमों से किसानों में असंतोष फैलेगा। केंद्र सरकार द्वारा 'फार्मिंग प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऑर्डिनेंस-2020' जल्दबाजी उठाया गया कदम है। इससे पंजाब के किसानों को भारी नुकसान होगा।
कहा- केंद्र सरकार का कदम देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने वाला
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यहां मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि जब कर्ज हमें लौटाना है तो केंद्र हमारे कर्ज की सीमा 3 से 5 करने में शर्तें क्यों लगा रहा है। सीएम ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए केंद्र द्वारा घोषित सुधारों को देश के संघीय ढांचे को अस्थिर करने की तरह है और यह अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा, हम इसे खारिज करते हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह एमएसपी और खाद्यान्न खरीद के सिस्टम को भंग करने का मार्गप्रशस्त कर सकता है। इससे राज्य के किसानों में परेशानी हो सकती है और आक्रोश पैदा हो सकता है।
कहा- कृषि एक राज्य विषय, केंद्र के पास कृषि उपज व विपणन पर कानून बनाने की शक्तियां नहीं
उन्होंने कहा कि संवैधानिक ढांचे के तहत कृषि एक राज्य विषय है और संघ सरकार के पास कृषि उपज, विपणन और प्रसंस्करण की गतिशीलता से निपटने के लिए कोई कानून बनाने की कोई शक्तियां नहीं हैं। ये राज्य के मामले हैं, जिन्हें अलग-अलग राज्यों को संभालने और प्रबंधित करने के लिए सबसे अच्छा स्थान दिया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र व मंडी एक्ट में बदलाव की घोषणा की है। इसके तहत किसानों को अपनी फसल सीधे कहीं भी बेचने की छूट दी थी।
उन्होंने कहा कि केंद सरकार के इस कदम से देश में चल रही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। खाद्यान्न भंडारण की व्यवस्था को भी नुकसान होगा। केंद्र सरकार को जल्दबाजी में फैसले लेकर उन्हेंं राज्यों पर थोपने की आदत हो गई है। केंद्र का यह रवैया देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। संविधान में केंद्र व राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारियां स्पष्ट तौर पर बांटी गई हैं, जिनमें कृषि को राज्य का विषय बनाया गया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए भी केंद्र सरकार की ओर से जल्दबाजी में किए गए फैसलों के चलते देश को भविष्य में आर्थिक, सामाजिक व कानून व्यवस्था संबंधी चुनौतियां झेलनी पड़ सकती हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाए जा रहे अध्यादेश से किसानों की मुश्किलें दूर होने की बजाय बढ़ सकती हैं। केंद्र सरकार ने अध्यादेश में विवाद निपटाने की व्यवस्था नहीं की है। नई व्यवस्था में कोई विवाद उत्पन्न होने पर उसे निपटाने का काम राज्यों पर आ जाएगा।
पहले से मौजूद मंडी प्रणाली बेहतर
केंद्र सरकार पर किसान विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कैप्टन ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में चिरलंबित सुधारों की बजाय ऐसी व्यवस्था लाने की कोशिश कर रही है, जिससे वह प्रणाली भी ध्वस्त हो जाएगी, जिसने अब तक कृषि क्षेत्र को बचाए रखा है। पंजाब में पहले से मौजूद मंडी प्रणाली को बेहतर बताते हुए कैप्टन ने कहा कि पिछले 60 सालों से पंजाब में किसान खुली मंडियों में अपनी फसल बेचने की प्रक्रिया अपना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 'द पंजाब एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट (एपीएमसी) एक्ट-1961' के तहत स्थापित मंडियों में हर साल 80 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होता है। इस पर राज्य की 65 फीसद आबादी निर्भर है। कैप्टन ने कहा कि कुछ विशेष उत्पादों के लिए निजी क्षेत्र को मंडियों में भागीदारी देने के लिए राज्य सरकार ने एपीएमसी एक्ट में संशोधन भी कर दिया है।
छोटे व सीमांत किसानों को बड़ा नुकसान
