Haryana: IPS सुलोचना गजराज ने कथित ऑडियो वायरल मामले में दर्ज कराई FIR
निवर्तमान पुलिस कप्तान सुलोचना गजराज ने खुद को मंत्री बताने वाले व्यक्ति के खिलाफ आईटी एक्ट मानहानि का मामला दर्ज करवाया है।
नारनौल [बलवान शर्मा]। हरियाणा सरकार में राज्यमंत्री ओमप्रकाश यादव व मीडियाकर्मी की कथित ऑडियो के वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ गया है। इस मामले में निवर्तमान पुलिस कप्तान सुलोचना गजराज ने खुद को मंत्री बताने वाले व्यक्ति के खिलाफ आईटी एक्ट, मानहानि, दंगा भड़काने का प्रयास करने व अपमान करने का मामला शहर थाना नारनौल में दर्ज करवा दिया है।
पुलिस शिकायत में एसपी सुलोचना ने लिखा है कि शिकायतकर्ता एक आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में वह पुलिस अधीक्षक, जिले के रूप में अपना कर्तव्य निभा रही हैं। 29 अगस्त को जिला पुलिस का जनसंपर्क अधिकारी कार्यालय को सोशल मीडिया के माध्यम से एक ऑडियो क्लिप मिली, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप से कई अशिष्टताएं थीं और प्रशासन के साथ-साथ शिकायतकर्ता के खिलाफ भी अवैध रूप से उकसाने का प्रयास किया गया है।
वायरल ऑडियो में कथित मंत्री ने किया अभद्रता
सुलोचना ने कहा कि ऑडियो सुनी तो खुद को हरियाणा सरकार के मंत्री बताने वाला एक शख्स ऑडियो क्लिपिंग में अभद्रता और मानहानि की बातें कर रहा है। प्रशासन को बेकार और भ्रष्ट बताने वाला बयान दे रहा है। उन्होंने विशेष रूप से शिकायतकर्ता का अपमान किया। उन्होंने उनके खिलाफ मानहानि और निंदनीय बयान देकर आम जनता को उकसाया। उन्होंने शिकायतकर्ता (एसपी) पर भ्रष्ट, अविश्वसनीय, अपराधियों के साथ मिलीभगत होने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता को अवैध दलाली मिल रही है और वह बदमाशों से मिली हुई हैं।यह गैर-जिम्मेदार और भड़काने वाला बयान, जो मंत्री द्वारा दिया गया है, वह पूर्वाग्रह गृसित है और व्यक्तिगत दुश्मनी निकाली जा रही है।
व्यक्ति की मंशा बहुत है स्पष्ट है कि वह शिकायतकर्ता पर दबाव बनाना चाहता है कि वह प्रशासन करते समय न्याय को अपने हाथों में खेल सके इस व्यक्ति का कृत्य और आचरण आईपीसी की धारा 153,500,504,186 और आईटी एक्ट, 2000 की धारा 66 ए के तहत अपराध है। शहर पुलिस ने इस मामले में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जानिये इन धाराओं का मतलब
अधिवक्ता सुधीर सैन के अनुसार आईटी एक्ट 66 ए गैर जमानती अपराध है। इसी तरह आईपीसी 153. दंगा करने के इरादे से जानबूझकर उकसावा देने पर लगाई जाती है। इस अपराध के साबित होने पर एक साल का कारावास व जुर्माना हो सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के अनुसार, जो भी कोई किसी लोक सेवक के सार्वजनिक कॄत्यों के निर्वहन में स्वेच्छा पूर्वक बाधा डालेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या पांच सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी 500. मानहानि का दंड। जो कोई दूसरे को बदनाम करता है, उसे साधारण कारावास की सजा दी जाएगी, जो दो साल तक या जुर्माना या दोनों के साथ हो सकता है।
भारतीय दंड संहिता में धारा 504 के अनुसार, शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना है। किसी व्यक्ति को उकसावे की धमकी दी जाती है, इरादा करना या यह जानने की संभावना है कि इस तरह के उकसावे के कारण उसे सार्वजनिक शांति भंग हो जाएगी, या कोई अन्य अपराध प्रतिबद्ध होगा। इसके लिए दो साल तक का कारावास व जुर्माने की सजा है।
बता दें कि महेंद्रगढ़ की एसपी सुलोचना गजराज का तबादला कमांडेंट फोर्थ बटालियन मानेसर में किया गया है। हालांकि यह तबादला ऑडियो मामले से जोड़कर देखा जा रहा है।
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