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Bengal: नागरिकता संशोधन बिल व एनआरसी को लेकर टीएमसी और भाजपा आमने-सामने

Citizenship Amendment Bill. बंगाल में नागरिकता संशोधन बिल व एनआरसी को लेकर टीएमसी और भाजपा आमने सामने है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 05:33 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 05:33 PM (IST)
Bengal: नागरिकता संशोधन बिल व एनआरसी को लेकर टीएमसी और भाजपा आमने-सामने
Bengal: नागरिकता संशोधन बिल व एनआरसी को लेकर टीएमसी और भाजपा आमने-सामने

सिलीगुडी, अशोक झा। Citizenship Amendment Bill. विवादों का सामना कर रहा नागरिकता (संशोधन) विधेयक आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हवा का रुख निर्धारित करने वाला है और 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले इससे राज्य में सांप्रदायिक आधार पर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ध्रुवीकरण और अधिक तूल पकड़ सकता है।  इसको लेकर राज्य की मुख्यमंंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी की ओर से सोमवार से लगातार आंदोलन की घोषणा की है। वहीं, भाजपा ने भी शनिवार से एक सप्ताह तक इसके समर्थन में जन जागरूकता चलाने का निर्णय लिया है। 

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विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए अगले चुनाव में बहुसंख्यक समुदाय के वोटों को रिझाने के लिए तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ''हिंदू तुष्टिकरण'' की नई लहर शुरू होने की भी संभावना है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक संसद में इस विधेयक के पारित होने से भगवा पार्टी के पक्ष में हिंदू वोटों के और तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण बढ़ने की संभावना है। 

एक ओर जहां बंगाल भाजपा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की हिमायत करने के बाद उसका फायदा नहीं मिलने में नाकाम रहने के बाद नागरिकता विधेयक का लाभ मिलने की काफी आस लगाए बैठी है, वहीं दूसरी ओर तृणमूल को लगता है कि यह एनआरसी की तरह ही भगवा पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि ये दोनों चीजें बंगालियों और बंगाली गौरव पर हमला हैं। करीब 80 विधानसभा क्षेत्रों (नदिया,  कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, मालदा,  उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों) के चुनाव में हिंदू शरणार्थी अहम भूमिका निभाते हैं, जबकि लगभग 90 सीटों पर मुसलमान मतदाताओं की अच्छी खासी आबादी है। इसके अलावा हिंदू शरणार्थी करीब 40-50 अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी फैले हुए हैं जहां निर्वाचक मंडल में उनकी हिस्सेदारी 10 से 15 फीसद है।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व  बंगाल के भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि '' ना ही टीएमसी ना ही वाम मोर्चा ने कई दशकों में शरणार्थियों के लिए कुछ किया। यह भाजपा है, जो उन्हें नागरिकता दे रही है। इसलिए भाजप को इसका फायदा मिलेगा।'' भाजपा सूत्रों के मुताबिक, नागरिकता विधेयक से बंगाल में 72 लाख से अधिक लोगों सहित देश भर में 1.5 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ''नागरिकता विधेयक के संसद में पारित होने से तृणमूल कांग्रेस बेनकाब हो गई है। मुस्लिम तुष्टिकरण की टीएमसी की राजनीति की पोल खुल गई है।'' विधेयक के राजनीतिक परिणामों के बारे में प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह पार्टी के दोहरे उद्देश्य को पूरा करेगा क्योंकि यह उसके पक्ष में हिंदुओं को और अधिक एकजुट करेगा और टीएमसी के इस सिद्धांत को कमजोर करेगा कि भाजपा बंगाली विरोधी पार्टी है। उन्होंने कहा, ''पश्चिम बंगाल की राजनीति अब से द्विध्रुवीय होगी...।'' 

पश्चिम बंगाल की 2000 किमी सीमा बांग्लादेश से लगी हुई है। हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने एनआरसी के साथ -साथ नागरिकता विधेयक का भी विरोध किया है और इसे बंगाली विरोधी करार दिया है। उन्होंने राज्य में भाजपा को दरकिनार करने के लिए बंगाली गौरव का मुद्दा छेड़ा है। उन्होंने कहा है कि वह राज्य में नागरिकता विधेयक को कभी लागू नहीं होने देंगी। 

राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने मालदा में कहा कि ना वे हिंदू है ना मुसलमान, हम बंगाली पहले हैं। इस देश में कई दशकों से रहते आने के बाद हमें अपनी नागरिकता साबित करने या सरकार से इसे मांगने की जरूरत नहीं है।

हमने देखा कि असम एनआरसी से 14 लाख बंगालियों के नाम हटा दिए गए। बंगालियों का अपमान करने के लिए उन्हें (भाजपा को) मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।''भारतीय अर्धसैनिक बलों की 20 कंपनियां वहां तैनात की गई हैं, क्योंकि विरोध प्रदर्शनों ने हिंसकर रूप ले लिया है. लेकिन सवाल है कि आखिरकार असम में ही इतना विरोध इस कानून का क्यों हो रहा है. तो वजह यह है कि पाकिस्तान में ही सबसे ज्यादा बंगाली हिन्दू और मुसलमान शरणार्थी रहते हैं. वैसे भी ये विरोध आज शुरू हो गया है, ऐसा बिलकुल नहीं है।

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