Baroda By-Elections 2020: बरोदा में रोमांचक हुआ मुकाबला, चुनावी अखाड़े में योगेश्वर को चुनौती पेश करेंगे ये दिग्गज
हलके के लोग भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की अटकलें लगा रहे हैं लेकिन जाट बिरादारी से ताल्लुक रखने वाले इनेलो प्रत्याशी जोगेंद्र मलिक इनेलो की परंपरागत वोटबैंक के सहारे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की भरपूर कोशिश करेंगे।
सोनीपत [संजय निधि]। बरोदा उपचुनाव का रणक्षेत्र सज चुका है और योद्धा भी पूरी तरह से तैयार हैं। नामांकन वापसी के दिन तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए चर्चित प्रत्याशी डॉ. कपूर सिंह नरवाल ने कांग्रेस के पक्ष में अपना नामांकन वापस ले लिया। इससे बरोदा के चुनावी अखाड़ा में मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस ने सोची-समझी रणनीति के तहत डॉ. नरवाल का नामांकन वापस कराया, ताकि भाजपा प्रत्याशी ओलंपियन पहलवान योगेश्वर दत्त से उनका सीधा मुकाबला हो। हालांकि जाट बाहुल इस क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा इनेलो का प्रत्याशी भी जाट बिरादरी से है और डॉ. नरवाल के मैदान से हटने के बाद वे इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुट गए हैं।
बरोदा उपचुनाव में सोमवार को नामांकन वापस लेने का दिन था। उपचुनाव में नामांकन करने वाले चर्चित प्रत्याशी डॉ. कपूर नरवाल को लेकर सबसे ज्यादा अटकलें लग रही थी। क्योंकि जाट बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में लगभग हर बार जातिगत समीकरण के आधार पर ही मतदान होता है और डॉ. नरवाल के मैदान में रहने से कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल इसी बिरदारी से आते हैं। अब नरवाल के मैदान से हटने के कारण यहां मुकाबला काफी रोमांचक हो गया है।
हलके के लोग अब यहां भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने की अटकलें लगा रहे हैं, लेकिन जाट बिरादारी से ताल्लुक रखने वाले इनेलो प्रत्याशी जोगेंद्र मलिक इनेलो की परंपरागत वोटबैंक के सहारे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की भरपूर कोशिश करेंगे।
ये हैं प्रमुख तीन प्रत्याशी
भाजपा: योगेश्वर दत्त
ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त को हर कोई जानता है। कुश्ती में देश के लिये बड़े-बड़े पदक जीत चुके हैं। कुश्ती में पहचान बनाने वाले योगेश्वर को कांग्रेस सरकार ने डीएसपी पद दिया था, लेकिन वर्ष 2019 में डीएसपी पद को छोड़कर उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली। इसके बाद योगेश्वर ने बरोदा विधानसभा सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें 37,726 मत प्राप्त हुए थे। वे दूसरे नंबर पर रहे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने काफी मेहनत की थी और यही उनकी ताकत है। इसी के दम पर वे बरोदा में दूसरे नंबर पर रहे थे। अपना समुदाय और गैर जाट मतदाता उनकी सबसे बड़ी उम्मीद हैं। हालांकि इस बार भी उनकी राह में कांग्रेस के अलावा लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के राजकुमार सैनी रोड़े अटकाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।
कांग्रेस: इंदुराज नरवाल
इंदुराज नरवाल मूल रूप से गांव रिंढाना के हैं। रिंढाना गांव ने कई मशहूर कबड्डी खिलाड़ी दिए हैं। बेहद शांत स्वभाव और साफ छवि के इंदुराज के पिता धूप सिंह की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के करीबियों में गिनती होती है। वे भी भूपेंद्र और दीपेंद्र हुड्डा के करीबी माने जाते हैं। वे वर्ष 2005 से 2010 तक जिला पार्षद भी रह चुके हैं। बरोदा विस क्षेत्र हुड्डा का गढ़ का माना जाता है। यह जाट बहुल क्षेत्र भी है और यही इंदुराज की सबसे बड़ी ताकत है। डॉ. नरवाल के मैदान से हटने और कांग्रेस का समर्थन देने का भी लाभ उन्हें मिल सकता है। हालांकि कांग्रेस की अंदरुनी गुटबाजी से उन्हें नुकसान हो सकता है, क्योंकि कांग्रेस ने कई दिग्गजों को और टिकट के लिए क्षेत्र में पसीना बहा रहे नेताओं को दरकिनार पर इन्हें टिकट दिया है।
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इनेलो: जोगेंद्र मलिक
जोगेंद्र मलिक इनेलो के हलका अध्यक्ष हैं। मूलरूप से बरोदा गांव के रहने वाले हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी इनेलो के प्रत्याशी थे, लेकिन महज 3,145 वोट ही हासिल कर पाए थे, परंतु इस बार स्थिति थोड़ी बदली हुई है। पिछले चुनाव में इनेलो से अलग हुई जजपा का उम्मीदवार भी यहां से मैदान में था और इनेलो का परंपरागत वोट उस ओर खिसकता दिखाई था। इस बार जजपा भाजपा के साथ है। ऐसे में परंपरागत वोट बैंक वापस इनेलो की ओर रुख कर सकता है। इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला हलके में काफी दिनों से सक्रिय हैं। हालांकि पार्टी में बिखराव और पिछले विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन भी उपचुनाव में इनेलो को नुकसान पहुंचा सकता है।
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