West Bengal: हिंदी विश्वविद्यालय बिल पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ की मुहर
Hindi University Bill. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने द हिंदी यूनिवर्सिटी पश्चिम बंगाल बिल 2019 को अपनी मंजूरी दे दी है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। Hindi University Bill. बंगाल में पहला हिंदी विश्वविद्यालय के निर्माण का रास्ता अब साफ हो गया है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने 'द हिंदी यूनिवर्सिटी, पश्चिम बंगाल बिल 2019' को अपनी मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को राजभवन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि राज्यपाल ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत हिंदी विश्वविद्यालय बिल पर अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ राज्यपाल ने 'वेस्ट बंगाल लिफ्ट्स, एस्केलेटर और ट्रैवलर्स बिल 2019' को भी मंजूरी दे दी है।
बता दें कि हावड़ा के दासनगर में यह हिंदी विश्वविद्यालय स्थापित होगा। वहीं, राज्यपाल की ओर से संकेत दिया गया है कि दोनों विधेयकों के संबंध में राज्य सरकार से मांगे गए इनपुट काफी समय से नहीं मिल रहे थे, जिसके कारण इसको मंजूरी देने में देरी हो रही थी। हालांकि संबंधित सूचनाओं के लिए राज्यपाल कार्यालय के स्तर पर काफी परिश्रम व विचार के बाद आखिरकार राज्यपाल द्वारा सहमति प्रदान कर दी गई। इसके साथ राज्यपाल ने राज्य सरकार को भविष्य के लिए ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि विधायी कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता है और मांगे गए इनपुट को उम्मीद के मुताबिक व समय पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
पिछले साल छह सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा से द हिंदी यूनिवर्सिटी, वेस्ट बंगाल बिल 2019 पारित हुआ था और इसे राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। बिल पारित होने के मौके पर ममता ने कहा था कि यह हिंदी विश्वविद्यालय नई राह दिखाएगा और एकता व सद्भाव की मिसाल बनेगा। वहीं, राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब हिंदी विवि के लिए अधिगृहित की गई जमीन पर निर्माण कार्य जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि बीते साल छह मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हावड़ा के दासनगर थाना क्षेत्र के आरुपाड़ा में राज्य के पहले हिंदी विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी किया था। यहां तीन एकड़ जमीन पर यह विश्वविद्यालय स्थापित होगा। उस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि आसनसोल और उत्तर बंगाल में भी इस हिंदी विश्वविद्यालय की शाखाएं होंगी। राज्य में बड़ी संख्या में हिंदीभाषी रहते हैं। हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना से उन्हें काफी लाभ होगा।
दो और विधेयक राज्यपाल के पास विचाराधीन
राजभवन की ओर से शुक्रवार को जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि विधानसभा से पारित अन्य दो विधेयक अभी राज्यपाल के विचाराधीन है। इनमें पश्चिम बंगाल लिंग निवारण विधेयक 2019 और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए पश्चिम बंगाल राज्य आयोग विधेयक 2019 शामिल है। बताया गया है कि इस पर अपेक्षित इनपुट के बाद ही मंजूरी दी जा सकती है। राजभवन की ओर से सरकार का ध्यान खींचा गया है कि वह इस प्रकार के मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उपयुक्त इनपुट समय से उपलब्ध कराए, ताकि विधायी कार्यों को नुकसान न हो।
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