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West Bengal: राज्यपाल जगदीप धनखड़ बोले, मदर टेरेसा के राज्य में हिंसा देख होता है दुख

Governor Jagdeep Dhankar. सरकार पर कटाक्ष करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जिस राज्य में शांति की दूत और मानवता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा रहती थीं वहां इतना हिंसा क्यों है?

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 08:08 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 08:08 PM (IST)
West Bengal: राज्यपाल जगदीप धनखड़ बोले, मदर टेरेसा के राज्य में हिंसा देख होता है दुख
West Bengal: राज्यपाल जगदीप धनखड़ बोले, मदर टेरेसा के राज्य में हिंसा देख होता है दुख

जागरण संवाददाता, कोलकाता। Governor Jagdeep Dhankar. बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर सवाल खड़ा किया है। सरकार पर कटाक्ष करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जिस राज्य में शांति की दूत और मानवता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा रहती थीं वहां इतना हिंसा क्यों है? उन्होंने कहा कि बंगाल मनीषियों की धरती है जिसने पूरी दुनिया को राह दिखायी, ऐसे में राज्य की वर्तमान परिस्थिति मुझे बेहद दुखी करती है।

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नववर्ष के उपलक्ष में गुरुवार को राज्यपाल ने मिशनरीज आफ चैरिटी का भ्रमण किया और वहां की ननों से बातचीत की। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में राज्यपाल ने कानून-व्यवस्था की वर्तमान परिस्थिति की ओर इशारा कर उक्त बातें कही।

उन्होंने कहा कि रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, ट्रेन यात्रियों को निशाना कर पत्थर फेंकना, स्टेशन में तोड़फोड़ जैसे कृत्य की घोर निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे लेकर मौन रहना ठीक नहीं है, काफी मशक्कत के बाद हमें आजादी मिली है, हमें अपने प्रजातांत्रिक मूल्यों को समझना होगा। राज्यपाल ने आगे कहा कि यदि आप संविधान को देखेंगे तो संविधान में राम, अर्जुन व अन्य महापुरुषों का जिक्र है लेकिन आज यदि हम इस बारे में बात करेंगे तो कहा जाएगा कि धर्मनिरपेक्षता को चोट पहुंचायी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर बीते दिनों कई जगह ¨हसक प्रदर्शन किया गया जिसमें रेलवे की संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया गया है। कानून का राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस विरोध कर रही हैं। बता दें कि राज्यपाल के साथ राज्य सरकार के बीच लंबे समय से विभिन्न मुद्दे पर खींचतान चल रही है जो गाहे-बगाहे सार्वजनिक पटल पर आती रही है।

विवादित ट्वीट पर ट्रोल हुए बंगाल के राज्यपाल

ममता सरकार के साथ विवाद को लेकर सुर्खियों में रहने वाले बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ मंगलवार को अपने एक ट्वीट को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गए। तृणमूल कांग्रेस, माकपा व कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों से लेकर साहित्यकार, लेखक व आम लोगों ने उनकी जमकर खिंचाई की। दरअसल, राज्यपाल ने मंगलवार सुबह अपनी तस्वीर के साथ ट्वीट किया कि बंगाल के लोगों के लिए नए साल के शुभकामना संदेश की रिकॉर्डिग मैंने राजभवन के लाइब्रेरी में रखी उस प्रतिष्ठित टेबल-कुर्सी पर बैठकर की, जिसपर सन् 1905 में लॉर्ड कर्जन ने बैठकर पहले बंगाल विभाजन का हस्ताक्षर किया था।

इस ट्वीट के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने राज्यपाल को ट्रोल करना शुरू कर दिया और इस बात को लेकर आलोचना की कि उन्होंने अपने ट्वीट में बंगाल का विभाजन करने वाले का महिमा मंडन किया। दो प्रख्यात लेखक, जो 1947 में बंगाल विभाजन के साक्षी रहे हैं उन्होंने भी राज्यपाल द्वारा प्रतिष्ठित शब्द का इस्तेमाल किए जाने को गलत करार देते हुए उनकी आलोचना की है। ट्रोल होने के तुरंत बाद राज्यपाल ने एक और संदेश ट्वीट कर कहा-'मैं लोगों का विनम्र सेवक हूं और संविधान को बनाए रखने और उसकी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हूं। बंगाल के लोगों की सेवा करता रहूंगा।' वरिष्ठ तृणमूल नेता व राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने इस प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा-'हम बंगाल के विभाजन के प्रकरण को भूलना चाहते हैं।

राज्यपाल धनखड़ का ट्वीट दुर्भाग्यपूर्ण है।' वहीं, जाने-माने लेखक शीर्षेदु मुखोपाध्याय ने कहा कि राज्यपाल द्वारा प्रतिष्ठित (आइकॉनिक) शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए था। राज्यपाल ने ट्वीट में गलत शब्द का इस्तेमाल किया है। वहीं साहित्यकार प्रफुल्ल राय ने कहा कि विभाजन दर्दनाक था। राज्यपाल की भावनाओं को देखकर लगता है कि यह शब्द सही संदर्भ में उपयोग नहीं किया गया था। इधर, एक यूजर ने यह तक कह दिया कि राज्यपाल अंग्रेजों की भाषा बोल रहे हैं।

विधानसभा अध्यक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष से की राज्यपाल की शिकायत

बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष विमान बनर्जी ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से राज्यपाल जगदीप धनखड़ की शिकायत की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के चलते उन्हें पिछले दिनों राज्य विधानसभा का सत्र दो दिनों तक स्थगित रखना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों से भी राज्यपाल की शिकायत की है।

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