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पूर्वोत्तर में भाजपा के सामने क्षेत्रीय दलों का रहेगा दबदबा, पार्टी ने बढ़ाया अपना फोकस

मेघालय में तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी एकता के प्रयासों को आईना दिखाते हुए सबसे पहले प्रत्याशियों की सूची जारी कर कांग्रेस को दूसरा झटका दिया है। अभी 52 प्रत्याशी उतारे हैं। दूसरी सूची भी जल्द जारी करेगी। मेघालय में कांग्रेस की अच्छी पकड़ मानी जाती है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 10 Jan 2023 10:22 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jan 2023 10:22 PM (IST)
पूर्वोत्तर में भाजपा के सामने क्षेत्रीय दलों का रहेगा दबदबा, पार्टी ने बढ़ाया अपना फोकस
नगालैंड ऐसा राज्य है, जहां विपक्ष के बिना सरकार चल रही है।

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों नागालैंड, मेघालय एवं त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भाजपा और कांग्रेस समेत सभी पार्टियां तैयारी में जुटी हैं। तीनों राज्यों में भाजपा और वामदलों के सामने क्षेत्रीय दलों का दबदबा रहने वाला है। तीनों में 60-60 सीटें हैं। त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है। अन्य दो राज्यों में वह सरकार की भागीदार है। त्रिपुरा में कांग्रेस के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा‌र्क्सवादी) गठबंधन की दिशा में बढ़ रही है, लेकिन सत्तारूढ़ एनडीए को एक नए क्षेत्रीय दल से चुनौती मिलती दिख रही है।

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मेघालय में तृणमूल कांग्रेस सक्रिय है। तृणमूल और मेघालय में सरकार चला रही नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त है, लेकिन भाजपा, कांग्रेस एवं वामदलों के सामने इनकी पहचान अभी भी क्षेत्रीय जैसी ही है। केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद से पूर्वोत्तर के राज्यों पर भाजपा का फोकस बढ़ा है। विकास के साथ पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां हैं। कांग्रेस अपनी पुरानी प्रतिष्ठा की वापसी के लिए प्रयासरत है।

मेघालय में तृणमूल ने दिया विपक्षी एकता को झटका

मेघालय में तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी एकता के प्रयासों को आईना दिखाते हुए सबसे पहले प्रत्याशियों की सूची जारी कर कांग्रेस को दूसरा झटका दिया है। अभी 52 प्रत्याशी उतारे हैं। दूसरी सूची भी जल्द जारी करेगी। मेघालय में कांग्रेस की अच्छी पकड़ मानी जाती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस 28.5 प्रतिशत वोट एवं 21 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सरकार बनाने में सफल नहीं हो सकी थी। बाद में तृणमूल ने उसके 11 विधायकों को तोड़ लिया।

मेघालय में कानराड संगमा के नेतृत्व में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार है। भाजपा के दो विधायकों समेत गठबंधन सरकार में 48 विधायक हैं। किंतु मुख्यमंत्री संगमा ने केंद्र सरकार के यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध कर सहयोगी भाजपा को तेवर दिखाया है। दोनों दलों में अभी अनिर्णय की स्थिति है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान इसे लागू करने का वादा किया था। अगर भाजपा अपने वादे पर आगे बढ़ती है तो एनपीपी का साथ छूट सकता है।

त्रिपुरा में टिपरा मोथा ने बढ़ाया भाजपा का असमंजस

त्रिपुरा में पिछली बार 25 वर्षों की वामपंथी सरकार को परास्त कर बड़ी बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा ने वापसी के लिए आक्रामक अभियान शुरू कर दिया है। किंतु आदिवासी बहुल इस राज्य में आधार बनाए रखने में भाजपा को इस बार कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा से संघर्ष के लिए माकपा और कांग्रेस गठबंधन करने को आतुर हैं। पिछली बार भाजपा की सफलता में आदिवासी मतदाताओं ने बड़ा फर्क डाला था किंतु इस बार अभी तक ऐसा होता नहीं दिख रहा।

राज्य में सक्रिय कई आदिवासी समूह त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व वाले टिपरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (टिपरा मोथा) के साथ तालमेल करने के प्रयास में हैं। टिपरा मोथा ने भाजपा के सामने ग्रेटर टिपरालैंड की मांग रख दी है। परंतु अभी तक दोनों ओर से कोई सकारात्मक संकेत नहीं है।

नगालैंड में नेफ्यू रियो के नेतृत्व में ही लड़ेगी भाजपा

नगालैंड ऐसा राज्य है, जहां विपक्ष के बिना सरकार चल रही है। नेफ्यू रियो के नेतृत्व में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस (यूडीए) सरकार में नगालैंड डेमोक्रेटिक पीपुल्स फ्रंट (एनडीपीपी) के 42, भाजपा के 12, नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार और दो निर्दलीय विधायक हैं। पिछले वर्ष 21 विधायकों के दलबदल कर एनडीपीपी में शामिल होने के बाद एनपीएफ ने उनके साथ हाथ मिला लिया है। ऐसे में 60 सदस्यों वाली विधानसभा में विपक्ष का एक भी विधायक नहीं है। नेफ्यू रियो ने 2018 में गठबंधन के तहत भाजपा को 20 सीटें दी थीं। प्रधानमंत्री के लगातार कई दौरे से इस बार स्पष्ट है कि एनडीए में बिखराव नहीं होने जा रहा है।

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