BJP के ''हिंदुत्व'' में जातीय दरारों की सेंध का दांव! रामचरितमानस पर अनायास विवादित टिप्पणियों के सियासी संकेत
इस वर्ष नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और उसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव। भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए अपनी-अपनी तैयारी कर रहे दल विपक्षी एकजुटता का भी तानाबाना बुन रहे हैं। भाजपा चुनावी डगर पर विकास के मुद्दे को लेकर बढ़ रही है।
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर प्रसाद ने कुछ दिन पहले रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी की। देशभर से प्रतिक्रिया हुई, लेकिन राजद नेता पर पार्टी या सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। पवित्र ग्रंथ पर ठीक वैसा ही विवादित बयान अब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया है, लेकिन पार्टी मौन है। इन दोनों ही नेताओं ने मानस की चौपाइयों की मनमाफिक व्याख्या कर जिस तरह से दलित-पिछड़ों का अपमान बताया है, उसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि 2024 में बनकर तैयार हो रहे राम मंदिर का भावनात्मक-राजनीतिक लाभ भाजपा को मिलता भांपकर विपक्षी दल हिंदुत्व में जातीय दरारों की सेंध लगाना चाह रहे हैं।
सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश करती भाजपा
इस वर्ष नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और उसके बाद 2024 में लोकसभा चुनाव। भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए अपनी-अपनी तैयारी कर रहे दल विपक्षी एकजुटता का भी तानाबाना बुन रहे हैं। भाजपा चुनावी डगर पर विकास के मुद्दे को लेकर बढ़ रही है। सामाजिक समरसता उसका एजेंडा है और पसमांदा मुस्लिमों की पीड़ा उठाकर उस वर्ग को साथ लेकर चलने की भी कोशिश नजर आ रही है।
समानांतर चल रहा भगवा दल का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
इससे इतर भगवा दल का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद समानांतर चल रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम और महाकाल लोक कारिडोर बनाने के बाद अब बांकेबिहारी कारिडोर की ओर कदम बढ़ा दिए गए हैं। इधर, दशकों तक राजनीति के केंद्र में रही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण भी 2024 में पूरा होना प्रस्तावित है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अयोध्या हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। चुनाव के वक्त मंदिर निर्माण पूरा होने का लाभ भाजपा का मिल सकता है।
हिंदुओं को एकजुट वोटबैंक न बनने देने की कोशिश
अब जिस तरह से चंद्रशेखर प्रसाद और स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर टिप्पणी की है, उसे इस रणनीति के तहत देखा जा रहा है कि हिंदुओं को एकजुट वोटबैंक न बनने दिया जाए। यही वजह है कि दोनों ही नेताओं ने गोस्वामी तुलसीदास रचित चौपाइयों की मानमाफिक व्याख्या से रामचरितमानस को दलित-पिछड़ों का विरोधी बताने की कोशिश की है। गौर करने वाली बात यह भी है कि चंद्रशेखर राजद के नेता हैं और स्वामी प्रसाद सपा के। दोनों दलों के मुखिया आपस में करीबी रिश्तेदार भी हैं। दोनों दलों के पास सजातीय वोटबैंक है और अल्पसंख्यक मत उनकी ताकत है।
Video: रामचरितमानस विवाद पर नीतीश ने दी RJD के मंत्री को नसीहत
शिक्षाविद् एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के वैल्यू एडिशन कोर्सेज कमेटी के अध्यक्ष प्रो. निरंजन कुमार की नजर में रामचरितमानस पर यह टिप्पणियां षड्यंत्र के तहत की जा रही हैं। उनका कहना है कि पिछले आठ वर्षों में सामाजिक समरसता और एकजुटता बढ़ी है। जातियों के खांचे तेजी से टूट रहे हैं। ऐसे में जो दल जाति आधारित राजनीति ही करते हैं, वह रामचरितमानस की भ्रामक व्याख्या कर अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए समाज को जातियों में बांटना चाहते हैं। निरंजन कुमार कहते हैं कि हिंदुत्व के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अकादमिक षड्यंत्र चल रहा है। कुछ राजनेता उससे भी प्रभावित हो सकते हैं।
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