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दो दशक बाद ही सही, लेकिन सच हो गई अटल बिहारी वाजपेयी की भविष्‍यवाणी, जानें कैसे

अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में जो दो दशक पहले कहा था वह आखिरकार सच हो ही गया। आज हर कोई उनकी कही बात को जरूर याद कर रहा होगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 26 May 2019 03:57 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 08:57 AM (IST)
दो दशक बाद ही सही, लेकिन सच हो गई अटल बिहारी वाजपेयी की भविष्‍यवाणी, जानें कैसे
दो दशक बाद ही सही, लेकिन सच हो गई अटल बिहारी वाजपेयी की भविष्‍यवाणी, जानें कैसे

नई दिल्ली [जागरण स्‍पेशल]। लगभग दो दशक पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जो कहा था वह सच साबित हुआ है। जब विपक्षी घेरेबंदी में 1999 में उनकी सरकार एक वोट से हार गई थी तब उन्होंने कहा था-आज आप हमारा उपहास उड़ा लें, लेकिन एक वक्त आएगा जब लोग आपका उपहास उड़ाएंगे।’ दरअसल विपक्ष को यह जवाब उन्होंने तब दिया था जब उनके त्यागपत्र के एलान पर विपक्षी बेंचों से मेजें थपथपाई जाने लगी थीं। वाजपेयी का वह भाषण कई अन्य बातों के लिए यादगार रहा।

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उसी वक्त उन्होंने यह भी कहा था कि एक दिन पूरे देश में कमल खिलेगा। उनके दोनों कथन सत्य साबित हुए हैं। विपक्ष धराशायी है और खुद अपनों के बीच भी आंखें मिलाने से कतरा रहा है। 17 राज्यों में कांग्रेस खाता नहीं खोल पाई है, जबकि देश में दोबारा भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाई है। जब वाजपेयी ने कहा था, एक दिन लोग आपकी हंसी उड़ाएंगे।

लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद उनका यह कथन पूरी तरह से सच साबित हो रहा है। चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के कद के आगे कांग्रेस ही नहीं सभी विपक्षी दल अपने लिए कोई जगह नहीं बना सके। इतना ही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद अपने को विपक्षी नेता का दर्जा देने के लिए शोर मचाने वाली कांग्रेस इस बार भी इसके लिए जरूरी नंबर नहीं जुटा पाई। पिछली बार की तरह ही इस बार भी पार्टी का यह शर्मनाक प्रदर्शन रहा है। बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाले राहुल गांधी खुद अपनी अमेठी की सीट स्‍मृति इरानी से हार गए। 

भाजपा के उतार-चढ़ाव पर एक नजर:- 

  • 1951: श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई।
  • 1977: भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया और देश में पहली गैर-कांग्रेस सरकार बनी।
  • 1979: मतभेदों के कारण जनता पार्टी का विघटन हो गया। भारतीय जनसंघ के कई सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता भी थे। यह भी जनता पार्टी में विवाद का कारण बना।
  • 1980: अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में जनसंघ के सदस्यों को लेकर भाजपा का गठन हुआ।
  • 1984: इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। उस समय भाजपा को लोकसभा में केवल दो सीटें मिलीं।
  • 1986: लालकृष्ण आडवाणी भाजपा अध्यक्ष बने और भाजपा ने राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू किया।
  • 1989: 89 सीटों पर पार्टी को जीत मिली और जनता दल को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की गई।
  • 1990: बिहार में आडवाणी की रथयात्रा रोके जाने और गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया और नेशनल फ्रंट की सरकार गिर गई।
  • 1991: राजीव गांधी की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर में कांग्रेस जीती और 119 सीटों के साथ भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
  • 1996: 161 सीट के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने लेकिन 13 दिन में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
  • 1998: 182 सीटों के साथ भाजपा फिर सबसे बड़ी पार्टी बनी। वाजपेयी ने पुन: प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
  • 1999: सहयोगी दलों के समर्थन वापस लेने के कारण वाजपेयी की सरकार गिर गई। इसके बाद भाजपा ने अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बनाया। भाजपा को 182 सीटों पर जीत मिली और राजग की सरकार बनी। वाजपेयी पुन: प्रधानमंत्री बने।
  • 2004: कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने चौंकाते हुए राजग को पछाड़ दिया। भाजपा की सीटें गिरकर 138 पर आ गईं। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। लालकृष्ण आडवाणी नेता विपक्ष और भाजपा के अध्यक्ष बने।
  • 2006: आडवाणी ने मुहम्मद अली जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष कह दिया। इस बयान से उपजे विवाद के चलते उन्हें भाजपा का अध्यक्ष पद भी छोड़ना पड़ा और राजनाथ सिंह भाजपा अध्यक्ष बने।
  • 2009: भाजपा की सीटें सिमटकर 116 पर आ गईं और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया। मनमोहन सिंह पुन: प्रधानमंत्री बने।
  • 2014: सत्तासीन संप्रग सरकार की नाकामियों और एक के बाद एक सामने आए भ्रष्टाचार के चलते देशभर में सत्ताविरोधी लहर दिखी। इस सत्ताविरोधी लहर के साथ नरेंद्र मोदी की छवि और लोकप्रियता के दम पर भाजपा ने पहली बार अकेले पूर्ण बहुमत (282 सीटें) हासिल किया।
  • 2019: गरीब हितैषी नीतियों और मोदी की लोकप्रियता के दम पर भाजपा ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत हासिल किया। पार्टी को अकेले दम पर 303 सीटों पर जीत मिली। राजग के खाते में 350 से ज्यादा सीटें आईं।

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