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खत्म होंगे सरकारी कर्मचारियों के कुछ और छोटे भत्ते, आज योगी कैबिनेट की बैठक में होगा फैसला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राजकीय कर्मचारियों को मिलने वाले कम धनराशि के कुछ और भत्तों को खत्म करने का फैसला कर सकती है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 10:42 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 12:45 PM (IST)
खत्म होंगे सरकारी कर्मचारियों के कुछ और छोटे भत्ते, आज योगी कैबिनेट की बैठक में होगा फैसला
खत्म होंगे सरकारी कर्मचारियों के कुछ और छोटे भत्ते, आज योगी कैबिनेट की बैठक में होगा फैसला

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राजकीय कर्मचारियों को मिलने वाले कम धनराशि के कुछ और भत्तों को खत्म करने का फैसला कर सकती है। इनमें विभागों में जीपीएफ पासबुक के रखरखाव के लिए मिलने वाला भत्ता, सिंचाई विभाग के अभियंताओं को दिया जा रहा अर्दली भत्ता और लोक निर्माण विभाग की परिकल्प शाखा के अभियंताओं को प्रोत्साहन के तौर पर दिया जाने वाला भत्ता शामिल है। सरकार का मानना है कि किन्हीं विशेष परिस्थितियों में शुरू किए गए इन भत्तों का आजकल के वेतनमान को देखते हुए प्रभाव नगण्य रह गया है। इन भत्तों को खत्म करने के बारे में वित्त विभाग के प्रस्ताव पर मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मुहर लग सकती है।

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सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की जीपीएफ पासबुक के रखरखाव के लिए विभागों के संबंधित बाबुओं को 25 पैसे प्रति पासबुक प्रति माह की दर से प्रोत्साहन भत्ता देने की व्यवस्था 1984 में शुरू हुई थी। सरकारी कर्मचारियों को अब मिलने वाले वेतन को देखते हुए भत्ते की यह राशि अत्यंत कम रह गई है। इसी तरह सिंचाई विभाग के अभियंताओं को अर्दलियों को प्रोत्साहित करने के लिए अर्दली भत्ता दिया जाता है। लोक निर्माण विभाग में अभियंता निर्माण कार्यों से जुड़े रहने के लिए लालायित रहते हैं। डिजाइनिंग के काम में उनकी कम दिलचस्पी होती है। लिहाजा डिजाइनिंग कार्य करने वाली लोक निर्माण विभाग की परिकल्प शाखा के अभियंताओं को प्रोत्साहित करने के लिए भी भत्ता दिया जाता है। सिंचाई और लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं को यह दोनों भत्ते भी 100 से 150 रुपये प्रतिमाह की दर से दिए जाते हैं।

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सरकार का मानना है कि सरकारी मुलाजिमों और अभियंताओं को जब वेतन कम मिलता था, उस समय प्रोत्साहन के तौर पर यह भत्ते शुरू किये गए थे। अब जब वेतन कई गुना ज्यादा बढ़ चुके हैं, इन भत्तों की प्रासंगिकता नहीं रह गई है। साथ ही इन भत्तों का हिसाब-किताब रखने का भी सरकार को खर्च उठाना पड़ता है। लिहाजा इन भत्तों को खत्म करने का प्रस्ताव है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने बीते दिनों आधा दर्जन भत्तों को खत्म करने का फैसला किया था।


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