Rajasthan Politics: हाईकमान और सचिन दोनों के रूख में नरमी के संकेत, शीर्ष नेतृत्व से जल्द मिलने आएंगे पायलट
सचिन पायलट के अनशन को एक दिन पहले पार्टी विरोधी गतिविधि के दायरे में होने की चेतावनी जारी करने के बाद मंगलवार को कांग्रेस नेतृत्व की पूरी नजरें उनके अनशन तथा राजनीतिक बयानों की ओर लगी थी। ( जागरण -फोटो)
नई दिल्ली, संजय मिश्र। चेतावनी के बाद भी गहलोत सरकार को असहज करने के लिए अनशन पर बैठे सचिन पायलट के पार्टी नीति और नेतृत्व के खिलाफ बयान नहीं देने के कदम को कांग्रेस सुलह-संवाद के लिहाज से सकारात्मक मान रही है। इसके मद्देनेजर ही पार्टी ने संकट समाधान की कसरत को फिर से सक्रिय कर दिया है और पायलट को केंद्रीय नेतृत्व ने बातचीत के लिए आने का प्रस्ताव दिया है।
अनशन के बावजूद पार्टी नीति
पार्टी के उच्चपदस्थ हलकों से मिले संकेतों के अनुसार, सचिन पायलट ने भी अपना रूख नरम करने का संकेत देते हुए जल्द दिल्ली आने और हाईकमान से बातचीत करने का संकेत दिया है। सचिन पायलट के अनशन को एक दिन पहले पार्टी विरोधी गतिविधि के दायरे में होने की चेतावनी जारी करने के बाद मंगलवार को कांग्रेस नेतृत्व की पूरी नजरें उनके अनशन तथा राजनीतिक बयानों की ओर लगी थी।
सचिन के अप्रत्याशित कदमों को लेकर पार्टी की आशंका इसी से समझी जा सकती है कि मंगलवार को दोपहर में हाईकमान के निर्देशों की अनदेखी कर अनशन पर बैठने के कदम पर बयान जारी करने की घोषणा की गई। कांग्रेस मीडिया व प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पायलट से जुड़े सवालों की बौछार पर कहा कि पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश की ओर से इस बारे में एक बयान जारी किया जाएगा। लेकिन अनशन के बाद सचिन के दिए बयानों में नरमी और सुलह-संवाद का रास्ता आगे बढ़ने का संदेश पढ़ते हुए कांग्रेस की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया।
पायलट को नेतृत्व ने बातचीत के लिए आने का दिया था प्रस्ताव
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने इस बारे में कहा कि पायलट ने अनशन के दौरान कांग्रेस नेतृत्व या पार्टी की नीतियों के खिलाफ कोई बात नहीं कही और न ही राजस्थान सरकार के कामकाज पर किसी तरह के सवाल उठाए। साथ ही खुद को भाजपा की वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के मुद्दे तक ही सीमित रखा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर किसी तरह का निजी हमला नहीं किया।
बयान जारी करने से किया गया परहेज
साथ ही कांग्रेस और राहुल गांधी के भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी लड़ाई का जिक्र कर नेतृत्व को यह संदेश दिया कि अशोक गहलोत से जारी रस्साकशी की अपनी रणनीति के तहत अनशन करने के बावजूद वे अप्रत्याशित कदम उठाने की बजाय सुलह-संवाद के लिए तैयार हैं। समझा जाता है कि इसके बाद ही कांग्रेस ने चेतावनी के बाद भी अनशन करने के उनके फैसले को तूल नहीं देने का निर्णय लिया और इसीलिए बयान जारी करने से परहेज किया गया।
पार्टी सूत्रों के अनुसार अगले दो-तीन दिनों में राजस्थान कांग्रेस के अंदरूनी विवाद को लेकर नेतृत्व और पायलट के बीच बातचीत की संभावनाएं हैं। इस प्रकरण में पार्टी नेतृत्व पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की राय भी जानेगा क्योंकि सचिन पायलट के प्रसंग में इन दोनों का जुड़ाव रहा है।
पायलट से बातचीत की पूरी संभावना
पायलट के बगावती तेवरों के दौरान उनको मनाने में प्रियंका की खास भूमिका रही थी। राहुल और प्रियंका के साथ कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल मंगलवार को केरल के वायनाड़ दौरे पर थे और इनके लौटने के बाद शीर्ष स्तर चर्चा होगी और इसके बाद पायलट से बातचीत की पूरी संभावना है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि वैसे पायलट को बातचीत का संदेश सोमवार शाम को ही राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंग रंधावा के जरिए देते हुए समझाया गया था।
सचिन ने इसके लिए यह कहते हुए हामी भर दी कि चूंकि वे घोषणा कर चुके हैं इसलिए अनशन को सांकेतिक ही रखेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार इसके बाद देर शाम मीडिया में पायलट कैंप की ओर से हाईकमान की ओर से अनशन के लिए अनुमति मिलने की खबरों की हलचल सुनाई देने लगी तब रंधावा के जरिए कांग्रेस हाईकमान को रात करीब 11 बजे बयान जारी कर अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि के दायरे में आने की चेतावनी देनी पड़ी।