दिल्ली में भी बदल सकते हैं उपराज्यपाल, जानिए किन- किन नामों पर है चर्चा
बैजल के कामकाज को लेकर थोड़ी नाराजगी बताई जा रही है। इसे लेकर केंद्र सरकार तक शिकायत भी पहुंचाई जा चुकी है।
नई दिल्ली, नीलू रंजन। यूं तो दिल्ली के मौजूदा उपराज्यपाल अनिल बैजल का कार्यकाल अभी बाकी है, लेकिन संभव है कि उससे पहले ही बदलाव हो। ऐसे में पूर्व सीएजी राजीव महर्षि को कमान दी जा सकती है। बैजल को दिसंबर 2016 में नजीब जंग की जगह दिल्ली का उपराज्यपाल बनाया गया था।
बैजल के कामकाज के खिलाफ केंद्र सरकार तक गई है प्रदेश नेताओं की शिकायत
दरअसल, बैजल के कामकाज को लेकर थोड़ी नाराजगी बताई जा रही है। इसे लेकर केंद्र सरकार तक शिकायत भी पहुंचाई जा चुकी है। कोरोना को लेकर उनका एक फैसला भी इस नाराजगी में जुड़ता है। दिल्ली सरकार ने कोरोना के मरीजों को होम-क्वारंटाइन में रखने का फैसला किया था। अनिल बैजल ने इस फैसले को बदल दिया था, लेकिन बाद में उन्हें अरविंद केजरीवाल सरकार के फैसले को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा। अनिल बैजल की तरह राजीव महर्षि भी गृह सचिव रह चुके हैं। यही नहीं, गृह सचिव बनने के पहले वे दो साल तक वित्त सचिव का कार्यकाल भी पूरा कर चुके हैं।
राजीव महर्षि दौड़ में सबसे आगे
नियम-कायदे के अनुसार प्रशासनिक फैसले लेने के लिए जाने जाने वाले राजीव महर्षि का नाम जीसी मुर्मू की जगह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के लिए भी चर्चा में आया था, लेकिन केंद्र सरकार ने आतंकवाद से ग्रस्त जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया को पटरी पर लाने की जरूरत को देखते हुए नौकरशाह के बजाय मंजे हुए राजनीतिज्ञ मनोज सिन्हा को उपराज्यपाल बनाकर भेज दिया।
उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के दो फैसलों को किया खारिज
पिछले दिनों दिल्ली में एक बार फिर उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार के बीच कई बार तकरार देखने को मिली। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सीएम केजरीवाल द्वारा अनलॉक-3 में होटल और सप्ताहभर के लिए ट्रायल बेसिस के तौर पर साप्ताहिक बाजार फिर से खोलने के फैसले पर रोक लगा दी। उपराज्यपाल का मानना है कि दिल्ली की स्थिति अभी नाजुक बनी हुई है और खतरा अभी दूर नहीं हुआ है।
उपराज्यपाल ने केजरीवाल सरकार के दिल्ली दंगों को लेकर वकीलों के पैनल के फैसले को खारिज कर दिया था। इससे उपराज्यपाल और केजरीवाल के बीच टकराव बढ़ गया। उपराज्यपाल ने दिल्ली पुलिस के सुझाए वकीलों के पैनल को मंजूरी दी थी, लेकिन केजरीवाल कैबिनेट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली पुलिस के सुझाए पैनल को हरी झंडी देने का फैसला किया था।
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