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दशहरे पर जख्म हुए ताजा, सीने का दर्द आंखों से निकला, सरकार और सिद्धू पर फूटा गुस्‍सा

अमृतसर में 2018 में हुए दशहरे के दिन हुए जौड़ा रेल हादसे के पीडि़तों का दर्द इस बार दशहरे पर फूट पड़ा। वादा खिलाफी के कारण उनका पंजाब सरकार और नवजोत सिंह सिद्धू पर गुस्‍सा फूटा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 10:56 AM (IST)
दशहरे पर जख्म हुए ताजा, सीने का दर्द आंखों से निकला, सरकार और सिद्धू पर फूटा गुस्‍सा
दशहरे पर जख्म हुए ताजा, सीने का दर्द आंखों से निकला, सरकार और सिद्धू पर फूटा गुस्‍सा

अमृतसर, जेएनएन। एक साल पहले दशहरे के जश्‍न के दौरान हुए जौड़ा फाटक रेल हादसे के पीडि़तों का जख्‍म फिर ताजा हो गया। अपनों को खो चुके लोगों के सीने में दबा दर्द आंसू बन कर आंखों से निकल पड़ा। 19 अक्टूबर 2018 को दशहरे के दिन जौड़ा फाटक रेलवे ट्रैक रक्तरंजित हो गया था। यहां रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर दशहरा देख रहे 59 लोग के ऊपर से पठानकोट से आई डीएमयू गुजर गई थी। इस बार दशहरा पर पीडि़त परिवारों के लोग इंसाफ के लिए सड़क पर उतरे। पंजाब सरकार और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के प्रति उनका गुस्‍सा फूट पड़ा।  

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जौड़ा फाटक रेल हादसा : ट्रैक पर धरना देने जा रहे पीडि़त परिवारों को पुलिस ने रोका

जौड़ा फाटक हादसे के पीडि़त परिवारों ने पंजाब सरकार एवं स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ प्रदर्शन किया। ये परिवार उसी ट्रैक पर धरना लगाने जा रहे थे, जहां हादसा हुआ था, लेकिन पुलिस ने उन्हें बेरीकेड्स लगा रोक दिया। इसके बाद गुस्साए लोग जौड़ा फाटक के समीप ही धरना देकर बैठ गए। कई पीडि़त परिवारों के लोग तो ट्रैक पर जाने को आमादा थे। उनका कहना था कि हमें ट्रैक पर जाने दो, हम भी रेल के नीचे कटकर अपनी जान दे देंगे।

पीडि़तों ने पंजाब सरकार व नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ की नारेबाजी

जौड़ा फाटक के पास धरना देने के दौरान अपनों को याद कर भावुक हुई महिला को संभालते परिजन।

लोग जौड़ा रेल फाटक के समीप पहुंचे पीडि़त परिवारों की आंखों में जहां सरकार के प्रति आक्रोश था, वहीं हादसे का दर्द भी। इस हादसे में अपने पिता व चाचा को खो चुके दीपक कुमार ने कहा कि सरकार ने सरकारी नौकरी देने का वायदा पूरा नहीं किया। हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों की हालत सरकार देख लें। लोगों के घरों का चूल्हा तक ठंडा पड़ा है। लोग अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहे। इस हादसे के कसूरवार नवजोत कौर सिद्धू को ठहराते हुए दीपक ने कहा कि यदि वह उस दिन निर्धारित समय पर आ जातीं तो 59 लोगों की जान न जाती। उनके पति नवजोत सिद्धू ने तो इन परिवारों को अडाप्ट करने की बात कही थी, पर सिद्धू दंपती ने परिजनों की कभी सुध तक नहीं ली।

कहा, सरकारी नौकरी तो दूर सिद्धू ने पीडि़त परिवारों को अडाप्ट करने का वायदा भी पूरा नहीं किया

राजेश कुमार नामक शख्स ने बताया कि उनके पिता बलदेव कुमार हादसे में गंभीर जख्मी हुए थे। पांच माह बाद उनकी मृत्यु हो गई। आज तक उनका नाम मृतकों की सूची में शामिल नहीं किया गया। हम सरकारी कार्यालयों में भागदौड़ कर थक चुके हैं। सरकारी नौकरी तो दूर हमें मुआवजा तक नहीं मिला।

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नेताओं ने सेकीं सियासी रोटियां, मन्ना व खैहरा ने सरकार को घेरा

धरना के बीच नेता भी सियासी सियासी रोटियां सेकनें पहुंचे। कांग्रेस के पूर्व महासचिव मनदीप सिंह मन्ना ने कहा कि इन लोगों की यह गलती है कि उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू को चुनाव जितवाया। सिद्धू सात दिन वैष्णो देवी में रहे और दूसरी तरफ अमृतसर स्थित सिद्धू आवास के बाहर धरना लगाकर बैठे पीडि़त परिवारों को पानी तक नहीं पूछा गया। सिद्धू पर कस दर्ज होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने लोगों से वादाखिलाफी की है।

मन्ना ने कहा कि हादसे से संबंधित डिवीजनल कमिश्नर की जो रिपोर्ट पंजाब सरकार के पास दबाकर रखी गई है वह जल्द ही उसे सार्वजनिक करेंगे। उधर,  पंजाब एकता पार्टी के प्रधान सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि यह हादसा सरकार की लापरवाही का प्रमाण है। सरकार अपने नेताओं व अधिकारियों को बचाती रही है।  जौड़ा फाटक हादसे की रिपोर्ट सरकार सार्वजनिक करे और पीडि़त परिवारों को सरकारी नौकरी दी जाए।

आंखें थीं नम, चेहरे पर था अपनों को खोने का गम

धरने में शामिल महिलाओं की आंखें आज रेलवे ट्रैक को देखकर बार-बार नम हो रही थीं। इसी ट्रैक पर उनके अपने लाश बन गए थे। हादसे में बेटे को खो चुकी महिला बिंदु ने कहा कि आज पुलिस उन्हें ट्रैक पर जाने से रोक रही है, तब कहां थी जब बिना मंजूरी के यहां दशहरा उत्सव का आयोजन किया जा रहा था। यदि पुलिस ने तब आयोजन रोका तो आज यह नौबत न आती।   

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पीडि़त परिवारों ने 22 अक्टूबर का अल्टीमेटम दिया

तकरीबन ढाई बजे जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम विकास हीरा धरनाकारियों के बीच पहुंचे। उन्होंने उन्हें धरना उठाने की अपील की। लोगों से साफ कहा कि उन्हें इंसाफ चाहिए। काफी देर बातचीत जारी रहने के बाद लोगों ने कहा कि वह सरकार को 22 अक्टूबर तक का समय दे रहे हैं। इस अवधि में पीडि़त परिवारों को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। साथ ही हादसे के कसूरवारों के खिलाफ सख्त एक्शन होना चाहिए। इसके बाद धरना उठा लिया गया।

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बीस वर्ष से होता रहा है आयोजन आज नहीं जला रावण

जौड़ा फाटक में बीस वर्षों से रावण दहन किया जाता रहा है। पिछले वर्ष हुए हादसे के बाद इस बार यहां दशहरा नहीं मनाया गया। लोगों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने जौड़ा फाटक के दोनों गेट बंद कर दिए थे। लोगों को लिंक रास्तों से भेजा गया।

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