चौटाला परिवार में फिर ठनी, दिग्विजय चौटाला का कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह पर हमला, कहा- हद में रहें तो अच्छा
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय चौटाला ने कैबिनेट मंत्री और अपने दादा रणजीत सिंह चौटाला पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि दादा रणजीत मिलजुल कर काम करें तो अच्छा है।
डबवाली (सिरसा), जेएनएन। चौटाला परिवार में एक बार फिर ठनती दिख रही है। इस बार सत्ता में साझीदार इस परिवार के नेताओं में विवाद सामने आ रहा है। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला ने राज्य के कैबिनेट मंत्री व अपने दादा रणजीत सिंह चौटाला पर हमला बोला है। दिग्विजय ने बिजली एवं जेल मंत्री रणजीत सिंह के बयान पर कड़ी नाराजगी जताई और उन्हें नसीहत तक दी।
उन्होंने कहा कि दादा रणजीत सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री है। वह उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ मिलजुलकर काम करेंगे तो अच्छा है। हम उनका आदर-सम्मान करते हैं, उन्हें बड़ा मानते हैं। अपने बच्चे समझकर इज्जत दें, हम यही चाहते हैं। अगर वह फाइव स्टार होटलों वाले या फिर जहाज में घूमने वाले बच्चे कहेंगे तो वैसी भाषा में उनको जवाब दिया जाएगा।
दिग्विजय चौटाला ने डबवाली अनाज मंडी में स्थित पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में रणजीत सिंह के रुख पर निराशा जताई। बता दें कि बिजली एवं जेल मंत्री बनने के बाद पहली बार जब रणजीत सिंह पैतृक गांव चौटाला आए थे तो उन्होंने पूर्व सीएम और अपने बड़े भाई ओमप्रकाश चौटाला के साथ-साथ परिवार को लेकर तंज कसा था। रानियां हलका के दौरे के दौरान भी उन्होंने पारिवारिक सदस्यों पर सियासी तंज कसने में कसर नहीं छोड़ी थी। इसके बाद अब दिग्विजय सिंह चौटाला ने पलटवार किया है।
इसलिए भाजपा से गठबंधन किया
दिग्विजय सिंह ने साफ कहा कि ओमप्रकाश चौटाला और डॉ. अजय चौटाला को साजिश के तहत जेल भिजवाने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ समझौता नहीं करना चाहते थे। फिर भी एमएलए तथा पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई, ताकि किसी को आपत्ति न हो। कांग्रेस के पास न तो विधायक थे, न ही कोई विश्वास।
उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दुष्यंत चौटाला को सम्मान से बुलाकर बातचीत की। बातचीत में पांच प्वाइंट ऐसे थे, जिस पर सहमति हुई। भाजपा नौकरियों में प्रदेश के युवाओं को 75 फीसद आरक्षण, किसान-कमेरे वर्ग का कर्ज माफ, बुढ़ापा पेंशन जैसे मुद्दों पर हमारा साथ देने को राजी हुई। इसलिए हम गठबंधन को तैयार हुए। हम भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के साथ बैठकर जातिगत संदेश नहीं देना चाहते थे।
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