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पंथक संकट के हल के लिए बड़ा कदम, पंज प्‍यारे बहाल

पंथक संकट में घिरी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पांच तख्‍तों के सिंह साहिबान व पंज प्‍यारों के बीच पैदा हुए विवाद को सुलझाने की दिशा में पहला कदम उठाया है। एसजीपीसी के अध्‍यक्ष जत्‍थेदार आवतार सिंह मक्‍कड़ ने पंज प्‍यारों का निलंबन रद कर दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2015 08:26 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2015 10:22 PM (IST)

अमृतसर [अशोक नीर]। श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद पंथक संकट में घिरी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पांच तख्तों के सिंह साहिबान व पंज प्यारों के बीच पैदा हुए विवाद को सुलझाने की दिशा में पहला कदम उठाया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ ने देर शाम पंज प्यारों का निलंबन रद कर दिया।

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पंज प्यारों को निलंबित करने के बाद शिरोमणि कमेटी की कार्यकारिणी ने इस मामले पर अंतिम निर्णय करने का अधिकार जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ को सौंप दिया था। जत्थेदार मक्कड़ ने कार्यकारिणी द्वारा मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए रविवार देर शाम इन पांच प्यारों की सेवाएं बहाल कर दीं।

पंज प्यारों को बहाल कर शिरोमणि कमेटी ने पंथक भावनाओं को दिया महत्व

पंज प्यारों की सेवा बहाल करने से समझा जाता है कि उनके द्वारा जारी किए गए गुरुमता पर अमल होगा। अब बड़ा सवाल है कि पांच सिंह साहिबान इस गुरुमते को मानते हुए पंज प्यारों के समक्ष पेश होकर दशम पिता द्वारा बख्शी गई पांच प्रधानी प्रणाली की संस्था को बचाने के लिए आगे आते हैं या नहीं। इस सवाल को जवाब तो सआगे मिलेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि पंज प्यारों द्वारा किए गए गुरुमते पर शिरोमणि कमेटी ने भी अपनी मोहर लगा दी है।

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इससे पहले अध्यक्ष जत्थेदार अवतार सिंह मक्कड़ ने दो टूक कहा था कि पंज प्यारों को गुरुमता देने का कोई अधिकार नहीं है। न ही निलंबित किए गए पंज प्यारों को पांच सिंह साहिबान को बर्खास्त करने के निर्देश देने का अधिकार है।

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पंज प्यारों द्वारा किए गए गुरुमते पर पांच सिंह साहिबान अमल कैसे करें, इस पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सिख विद्वानों व बुद्धिजीवियों के साथ संपर्क स्थापित करना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि पांच सिंह साहिबान पंजच प्यारों के गुरुमते के मान भी हो जाएं व उनकी सर्वोच्चता भी बरकरार रहे।

जानकारों का यह भी कहना है कि पंज प्यारों द्वारा दिए गए गुरुमते में अब कोई भी समझौता नहीं हो सकता। गुरुमता गुरु ग्रंथ साहिब जी की हाजिरी में श्री गुरुग्रंथ- श्री गुरु पंथ की उपस्थिति में किया गया है। एेसे में अब सभी कि निगाहें इस पर लगी हैं कि पंज प्यारों के गुरुमते को एसजीपीसी कैसे लागू करती है।

श्री गुरुग्रंथ साहिब जी की बेअदबी के बाद सिख संगत के भड़के जज्बातों के बाद पंज प्यारों द्वारा किए गए गुरुमते केा सिख संगत ने जिस प्रकार समर्थन दिया है उससे शिरोमणि कमेटी के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी थी। एसजीपीसी ने इस चुनौती के समाधान के लिए पहले पड़ाव को पार करते हुए पंज सिंह साहिबान को बहाल कर दिया है।

एसजीपीसी के लिए दूसरी बड़ी चुनौती गुरुमते को लागू करवाना है। पंज प्यारे क्या अपने द्वारा किए गए गुरुमते में कोई संशोधन करते हैं या गुरु मर्यादा के अनुसार उसे लागू करने पर दृढ़ रहते हैं, इस पर पंथक संकट के हल की बुनियाद टिकी हुई है।

एसजीपीसी ने पंज प्यारों को बहाल कर पंथक जज्बातों की तर्जमानी की है। पिछले कुछ समय से शिरोमणि कमेटी धार्मिक मुद्दों पर विवादों में घिर गई थी। सिख संगत जिस प्रकार श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी मल सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख सिंह केविरुद्ध मुखर हुई र्है, उससे पंथक संकट गहराया है। सिखों की सर्वोच्च संस्थाओं के जत्थेदारों के पवित्र पदों पर आई आंच को बचाने के लिए शिरोमणि कमेटी आगामी कुछ दिनों में क्या कदम उठाती है, यह देखना अभी बाकी है।


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