Odisha: हिन्दी के प्रति छलका राज्यपाल का प्रेम कहा, हिन्दी और ओडिया में करेंगे हस्ताक्षर
ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर डा गणेशी लाल ने कहा कि राजभवन की सभी नाम पट्टिकाएं सिर्फ हिन्दी और ओडिया में रखीं जाएं।
भुवनेश्वर, जेएनएन। ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर डा गणेशी लाल का हिन्दी के प्रति प्रेम इस कदर छलका कि उन्होंने मंच से अपने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि राजभवन की सभी नाम पट्टिकाएं सिर्फ हिन्दी और ओडिया में रखीं जाएं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी में इन पट्टिकाओं का कोई औचित्य नहीं है। साथ ही राज्यपाल ने यह भी घोषणा की कि अब आज से ही वे अपना हस्ताक्षर सिर्फ हिन्दी और ओडिया में करेंगे।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हिंदी या फिर अंग्रेजी भाषा में कामकाज होते हैं। अंग्रेजी विश्व की बोलचाल की भाषा नहीं है। हमें अपने कार्य अपनी मातृभाषा या फिर हिंदी में करने चाहिए। जिस भाषा को हमने मां से सीखा है वह भाषा मां की ही तरह आत्मीय होती है। राज्यपाल ने कहा कि आज इस कार्यक्रम में हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में अपने राष्ट्र की भाषाओं को ही प्रयोग में लाया जाता है। इसके लिए उन्होंने इजरायल देश का उदहारण दिया, जहां देश के स्वतंत्र होते ही राष्ट्र भाषा को लोगों ने अपनाया। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति ठान ले तो कुछ भी हासिल कर सकता है। राज्यपाल गुरुवार शाम को यहां अद्यांत प्लस टू साइंस कालेज में जगदंबी प्रसाद यादव स्मृति प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित 10वें भारतीय राजभाषा सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
इससे पूर्व सांसद डा. प्रसन्न पाटसाणी ने हिन्दी के विकास-विस्तार पर प्रकाश डाला तथा अपनी विदेशी यात्राओं के दौरान हिन्दी के प्रति दिखे सम्मान से लोगों को अवगत कराया। साथ ही पूर्व सांसद ने लोगों से क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी को भी बढ़ावा देने का आह्वान किया। देवनगरी से आई देवता की भाषा हिंदी है।
कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद जगदंबी प्रसाद यादव स्मृति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष तथा राजभाषा प्रचार समिति के सदस्य विजय शंकर यादव ने हिन्दी को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए लोगों से अपना आधिकारिक हस्ताक्षर हिन्दी में करने का आह्वान किया, जिसे सबसे पहले मंच से ही राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया।
यादव ने कहा कि दुख की बात है हिंदी प्रदेश बिहार की राजधानी पटना में 98.4 प्रतिशत लोग अपना बैंक हस्ताक्षर अंग्रेजी में करते हैं। विश्व बाजार ने हिंदी की ताकत को पहचान लिया है मगर हिंदी भाषी लोग हिंदी की ताकत को नहीं पहचान पा रहे हैं। हिंदी को जो आयाम मिलना चाहिए आज तक नहीं मिल पाया है। भगवान राम का वनवास खत्म हो गया, पांडवों का वनवास खत्म हो गया मगर हिंदी का बनवास कब खत्म होगा सरकार को उसे बताना चाहिए।
उन्होंने राजभाषा को शिक्षा, रोजगार से जोडऩे के लिए आह्वान किया। इस मौके पर अद्यांत प्लस-टू साइंस कालेज के संस्थापक डा अजय बहादुर सिंह भी मंचासीन थे। कार्यक्रम के मध्य में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के प्रति उल्लेखनीय सेवा के लिए पंडित विद्यानंद झा, अशोक पांडेय, डा फणी महांती, डा दमयंती बेसरा, शरत कुमार दास आदि को साहित्य शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। उसी तरह से राजभाषा शिखर सम्मान से सृष्टि यादव, प्रभु चरण महांति, अशोक कुमार कर को सम्मानित किया गया।