जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा- सिखों को खालिस्तान के नाम से परिभाषित करना गलत
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि सिखाें को खालिस्तान से परिभाषित करना गलत है।
अमृतसर, जेएनएन। हाल ही में खालिस्तान पर दिए अपने बयान से चर्चा में आए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के रुख में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर उन्होंने कहा था कि सिख खालिस्तान की मांग करते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहींं है। अगर केंद्र सरकार सिखों को खालिस्तान देती है, तो सिख इन्कार नहीं करेंगे। इस पर बयान पर पंजाब में काफी हंगामा हुआ था।
अब उन्होंने कहा है कि सिखों को किसी भी तरह खालिस्तान के नाम पर परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए।
कहा- दुश्मन देश के हाथों गुमराह होने से बचें सिख युवा
उन्होंने कहा कि सिखों को भी यह ध्यान रखना होगा कि दुश्मन देश किसी भी तरह सिख युवाओं को गुमराह करके भारतीय संविधान के खिलाफ व आतंकवाद की तरफ धकेलने में सफल न हो सके। सिख दुनिया भर में शांति, सर्व सांझीवालता (सृष्टि का कल्याण) और सरबत का भला (सबका भला) के समर्थक हैं। मेरे बयान को कुछ लोग गलत ढंग से पेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ये लोग सिख कौम को अपनी राजनीति के लिए जानबूझ कर खालिस्तान के साथ जोड़ कर गलत धारणा बनाना चाहते हैं। वे अपने हितों की पूर्ति करना चाहते है। कुछ लोग अन्य देशों में बैठे अपने आकाओं को खुश करने के लिए मेरे बयान को गलत रंगत दे रहे हैं। समय-समय पर कई सिख नेताओं ने लोकतंत्र का समर्थन करते हुए बयान दिए हैं। उन्होंने लोकतंत्र में विश्वास प्रकट किया है और सिखों की मांगों की भी बात की है।
सिख नरसंहार जैसी घटनाओं ने अलग राज्य की मांग के लिए प्रेरित किया
ज्ञानी हरप्रीत ने कहा कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार द्वारा सिखों के धार्मिक स्थल पर हमले (ऑपरेशन ब्लू स्टार) करवाने और सिख नरसंहार (1984) जैसी घटनाओं ने ही सिखों को अलग राज्य की मांग के लिए प्रेरित किया। सिख हमेशा ही चाहते रहे हैं कि उनको बराबर का सम्मान मिले, लेकिन समय-समय पर सरकारों ने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सिखों के प्रति गलत धारणा पैदा की। सिखों पर सरकारी अत्याचार करके उनके अंदर बेगानेपन का एहसास पैदा किया।
पाकिस्तान ने उठाया फायदा
ज्ञानी हरप्रीत ने कहा कि पाकिस्तान व उनकी एजेंसियों ने सिखों के अंदर पैदा हुए बेगानेपन के एहसास का फायदा उठाते हुए सिख युवाओं को खालिस्तान के प्रेरित किया व फंड उपलब्ध करवाए। कुछ मानवता विरोधी शक्तियों ने भी अपने राजनीतिक हितों के लिए अशांति का वातावरण पैदा करने में भूमिका निभाई।
शांतिमय ढंग से अपने हक की आवाज उठाएं
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि 'हलीमी राज' और 'बेगमपुरा का कांसेप्ट' गुरबाणी के अनुसार सिख भावनाओं से जुड़ा है। यह हर सिख को लोकतांत्रिक ढंग से मानवता के लिए शांतिमय संघर्ष करने का पक्षधर है। सिखों को संविधान के अंदर रह कर अपने हकों के लिए शांतिमय ढंग से आवाज उठानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी को कोई हानि न हो और पंजाब में रहने वाला हर व्यक्ति शांतिमय ढंग से जीवन व्यतीत कर सके। केंद्र सरकार को भी चाहिए कि सिखों की बात को गंभीरता से सुने, उनके जख्मों पर मरहम लगाए, ताकि वह अपने आप को अलग महसूस न कर सकें।
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