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अशोक चव्हाण के सहारे महाराष्ट्र में वापसी का दांव चलेगी कांग्रेस

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में कमान संभालने के बाद कई प्रमुख राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नये सिरे से नियुक्ति होनी है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 25 Dec 2017 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 26 Dec 2017 11:30 AM (IST)
अशोक चव्हाण के सहारे महाराष्ट्र में वापसी का दांव चलेगी कांग्रेस
अशोक चव्हाण के सहारे महाराष्ट्र में वापसी का दांव चलेगी कांग्रेस

संजय मिश्र, नई दिल्ली। आदर्श घोटाले की आंच से बाहर आए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अब कांग्रेस हाईकमान अगले चुनाव में अपना चेहरा बनाने पर गंभीर है। सूबों में कांग्रेस की राजनीतिक वापसी के लिए तैयार किये जा रहे सियासी ब्लूप्रिंट में महाराष्ट्र अहम एजेंडे में शामिल है। इसी रणनीति के तहत अशोक चव्हाण को फिर से सूबे में कांग्रेस की कमान देने की तैयारी है।

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राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में कमान संभालने के बाद कई प्रमुख राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नये सिरे से नियुक्ति होनी है। इस लिहाज से पार्टी की निगाहें खासतौर से उन राज्यों पर ज्यादा है जहां उसका सीधा राजनीतिक मुकाबला भाजपा-एनडीए गठबंधन से है। गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी का आकलन है कि भाजपा शासित राज्यों में होने वाले अगले चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं के दरवाजे खुलने के आसार हैं। मगर इस संभावना को हकीकत में बदलने के लिए राज्यों में मजबूत चेहरे का होना बेहद जरूरी है। गुजरात में शंकर सिंह वाघेला के जाने के बाद कोई एक सर्वमान्य बड़ा चेहरा सूबे में नहीं होने का भी कांग्रेस को नुकसान हुआ है।

इसीलिए आदर्श हाउसिंग घोटाले की जांच से बरी हुए चव्हाण को फिर से कमान देने पर हाईकमान गंभीर है। उत्तरप्रदेश और बिहार में कांग्रेस की हालत खस्ता होने के बाद महाराष्ट्र ही सबसे बड़ा सूबा है जहां पार्टी की जड़ें उखड़ी नहीं है। एनसीपी के साथ वह भाजपा-शिवसेना गठबंधन से सीधे मुकाबले में है। महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव अगले लोकसभा चुनाव के साथ ही होना है। जाहिर तौर पर कांग्रेस के लिए दोनों लिहाज से यह सूबा बेहद अहम है। चव्हाण को चेहरा बनाने से दोनों चुनावों में पार्टी को फायदा होने की उम्मीद है। कांग्रेस के पुराने वोट बैंक के आधार मराठा, दलित और मुस्लिम के फिर से एकजुट करने के लिहाज से चव्हाण सबसे सक्षम माने जाते हैं। वहीं पूरे राज्य में उनका एक सियासी प्रभाव है और हाल में किसानों की बदहाली-कर्ज के मुद्दे पर निकाली गई संघर्ष यात्रा ने कांग्रेस को राजनीतिक टेक ऑफ दिया है।

महाराष्ट्र में राजनीतिक वापसी की कोई भी सूरत कांग्रेस के लिए दोहरे फायदे की होगी क्योंकि उत्तरप्रदेश के बाद यहां लोकसभा की सबसे अधिक 48 सीटे हैं। 2014 के चुनाव में भाजपा-शिवसेना ने इसमें से 42 सीटें जीती थीं। मोदी की आंधी में भी कांग्रेस को महाराष्ट्र से जो दो सीटें मिली थीं उसमें अशोक चव्हाण की लोकसभा सीट नांदेड शामिल थी। जबकि दूसरी सीट बगल की हिंगोली से जीते राजीव सातव की कामयाबी में भी चव्हाण के सियासी प्रभाव की खास भूमिका रही। महाराष्ट्र के नगर निकाय चुनावों में भाजपा अपनी सफलता की कहानियां नांदेड में नहीं दुहरा पायी और चव्हाण ने कांग्रेस को यहां बहुमत दिलाया।

आदर्श मुकदमे से बाहर आने के बाद चव्हाण की इस सियासी ताकत का राहुल गांधी पूरा फायदा उठाने से गुरेज नहीं करेंगे। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने जांच की आंच से बाहर आए चव्हाण को साजिश के तहत निशाना बनाए जाने की बात कह इसका साफ संकेत भी दे दिया। उनका कहना था कि महाराष्ट्र में चव्हाण समेत कई राज्यों में कांग्रेस के मजबूत चेहरों को भाजपा ने राजनीतिक साजिश के तहत बदनाम किया। इस बयान से भी साफ है कि चव्हाण के सहारे महाराष्ट्र में अपनी सियासी वापसी का दांव चलने से कांग्रेस अब गुरेज नहीं करेगी।

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