नए अध्यादेश को राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप बताते हुए कैप्टन ने कहा है कि इससे छोटे व सीमांत किसानों को बड़ा नुकसान होगा। इससे सामाजिक अशांति फैल सकती है। अध्यादेश को संघीय ढांचे के लिए खतरा है। पंजाब देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने वाले किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटेगा। कैप्टन ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधारों के नाम पर लाए जा रहे अध्यादेश से देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, जो किसानों की मेहनत से हरित क्रांति के बाद देश ने बड़ी मुश्किल से प्राप्त की है।
लाॅकडाउन मेें शराब की बिक्री व तस्करी की जांच के लिए एसआइटी बनाने की घोषणा
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य में लॉकडाउन और कर्फ्यू के दाैरान शराब की अवैध ब्रिकी को लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इस अवधि के दौरान शराब की अवैध बिक्री और तस्करी की पूरी जांच करने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआइटी) के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पंजाब में स्कूलाें को मेडिकल टीम और विशेषज्ञों की सलाह के बाद ही खोले जाएंगे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि बच्चों की जान को खतरे में नहीं डाल सकते।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि इस तीन सदस्यीय एसआइटी के प्रधान जल संसाधन मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया होंगे। यह कमेटी पूरे रैकेट की जांच करेगी और दोषियों का पता लगएगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अन्य राज्यों से अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर शराब की बिक्री और तस्करी यहां के लोगों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकती। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसआइटी द्वारा ऐसे सभी तत्वाें का पता लगाने के लिए पूर्ण जांच की जाएगी। आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सहित तथ्यों की भी पूरी जांच होगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में किंगपिन सहित सभी रैकेट में शामिल सभी लाेगों की पहचान की जाएगी और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा
कहा- धान बीज घोटाले में जांच जारी, कार्रवाई भी हो रही है
कथित धान बीज घोटाले के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इसकी पूरी जांच की जा रही है और कार्रवाई भी हो रही हे। इसमें सरकारी मशीनरी के शामिल होने की संभावना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की विस्तृत जांच कृषि विभाग के एक संयुक्त निदेशक के साथ एडीजीपी (ADGP) स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एसआइटी द्वारा की जा रही है।
उन्होंने कहा कि पीएयू (पंजाबी कृषि विश्वविद्यालय) ने परीक्षण के आधार पर लगभग 3000 क्विंटल पीआर 128 और धान के बीज की 129 किस्मों का उत्पादन किया था। जबकि बेईमान डीलरों ने इस बीज के 30000 क्विंटल खुले बाजार में किसानों को बेचा। इसने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि निर्दोष किसानों को चूना लगाने के लिए इन नई किस्मों में मिश्रित बीज भी मिलाया गया। एसआइटी घोटाले की तह तक जाएगी।
कहा- केंद्र सरकार चीन के प्रति कड़ा रुख अख्तियार करे
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसके साथ ही भारत-चीन सीमा पर हलचल को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि युद्ध की स्थिति से बचा जाना चाहिए, लेकिन भारत सरकार चीन की हरकतों पर कड़ा रुख अख्तियार करे। कैप्टन अमरिंदर ने केंद्र से आग्रह किया कि यदि पड़ोसी देश मुद्दे को हल करने के कूटनीतिक प्रयासों का जवाब नहीं दे रहा है, तो भारत सीमा पर सख्त रुख अपनाए।
उन्होंने कहा कि चीन के सैनिक अब पीछे हट गए हैं, लेकिन उनका भारतीय क्षेत्र में बार-बार घुस आना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। कैप्टन अमरिंदर ने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन को समझ लेना चाहिए कि भारतीय सेना अब अधिक आधुनिक हो चुकी है और 1962 से बहुत आगे आ चुकी है। चीन के लिए भारत का हल्के में लेा बहुत भारी पड़ सकता है।
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