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द्वारका के फ्लैट नंबर 402 में बिहार के 3 बार सीएम रहे जगन्‍नाथ मिश्र ने तोड़ा दम

राजनीति से पहले जगन्नाथ मिश्रा ने बतौर प्रोफेसर अपना करियर शुरू किया था। अध्यापन जगत में भी अपना नाम कमाने वाले जगन्नाथ मिश्रा आगे चलकर बिहार के सीएम बने।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 02:14 PM (IST)
द्वारका के फ्लैट नंबर 402 में बिहार के 3 बार सीएम रहे जगन्‍नाथ मिश्र ने तोड़ा दम
द्वारका के फ्लैट नंबर 402 में बिहार के 3 बार सीएम रहे जगन्‍नाथ मिश्र ने तोड़ा दम

नई दिल्ली, जेएनएन। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा का सोमवार को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका निधन राजधानी दिल्ली में हुआ, वह काफी समय  से बीमार थे। वह तीन बार बिहार के सीएम बने। उनके निधन से बिहार के साथ दिल्ली में रह रहे बिहार के लोगों को शोक की लहर है, खासकर अध्यापन से जुड़े शिक्षकों और प्रोफेसर ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। मंगलवार सुबह विमान से उनका पार्थिव शरीर पटना ले जाया जाएगा। अंतिक संस्कार बुधवार को उनके पैतृक गांव बुलुवा बाजार (सुपौल) में किया जाएगा।

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मिली जानकारी के मुताबिक, जगन्नाथ मिश्रा ने दिल्ली के द्वारका सेक्टर-4 स्थित नीलांचल अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर- 402 में उन्होंने सोमवार को अंतिम सांस ली। निधन की खबर के बाद यहां पर उन्हें श्रद्धांजलि देने कांग्रेस वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी पहुंचे।   

यहां पर बता दें कि राजनीति से पहले जगन्नाथ मिश्रा ने बतौर प्रोफेसर अपना करियर शुरू किया था। इस दौरान उन्होंने तकरीबन 40 रीसर्च पेपर लिखे। अध्यापन जगत में भी अपना नाम कमाने वाले जगन्नाथ मिश्रा आगे चलकर बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी बने। हालांकि, उनकी राजनीति में रुचि बचपन से ही थी। उनके बड़े भाई ललित नारायण मिश्रा पहले से ही राजनीति में थे और रेल मंत्री थे।

जगन्नाथ मिश्रा विश्वविद्यालय में पढ़ाने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। वह 1975 में पहली बार मुख्यमंत्री बने। दूसरी बार उन्हें 1980 में कमान सौंपी गई और फिर 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।

यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के दौरान ही वह कई राजनीतिक पार्टियों के संपर्क में आए और बाद में उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन किया।

गौरतलब है कि वर्ष 2013 में सीबीआइ की कोर्ट ने उन्हें चारा घोटाले में दोषी करार दिए गए, जबकि 23 दिसंबर 2017 को उन्हें हर आरोप से बरी कर दिया गया।

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